जोशीमठ पीड़ितों को दी गई 515.80 लाख रुपए की राहत राशि, प्रभावित परिवारों को स्थायी पुनर्वास का इंतजार

By अनिल शर्मा | Published: February 10, 2023 12:30 PM2023-02-10T12:30:12+5:302023-02-10T12:46:25+5:30

75 साल की उम्र की देवी का आधा दिन अपने टूटे हुए घर के आसपास गुजरता है और आधा दिन तहसील कार्यालय में इस आशा में कटता है कि शायद सरकार की ओर से पुनर्वास को लेकर कोई सुखद खबर आ जाए।

Joshimath crack Relief amount of Rs 515.80 lakh given affected families still waiting for permanent rehabilitation | जोशीमठ पीड़ितों को दी गई 515.80 लाख रुपए की राहत राशि, प्रभावित परिवारों को स्थायी पुनर्वास का इंतजार

जोशीमठ पीड़ितों को दी गई 515.80 लाख रुपए की राहत राशि, प्रभावित परिवारों को स्थायी पुनर्वास का इंतजार

Highlightsचमोली के जिलाधिकारी ने बताया कि जोशीमठ में 868 इमारतों में दरारें देखी गई हैं। इनमें से 181 भवन असुरक्षित क्षेत्रों में हैं।होटल 'माउंट ब्यावर' और 'मलारी इन' को तोड़ने का काम अंतिम चरण में है। 

देहरादूनः उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ नगर में भूधंसाव के कारण दरारें पड़ने से क्षतिग्रस्त हुए मकानों, होटलों को तोड़ने का काम जारी है। चमोली के जिलाधिकारी ने बताया कि जोशीमठ में 868 इमारतों में दरारें देखी गई हैं। इनमें से 181 भवन असुरक्षित क्षेत्रों में हैं। जिलाधिकारी की मानें तो होटल 'माउंट ब्यावर' और 'मलारी इन' को तोड़ने का काम अंतिम चरण में है। 

डीएम के मुताबिक, प्रभावित परिवारों को क्षतिग्रस्त भवनों के लिए अग्रिम राहत, विशेष पुनर्वास पैकेज, माल परिवहन एवं तत्काल आवश्यकता, एकमुश्त विशेष अनुदान एवं घरेलू सामग्री क्रय के रूप में 515.80 लाख रुपये की राहत राशि वितरित की जा चुकी है। हालांकि प्रभावित परिवारों को स्थायी पुनर्वास का इंतजार है।

75 साल की उम्र की देवी का आधा दिन अपने टूटे हुए घर के आसपास गुजरता है और आधा दिन तहसील कार्यालय में इस आशा में कटता है कि शायद सरकार की ओर से पुनर्वास को लेकर कोई सुखद खबर आ जाए। लेकिन, वह कहती है कि उनकी रातें काटे नहीं कटतीं। कई पीढ़ियों की मेहनत से तैयार उनके सीढ़ीनुमा खेत भी भूंधसाव के चलते दरारों से पट गए हैं। 

अधिकतर पीड़ित जोशीमठ के आसपास ही रहने की इच्छा जता रहे हैं लेकिन अनिर्णय की स्थिति के चलते चिंतित भी हैं। पुष्कर सिंह ने कहा कि जैसी तेजी जनवरी के पहले सप्ताह में दिखी थी, वैसी अब नहीं दिख रही है और मीडिया के जाते ही सरकारी अमला भी सुस्त पड़ता दिखायी दे रहा है।

नरसिंहवार्ड के 52 साल के अनिल नंबूरी का कहना है कि नरसिंह मंदिर के समीप तीन मंजिला उनका पैतृक भवन भूधंसाव से क्षतिग्रस्त हो गया है। ढाई दशक पहले सेना से सेवानिवृत्त होकर जोशीमठ में बसे पुष्कर सिंह बिष्ट भी उन लोगों में शामिल हैं जो पिछले एक महीने से राहत शिविरों में अपना जीवन बिता रहे हैं।

भाषा इनपुट के साथ

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