जेएनयू: छात्र संघ ने बाबरी विध्वंस पर बनी डॉक्यूमेंट्री 'राम के नाम' दिखाई, प्रशासन ने जताई थी आपत्ति

By विशाल कुमार | Published: December 5, 2021 07:33 AM2021-12-05T07:33:14+5:302021-12-05T07:36:16+5:30

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने 6 दिसंबर, 1992 में हुए बाबरी विध्वंस पर बने डॉक्यूमेंट्री को दिखाया और इस दौरान सैकड़ों छात्र वहां इकट्ठा हुए।

jnu student union babri demolition documentary administration | जेएनयू: छात्र संघ ने बाबरी विध्वंस पर बनी डॉक्यूमेंट्री 'राम के नाम' दिखाई, प्रशासन ने जताई थी आपत्ति

जेएनयू में राम के नाम की स्क्रीनिंग के दौरान इकट्ठा छात्र.

Highlightsप्रशासन ने छात्र संघ को 'राम के नाम' डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने का कार्यक्रम रद्द करने की सलाह दी थी।प्रशासन ने कहा था कि अनधिकृत गतिविधि सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकती है।छात्र संघ ने डॉक्यूमेंट्री को दिखाया और इस दौरान सैकड़ों छात्र वहां इकट्ठा हुए।

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने शनिवार को छात्र संघ को 'राम के नाम' डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने का कार्यक्रम रद्द करने की सलाह देते हुए कहा कि परिसर में ‘‘इस तरह की अनधिकृत गतिविधि सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकती है।’’ 

हालांकि, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने 6 दिसंबर, 1992 में हुए बाबरी विध्वंस पर बने डॉक्यूमेंट्री को दिखाया और इस दौरान सैकड़ों छात्र वहां इकट्ठा हुए।

वृत्तचित्र के निर्माता आनंद पटवर्धन ने भी छात्रों को एकजुटता का संदेश भेजा और कहा कि उन्हें फिल्म दिखाने का पूरा अधिकार है क्योंकि इसे केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से 'यू' प्रमाणपत्र मिला है। 

जेएनयू रजिस्ट्रार ने एक परिपत्र में कहा, ‘‘अधोहस्ताक्षरी के संज्ञान में आया है कि जेएनयूएसयू के नाम पर छात्रों के एक समूह ने टेफ्लास (छात्र संघ हॉल) में आज रात 9: 30 बजे एक डॉक्यूमेंट्री/फिल्म 'राम के नाम' की स्क्रीनिंग के लिए एक पर्चा जारी किया है।’’ 

विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि इस आयोजन के लिए उससे कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई है। परिपत्र में कहा गया है, "इस तरह की अनधिकृत गतिविधि विश्वविद्यालय परिसर के सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकती है। संबंधित छात्रों / व्यक्तियों को सलाह दी जाती है कि वे प्रस्तावित कार्यक्रम को तुरंत रद्द कर दें, ऐसा न करने पर इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकती है। छात्रों को यह भी निर्देश दिया जाता है कि वे इस पर्चे से प्रभावित न हों, जो अनधिकृत और अनुचित है।"

पटवर्धन का 1992 का यह वृत्तचित्र अयोध्या में राम मंदिर बनाने के अभियान से संबंधित है। 

इससे पहले जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा था कि उन्होंने यूनियन हॉल में 'राम के नाम' की स्क्रीनिंग निर्धारित की है। उन्होंने कहा था, "इस तरह आरएसएस-भाजपा की कठपुतली संस्था एक परिपत्र के साथ सामने आई है कि इस वृत्तचित्र को दिखाना अनधिकृत है तथा यह सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ सकता है। 'राम के नाम' में सच्चाई दिखाई गई है कि भाजपा इस देश में क्या कर रही है और दक्षिणपंथी कट्टरपंथियों द्वारा इस धर्मनिरपेक्ष देश में किस तरह सांप्रदायिक नफरत फैलाई जा रही है।" 

उन्होंने कहा था, "जेएनयूएसयू किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी। यह कार्यक्रम होगा और हम जेएनयू छात्र समुदाय से इस वृत्तचित्र को देखने के लिए रात नौ बजे बड़ी संख्या में एकत्र होने का अनुरोध करते हैं।" 

जेएनयूएसयू उपाध्यक्ष साकेत मून ने कहा कि प्रशासन यह तय नहीं कर सकता कि छात्र क्या देखेंगे। उन्होंने कहा, "छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी होगी। हमने वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग आयोजित करने का फैसला किया। विश्वविद्यालय प्रशासन यह तय नहीं कर सकता कि छात्र क्या देखेंगे। वृत्तचित्र सार्वजनिक रूप से तथा यूट्यूब पर स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है और इसने पुरस्कार भी जीते हैं।" 

घोष ने पटवर्धन से मिला एक वीडियो संदेश साझा किया। पटवर्धन ने हिंदी में अपने संदेश में कहा, "मैं जेएनयू को बधाई देना चाहता हूं कि जिसके छात्रों ने प्रशासन की मनाही के बावजूद 'राम के नाम' की स्क्रीनिंग के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है। आपको फिल्म दिखाने का पूरा अधिकार है। फिल्म को सीबीएफसी से 'यू' प्रमाणपत्र मिला है। इसने 1992 में सर्वश्रेष्ठ खोजी वृत्तचित्र के रूप में राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था।"

उन्होंने कहा, "हाईकोर्ट के आदेश के बाद इसे प्राइम टाइम पर रात नौ बजे दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद एक और चैनल ने इसे दिखाया। देश में सभी ने इस फिल्म को देखा है। शायद नयी पीढ़ी ने इसे नहीं देखा होगा। इस फिल्म को रोका नहीं जा सकता। अगर देश पर फासीवाद हावी हो जाए तो इसे रोका जा सकता है। अभी तक देश में फासीवाद पूरी तरह से नहीं आया है और फिल्म की स्क्रीनिंग को रोका नहीं जा सकता है।"

Web Title: jnu student union babri demolition documentary administration

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