जेएनयू में ढाबा मालिकों को 30 जून तक कैंपस खाली करने का मिला नोटिस, जानें पूरा मामला
By भाषा | Published: June 28, 2022 06:57 AM2022-06-28T06:57:59+5:302022-06-28T07:05:42+5:30
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की ओर से कैंटीन और ढाबा मालिकों को नोटिस जारी किया गया है जो बिना किसी आवंटन के कारोबार कर रहे है और व्यवसाय संबंधी बिलो का भुगतान नहीं किया है।
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने उन कैंटीन और ढाबा मालिकों को विश्वविद्यालय परिसर खाली करने के नोटिस भेजे हैं, जिन्होंने अपना व्यवसाय शुरू करने के बाद से बिलों का भुगतान नहीं किया है। एक बयान में यह जानकारी दी गई है।
विश्वविद्यालय ने रविवार देर शाम एक बयान में कहा कि ये नोटिस इसलिए जारी किए गए हैं क्योंकि इन मालिकों ने 2019 के बाद से उन्हें जारी किए गए किसी भी नोटिस का जवाब नहीं दिया। इन नोटिस में बकाया राशि का भुगतान करने का अनुरोध किया गया था।
परिसर विकास समिति (सीडीसी) के अध्यक्ष सुधीर कुमार ने एक बयान में कहा, ‘‘जेएनयू में शैक्षणिक भवनों सहित विभिन्न स्थानों पर कब्जा जमाये सभी लोगों को नोटिस जारी किया गया है। वे बिना किसी आवंटन के कारोबार कर रहे हैं। वे बिना किसी लाइसेंस शुल्क और बिजली / पानी / संरक्षण शुल्क जैसी अन्य देय राशि के भुगतान के बिना अपना व्यवसाय करना जारी रखते हैं।’’
बयान में कहा गया है कि सीडीसी ने 17 जनवरी की बैठक में इस तरह का नोटिस देने का फैसला किया था। जेएनयू प्रशासन ने 22 जून को परिसर में स्थित कई कैंटीन और ढाबों के संचालकों को लाखों रुपये की बकाया राशि चुकाने और 30 जून तक विश्वविद्यालय परिसर खाली करने का नोटिस दिया था। नोटिस को लेकर कैंटीन संचालकों ने कहा कि बकाया राशि का भुगतान करना उनके लिए बहुत कठिन हैं और उन्हें अपनी आजीविका पूरी तरह से खोने का खतरा है।
जेएनयू ने कहा कि अगर उचित प्रक्रिया का पालन किया जाता है तो वह स्वीकृत स्थान/दुकान आवंटित करने के लिए प्रतिबद्ध है। एक कैंटीन संचालक, जिसे नोटिस दिया गया है, ने कहा कि प्रशासन ने उसे किराए और बिजली शुल्क के रूप में बकाया 10 लाख रुपये का बिल दिया है।
उन्होंने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा, ''मैं एक गरीब आर्थिक पृष्ठभूमि से आता हूं। परिवार में मैं और मेरा भाई ही कमाने वाले सदस्य हैं और हमारी आजीविका इस कैंटीन पर निर्भर है। मैं 10 लाख रुपये कैसे दे सकता हूं? उन्हें मासिक या वार्षिक बकाया की मांग करनी चाहिए थी।’’
जेएनयू के रेक्टर अजय दुबे ने इससे पहले बताया था कि उन कैंटीन संचालकों को परिसर से नहीं हटाया जायेगा जिन्होंने “उचित प्रक्रिया” का पालन किया है।