JNU राजद्रोह मामला: दिल्ली सरकार का आरोप- पुलिस ने गुपचुप तरीके से जल्दीबाजी में दाखिल किया आरोपपत्र
By भाषा | Published: April 5, 2019 02:31 PM2019-04-05T14:31:31+5:302019-04-05T14:31:31+5:30
आप सरकार ने मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दीपक शहरावत की अदालत में दी गई दलील में आरोप लगाया कि पुलिस ने सक्षम अधिकारी से अनुमति लिए बगैर बेहद जल्दीबाजी में और गुपचुप तरीके से आरोपपत्र दाखिल कर दिया।
दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को अदालत से कहा कि 2016 जेएनयू राजद्रोह मामले में पुलिस ने ‘गुपचुप तरीके’ से और ‘जल्दीबाजी’ में आरोपपत्र दाखिल किया है और कन्हैया कुमार तथा अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के संबंध में फैसला लेने के लिए सरकार को एक महीने से ज्यादा वक्त लगेगा।
आप सरकार ने मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दीपक शहरावत की अदालत में दी गई दलील में आरोप लगाया कि पुलिस ने सक्षम अधिकारी से अनुमति लिए बगैर बेहद जल्दीबाजी में और गुपचुप तरीके से आरोपपत्र दाखिल कर दिया। अदालत ने पहले राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह मुकदमा चलाने की अनुमति देने के संबंध में स्पष्ट समय सीमा के साथ ‘उचित जवाब’ दाखिल करे।
इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने उस डीसीपी के पेश नहीं होने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी, जिसे 2016 के जेएनयू राजद्रोह मामले में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया था।दिल्ली पुलिस ने पहले अदालत को बताया था कि प्राधिकारियों ने मामले में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ अभियोग चलाने के लिए अभी आवश्यक मंजूरी नहीं दी है और उसे मंजूरी लेने के लिए दो से तीन महीने का समय चाहिए।
पुलिस ने कुमार और अन्य के खिलाफ 14 जनवरी को एक आरोप पत्र दायर करते हुए कहा था कि कन्हैया एक जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे और उन्होंने नौ फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान राजद्रोही नारों का समर्थन किया। अदालत ने इस मामले को देख रहे पुलिस उपायुक्त से रिपोर्ट मांगी थी। इससे पहले अदालत ने पुलिस को आदेश दिया था कि वह संबद्ध प्राधिकारियों से प्रक्रिया तेज करने के लिए कहे।
साथ ही अदालत ने कन्हैया कुमार, जेएनयू के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचाय सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति हासिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय भी पुलिस को दिया था।