जम्मू-कश्मीर: अब किश्तवाड़ और रामबन बने नये आतंकी ठिकाने, 1990 जैसा बन रहा है माहौल

By सुरेश डुग्गर | Published: May 14, 2019 06:55 PM2019-05-14T18:55:00+5:302019-05-14T18:55:00+5:30

90 के दशक में जब कश्मीर के साथ किश्तवाड़ में भी आतंकवाद ने पैर पसारे थे तो तब हालात इतने खराब हो गए कि रोज शाम को कर्फ्यू लगा दिया जाता था। कई नरसंहार भी हुए। दहशत में लोग जल्द अपना कामकाज निपटाकर घरों में चले जाते थे।

J&K Kishtwar and Ramban New area of terrorist here is all detail about Jammu kashmir terrorist | जम्मू-कश्मीर: अब किश्तवाड़ और रामबन बने नये आतंकी ठिकाने, 1990 जैसा बन रहा है माहौल

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsसाल 2017 को महसूस होने लगा कि किश्तवाड़ में आतंकवाद फिर से पैर पसार रहा है। 2018 को भाजपा के प्रदेश सचिव अनिल परिहार और उनके भाई अजीत दुकान बंद करके घर जा रहे थे तो रात साढ़े आठ बजे दोनों की गोलियां मारकर हत्या कर दी।

कश्मीरी आतंकवाद अब दक्षिण की ओर बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि डोडा जिले का किश्तवाड़ और रामबन का इलाका आतंकियों के नए ठिकानों के तौर पर सामने आने लगे हैं। किश्तवाड़ जिले में आतंकवाद की आहट से लोग सहम उठे हैं। दो सियासी नेताओं सहित चार हत्याएं व आतंकियों के फिर सक्रिय होने से प्रशासन से लेकर सुरक्षा एजेंसियां सकते में हैं। किश्तवाड़ में वर्ष 1990 जैसा माहौल बन रहा है। बाजार शाम होते ही सूने पड़ने लगे हैं।

रामबन जिले का गूल इलाका वर्ष 2007 के बाद से शांत रहा है। आतंकी संगठनों की ओर से फिर से इस शांत इलाके को निशाना बनाने की साजिश के हिस्सा के तहत ही लश्कर ने अपने दो आतंकियों को यहां भेजा था। घाटी में ऑपरेशन ऑल आउट के तहत सख्ती और लगातार आतंकियों के खात्मे की वजह से आतंकी तंजीमों ने अब नए इलाके में आतंकवाद की जड़ें फैलाने की साजिश रची है। इसी के तहत गूल इलाके का चयन किया गया है ताकि फिर से यहां आतंकवाद को जिंदा किया जा सके। चिनाब रीजन के साथ ही पीर पंजाल इलाके में फिर से आतंकवाद का दौर शुरू करने की साजिश का यह हिस्सा हो सकता है।  

घाटी में सख्ती से आतंकियों ने सुरक्षित स्थानों पर पनाह ले लिया है

बताते हैं कि आतंकवाद के दौर में गूल में सभी आतंकी तंजीमें सक्रिय थीं। लश्कर ए ताइबा, हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए ताबड़तोड़ कई घटनाएं कीं। 2004-2005 तक यहां आतंकी संगठन सक्रिय रहे। इस दौरान धीरे-धीरे सभी सक्रिय आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में मार गिराया। 2007 के बाद से तो यह इलाका पूरी तरह आतंकी वारदातों से मुक्त हो गया। चूंकि यह पीर पंजाल की पहाड़ियों में है। यहां की सीमा से दक्षिणी कश्मीर का कुलगाम जिला मिलता है, जो आतंकवाद के लिहाज से काफी संवेदनशील है।

सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का मानना है कि घाटी में सख्ती से आतंकियों ने सुरक्षित स्थानों पर पनाह ले लिया है। अब उन्हें डर सताने लगा है कि मूवमेंट की जानकारी मिलते ही सुरक्षा बलों के हाथों मारे जा सकते हैं। इस वजह से अब आतंकी संगठनों ने जम्मू संभाग की ओर रुख करने की साजिश रची है। चिनाब रीजन के किश्तवाड़ जिले में आतंकी दो घटनाओं में परिहार बंधुओं तथा आरएसएस के नेता व उनके अंगरक्षक की गोली मारकर हत्या कर चुके हैं। घाटी की तरह ही हथियार लूट की वारदात को भी अंजाम देते हुए किश्तवाड़ के डीसी के अंगरक्षक का हथियार लूट चुके हैं। अब पीर पंजाल इलाके से भी लश्कर के दो आतंकी पकड़े गए हैं। 

90 के दशक में कश्मीर के साथ किश्तवाड़ में आतंकवाद ने पसारे पैर

90 के दशक में जब कश्मीर के साथ किश्तवाड़ में भी आतंकवाद ने पैर पसारे थे तो तब हालात इतने खराब हो गए कि रोज शाम को कर्फ्यू लगा दिया जाता था। कई नरसंहार भी हुए। दहशत में लोग जल्द अपना कामकाज निपटाकर घरों में चले जाते थे। कई दूरदराज क्षेत्रों में पलायन तक की नौबत आई। बाजार में दुकानदार सामान बाहर नहीं सजाते थे। उन्हें डर रहता था कि शहर में जब भी कोई वारदात हो जाए तो एकदम से भगदड़ में दुकान बंद करने में परेशानी न हो। ऐसे हालात 2002 तक रहे। उसके बाद धीरे-धीरे सेना और पुलिस ने आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा।

वर्ष 2008 के बाद किश्तवाड़ में इक्का-दुक्का आतंकी को छोड़कर बाकी सभी मारे गए थे। सिर्फ एक आतंकी मोहम्मद अमीन उर्फ जहांगीर सरूरी बचा था जिसका आज कोई अता पता नहीं चला। किश्तवाड़ को आतंकवाद मुक्त घोषित कर दिया गया। इसके बाद माहौल शांत हो गया। वर्ष 2017 को महसूस होने लगा कि किश्तवाड़ में आतंकवाद फिर से पैर पसार रहा है। प्रशासन ने परवाह नहीं की। चोरी छिपे किश्तवाड़ में युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती होने लगी। एक नवंबर 2018 को भाजपा के प्रदेश सचिव अनिल परिहार और उनके भाई अजीत दुकान बंद करके घर जा रहे थे तो रात साढ़े आठ बजे दोनों की गोलियां मारकर हत्या कर दी। इनके हत्यारे आज तक पकड़े नहीं गए। यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया।

Web Title: J&K Kishtwar and Ramban New area of terrorist here is all detail about Jammu kashmir terrorist

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