देवघर में ऐतिहासिक श्रावणी मेलाः हाईकोर्ट ने मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सह देवघर के उपायुक्त को जारी किए नोटिस, मांगा जवाब
By एस पी सिन्हा | Published: June 26, 2020 08:04 PM2020-06-26T20:04:07+5:302020-06-26T20:04:07+5:30
मेला के आयोजन को लेकर कोर्ट में सुनवाई के दौरान उपायुक्त को यह निर्देश दिया गया है कि वे राज्य सरकार से निर्देश प्राप्त कर इस संबंध में कोर्ट को अवगत करायें. यहां बता दें कि गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने श्रावणी मेला को लेकर जनहित याचिका दायर की है.
रांचीःझारखंड के देवघर में ऐतिहासिक श्रावणी मेला के आयोजन को लेकर मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सह देवघर के उपायुक्त को झारखंड हाईकोर्ट के द्वारा नोटिस जारी किया गया है.
मेला के आयोजन को लेकर कोर्ट में सुनवाई के दौरान उपायुक्त को यह निर्देश दिया गया है कि वे राज्य सरकार से निर्देश प्राप्त कर इस संबंध में कोर्ट को अवगत करायें. यहां बता दें कि गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने श्रावणी मेला को लेकर जनहित याचिका दायर की है.
झारखंड के देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ का मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है. जनहित याचिका में यह मांग की गई है कि सावन के पवित्र माह में बाबा बैद्यनाथ के मंदिर में भक्तों को पूजा करने की इजाजत दी जाये. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने पुरी की रथयात्रा के आयोजन को मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद देवघर में पूजा के आयोजन को लेकर याचिका दाखिल की गई है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार को भी प्रतिवादी बनाने को कहा
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार को भी प्रतिवादी बनाने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 30 जून को होगी. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता रवि प्रकाश मिश्र ने बताया कि मामले में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, पंडा धर्म रक्षिणी बोर्ड, देवघर मंदिर न्यास बोर्ड को प्रतिवादी बनाया गया है.
याचिका में कहा गया है कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी को देखते हुए प्रोटोकॉल का पालन करते हुए श्रावणी मेला का आयोजन किया जाना चाहिए. प्रार्थी का कहना है कि श्रावणी मेला से करोडों लोगों की धार्मिक आस्था जुडी हुई है, इसलिए नियमों के अनुसार श्रावणी मेले के आयोजन को अनुमति दी जाये.
यहां बता दें कि झारखंड और बिहार सरकार ने इस वर्ष कोरोना के कहर के देखते हुए श्रावणी मेले के आयोजन पर रोक लगा दी है, यही नही देवघर जिला प्रशासन ने पूजा के दौरान सोशल डिस्टेंशिंग का ख्याल रखते हुए सीमित मात्रा में व्यक्तियों को मंदिर के अंदर जाकर पूजा करने की अनुमति प्रदान की है.