झारखंडः मिशनरीज ऑफ चैरिटी में बच्चा बेचे जाने की सीबीआई जांच की सिफारिश, कहां गया 9 अरब का विदेशी चंदा?

By एस पी सिन्हा | Published: July 11, 2018 03:07 PM2018-07-11T15:07:56+5:302018-07-11T15:07:56+5:30

डीजीपी ने अपने पत्र में कहा है कि यह एक गंभीर मामला है और मिशनरीज ऑफ चैरिटी से जुडे तमाम संस्थानों की जांच सीबीआई से करवाई जाए।

Jharkhand: Missionaries of Charity get 9 Billion Foreign Funds, DGP suggests CBI probe | झारखंडः मिशनरीज ऑफ चैरिटी में बच्चा बेचे जाने की सीबीआई जांच की सिफारिश, कहां गया 9 अरब का विदेशी चंदा?

झारखंडः मिशनरीज ऑफ चैरिटी में बच्चा बेचे जाने की सीबीआई जांच की सिफारिश, कहां गया 9 अरब का विदेशी चंदा?

रांची,11 जुलाईः झारखंड में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के रांची स्थित निर्मल हृदय से बच्चा बेचे जाने की जांच सीबीआई से कराये जाने की अनुशंसा राज्य के डीजीपी डीके पांडेय ने गृह सचिव से की है। डीजीपी ने अपने पत्र में कहा है कि यह एक गंभीर मामला है और मिशनरीज ऑफ चैरिटी से जुडे तमाम संस्थानों की जांच सीबीआई से करवाई जाए। प्राप्त जानकारी के अनुसार मिशनरीज ऑफ चैरिटी और इससे जुडी छह संस्थाओं को मिले विदेशी फंड के आअधार पर हीं सीबीआई से जांच कराने की अनुशंसा की गई है। डीजीपी डीके पांडेय ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी व उससे जुड़ी संस्थाओं को मिले विदेशी फंड की जानकारी गृह विभाग के प्रधान सचिव को भेजी है।

गृह सचिव को भेजे पत्र में जिक्र है कि साल 2006 से 2011 तक इन संस्थाओं को द फॉरेन कंट्रीव्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) के तहत विदेशों से 927.27 करोड़ रुपये मिले हैं। पत्र में जिक्र है कि कोतवाली रांची के एएचटीयू थाने के अनुसंधान और अन्य स्रोतों से जो जानकारी मिली है। उसके मुताबिक यह तथ्य सामने आए हैं कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी को मिली राशि का उपयोग मूल उद्देश्य में न होकर अन्य कार्यों में किया जा रहा है। 

डीजीपी ने गृह सचिव को भेजे पत्र में लिखा है कि प्रत्येक राज्य की जांच एजेंसी की अपराध शाखा एक करोड़ से कम के मामलों में अनुसंधान करने में सक्षम है। लेकिन राशि एक करोड़ से अधिक है। ऐसे में इस मामले की जांच सीबीआई से करानी चाहिए। डीजीपी ने गृह सचिव से अनुरोध किया है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी और इससे जुडी संस्थाओं की जांच भारत सरकार के निर्देश पर ही की जा सकती है। ऐसे में इस संबंध में केंद्र के साथ पत्राचार कर मिशनरीज ऑफ चैरिटी एवं अन्य संस्थानों के फंड की सूक्ष्म जांच करायी जाए। जांच पूरी होने तक सभी संस्थानों के बैंक एकाउंट फ्रीज करने की भी मांग डीजीपी ने की है।
 
बताया जाता है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी के एफसीआरए निबंधन रद्द करने की सिफारिश के लिए भी डीजीपी ने गृह सचिव को लिखा है। एफसीआरए निबंधन को रद्द करने या निलंबित करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है।

यह भी पढ़ेंः- झारखंड: मदर टेरेसा चैरिटी संस्था बनी बच्चों के सौदेबाजी का अड्डा, तीन साल में 280 मासूम गायब

मिशनरीज ऑफ चैरिटी को मिले फंड 

- 2006-07 में 45.37 करोड़
- 2007-08 में 54.70 करोड़
- 2008-09 में 42.50 करोड़ 
- 2009-10 में 53.35 करोड़
- 2010-11 में 62.29 करोड़ 
- 2011-12 में 62.77 करोड़ 
-2012-13 में 71.05 करोड़ 
- 2013-14 में 96.35 करोड़ 
- 2014-15 में 90.91 करोड़ 
- 2015-16 में 94.01 करोड़ 
- 2016-17 में 77.77 करोड़
- कुल 751.12 करोड़ रुपये।

मिशनरीज ऑफ चैरिटी ब्रदर्स को मिले फंड

- 2006-07 में 9.15 करोड़
- 2007-08 में 10.08 करोड़
-2008-09 में 15.29 करोड़ 
- 2009-10 में 8.25 करोड़ 
- 2010-11 में 9.11 करोड़ 
- 2011-12 में 9.94 करोड़ 
- 2012-13 में 13.69 करोड़ 
- 2013-14 का विवरण उपलब्ध नहीं 
- 2014-15 में 14.63 करोड़ 
- 2015-16 में 18.81 करोड़
- 2016-17 में 19.80 करोड़ रूपये विदेशी फंड उसे मिले हैं। 

मिशनरी ऑफ द वर्ड को मिले विदेशी फंड

- 2006-07 में 1.25 करोड़
- 2007-08 में 1.68 करोड़ 
- 2008-09 में 1.88 करोड़ 
- 2009-10 में 2.53 करोड़ 
- 2010-11 में 2.97 करोड़ 
- 2011-12 में 3.14 करोड़
- 2012-13 में 3.23 करोड़ 
- 2013-14 में 4.21 करोड़ 
- 2014-15 में 4.25 करोड़ 
- 2015-16 में 4.54 करोड़
- 2016-17 में 4.81 करोड़ रुपये मिले हैं।

मिशनरीज ऑफ कोलकाता को मिले फंड

- 2006-07 में 17.21 लाख
- 2007-08 में 4.34 करोड़ 
- 2008-09 में 42.50 करोड़ 
- 2009-10 में 4.39 करोड़ 
- 2010-11 में 74 करोड़ 
- 2011-12 में 74 करोड़ रूपये मिले. 

मिशनरीज ऑफ चैरिटी फादर्स इंडिया को मिले फंड

- 2011-12 में 5.28 लाख 
- 2012-13 में 2.16 लाख 
- 2013-14 में 36.39 लाख 
- 2014-15 में 38.68 लाख
- 2015-16 में 28.86 लाख
- 2016-17 में 16.51 लाख रुपये विदेशी चंदे मिले हैं।

मिशनरीज सिस्टर्स ऑफ मैरी हेल्प ऑफ क्रिस्चियन मैरी इमैक्युलेट प्रोविंस सोशल वेलफेयर सोसाइटी को 2016-17 में 27.71 लाख विदेशी चंदे मिलने के प्रमाण मिले हैं।

यह भी पढ़ेंः- मदर टेरेसा संस्था से बेचा गया एक और बच्चा बरामद, अविवाहित लड़की ने दिया था जन्म

डीजीपी ने पत्र में यह भी आग्रह किया है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती है तब तक मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बैंक अकाउंट को फ्रीज कर दिया जाए। बतौर डीजीपी इन रुपयों के खर्च का सही हिसाब नहीं मिल रहा है। इन राशियों को उपयोग दूसरे मद में किया गया है। यहां यह भी बता दें कि निर्मल हृदय से बच्चा बेचे जाने के मामले पर मुख्यमंत्री रघुवर दास भी गंभीर हैं। मुख्यमंत्री ने इस सिलसिले में वैसे एनजीओ पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जो बच्चों की खरीद-बिक्री में संलिप्त हैं। 

उल्लेखनीय है कि बाल कल्याण समिति की जांच में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के रांची स्थित निर्मल हृदय से बच्चों के सौदे का मामला सामने आया है। जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए संस्था के दो सिस्टर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। रांची के मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम से बच्चा बेचे जाने के मामले को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गंभीरता से लिया है। बता दें कि राज्य सचिवालय को यह जानकारी मिली है कि वर्ष 2015 से लेकर 2018 के बीच 450 से ज्यादा महिलाएं विभिन्न मिशनरीज होम्स में सहारा के लिए आई थीं। लेकिन सहारा देने के नाम पर उनसे गलत शपथ पत्र भरवा लिया गया। उसके आधार पर बिन ब्याही मां अपने बच्चे पर दावा पेश नहीं कर सकती। जानकारी के मुताबिक राज्यभर के मिशनरीज होम्स में ऐसे 280 बच्चों का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

लोकमत न्यूज के लेटेस्ट यूट्यूब वीडियो और स्पेशल पैकेज के लिए यहाँ क्लिक कर सब्सक्राइब करें।

Web Title: Jharkhand: Missionaries of Charity get 9 Billion Foreign Funds, DGP suggests CBI probe

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे