झारखंड हाईकोर्ट ने छठी JPSC परीक्षा के अंतिम परिणाम को किया रद्द, नये सिरे से रिजल्ट जारी करने के निर्देश
By एस पी सिन्हा | Published: June 7, 2021 02:55 PM2021-06-07T14:55:34+5:302021-06-07T14:59:23+5:30
झारखंड हाई कोर्ट के फैसले के बाद 326 अभ्यर्थियों की नियुक्ति अवैध हो गई है। कोर्ट ने 8 हफ्ते के अंदर नई मेरिट लिस्ट निकालने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने शनिवार को इस मामले पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
रांची:झारखंड हाईकोर्ट ने जेपीएससी (झारखंड लोक सेवा आयोग) द्वारा आयोजित छठी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा के अंतिम परिणाम को रद्द कर दिया है. हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी की पीठ ने छठी जेपीएससी की मेरिट लिस्ट रद्द करते हुए 326 अभ्यर्थियों की नियुक्ति को अवैध करार दिया है.
अदालत ने 8 सप्ताह में नई मेरिट लिस्ट निकालने का आदेश दिया है. इस मामले की चुनौती देनेवाली विभिन्न याचिकाओं पर सोमवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया. इस दौरान अदालत ने माना कि क्वालीफाइंग मार्क्स को कुल प्राप्तांक में जोड़ा जाना गलत है. इसलिए अदालत ने जेपीसी के अंतिम परिणाम को रद्द कर दिया.
इस मामले में कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को इस मामले में संज्ञान लेते हुए जेपीएससी की ओर से जारी अंतिम परिणाम में गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच करते हुए कार्रवाई करना चाहिए. कोर्ट ने क्वालीफाइंग विषय हिंदी के अंक को मेरिट लिस्ट में शामिल करने को कोर्ट ने गलत बताया है.
कोर्ट ने कहा है कि जेपीएससी के नियमों में क्वालीफाइंग मार्कस के मेरिट लिस्ट में शामिल करने का प्रावधान नहीं था, लेकिन इस अंक को शामिल करने के बाद मेरिट लिस्ट तैयार किया गया जो गलत है. इस मामले में न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसके द्विवेदी की एकलपीठ ने सभी पक्षों की सुनवाई पूरी करने के बाद शनिवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
JPSC Result: क्या है पूरा मामला
बता दें कि इस संबंध में झारखंड हाईकोर्ट में दिलीप कुमार सिंह सहित कई अन्य याचिकाएं दाखिल की गई थी. इनमें छठी जेपीएससी के अंतिम परिणाम को गलत बताते हुए उसे निरस्त करने की मांग की गई थी.
दरअसल, जेपीएससी ने पेपर वन (हिंदी व अंग्रेजी) के क्वालिफाइंग अंक को कुल प्राप्तांक में जोड़ दिया है. इससे वैसे अभ्यर्थी मेरिट सूची से बाहर हो गए है, जिन्हें अन्य पेपर में ज्यादा अंक मिले हैं. जबकि यह विज्ञापन की शर्तों का उल्लंघन है.
विज्ञापन में पेपर वन में सिर्फ पास होने का अंक लाना था, जिसे प्राप्तांक में नहीं जोडा जाना था. लेकिन जेपीएससी ने इसे भी कुल प्राप्तांक में जोड़ कर परिणाम जारी किया है.
बताया जाता है कि 16 विभिन्न याचिकाओं पर अदालत द्वारा तीन फरवरी से लगातार सुनवाई की जा रही थी. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन व जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पक्ष रखा था.
उन्होंने प्रार्थियों की दलील का विरोध करते हुए अदालत को बताया था कि जेपीएससी ने विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप छठी सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट जारी किया था. इस रिजल्ट के आधार पर 326 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया. रिजल्ट प्रकाशित करने के बाद नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को अनुशंसा भेजी गई.
जेपीएससी के रिजल्ट में गड़बड़ियों का आरोप
वहीं सुनवाई के दौरान प्रार्थियों का कहना था कि छठी जेपीएससी के रिजल्ट में काफी गडबड़ियां हैं. क्वालिफाइंग पेपर का अंक जोडकर जेपीएससी ने फाइनल रिजल्ट जारी किया, जो गलत है. इसके अलावा रिजल्ट तैयार करने में और कई गडबड़ी की गई है. इस मामले में अदालत ने सफल अभ्यर्थियों को भी प्रतिवादी बनाया था.
इस मामले में सुनवाइ के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जेपीएससी दोबारा रिजल्ट जारी करें जिसमें पेपर वन (हिंदी व अंग्रेजी) क्वालीफाइंग मार्क्स को ना जोड़ा जाए.
वहीं, पांच अन्य पेपर में न्यूनतम अंक पाने वाले को ही पास घोषित किया जाय. इसके साथ ही कोर्ट के सख्त रवैये से अब उन पदाधिकारियों की नौकरी खतरे में पड़ गई है, जिन्होंने मनमाने तरीके से रिजल्ट तैयार किया था.