चारा घोटालाः राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बढ़ी मुश्किलें, जमानत याचिका पर सीबीआई ने कसा डोर, हलफनामा देकर किया विरोध

By एस पी सिन्हा | Published: September 15, 2020 02:24 PM2020-09-15T14:24:18+5:302020-09-15T14:24:18+5:30

प्राप्त जानकारी के अनुसार सीबीआई ने सीआरपीसी की धारा 427 को इसका आधार बनाया है. सीआरपीसी की धारा 427 में प्रावधान उन परिस्थितियों से संबंधित है, जहां पहले से ही सजा भुगत रहे दोषी को दूसरे अपराध में सजा सुनायी जाये.

jharkhand Fodder scam case RJD chief Lalu Yadav Bihar increased problems CBI protests on bail plea | चारा घोटालाः राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बढ़ी मुश्किलें, जमानत याचिका पर सीबीआई ने कसा डोर, हलफनामा देकर किया विरोध

कोर्ट ने सभी सजा एक साथ चलाने का आदेश नहीं दिया है. इस कारण सभी सजा एक साथ नहीं चल सकती.  (file photo)

Highlightsइसमें किसी भी मामले में सजा की अवधि पूरी नहीं होने का तर्क देकर सीबीआई ने अदालत में लालू की जमानत का विरोध किया है.लालू यादव के वकील ने यह दावा किया था कि अक्टूबर में लालू यादव को बेल मिल सकती है. धारा 427 (1) में कहा गया है कि बाद की सजा आमतौर पर पिछले सजा की निरंतरता में यानी क्रमवार होती है.

रांचीः चारा घोटाले के मामलों में सजायाफ्ता राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. लालू यादव की ओर से दायर की गई जमानत के खिलाफ सीबीआई ने हलफनामा दायर कर उनकी मुश्किलें बढ़ा दी है.

लालू यादव के वकील ने यह दावा किया था कि अक्टूबर में लालू यादव को बेल मिल सकती है. लेकिन अब सीबीआई ने इस मामलों में जमानत रोकने के लिए अदालत में हलफनामा दिया है. इसमें किसी भी मामले में सजा की अवधि पूरी नहीं होने का तर्क देकर सीबीआई ने अदालत में लालू की जमानत का विरोध किया है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार सीबीआई ने सीआरपीसी की धारा 427 को इसका आधार बनाया है. सीआरपीसी की धारा 427 में प्रावधान उन परिस्थितियों से संबंधित है, जहां पहले से ही सजा भुगत रहे दोषी को दूसरे अपराध में सजा सुनायी जाये.

सजा आमतौर पर पिछले सजा की निरंतरता में यानी क्रमवार होती

धारा 427 (1) में कहा गया है कि बाद की सजा आमतौर पर पिछले सजा की निरंतरता में यानी क्रमवार होती है. अर्थात् बाद की सजा पिछली सजा की समाप्ति के बाद ही शुरू होगी. हालांकि, सजा देनेवाली अदालत यह निर्दिष्ट कर सकती है कि बाद की सजा पिछली सजा के साथ समवर्ती रूप से चलेगी. जब तक सजा देनेवाली अदालत यह निर्दिष्ट नहीं करती, तब तक बाद के वाक्य को 'क्रमवार' माना जायेगा.

चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू की जमानत याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में नौ अक्टूबर को होने वाली सुनवाई को लेकर सीबीआई ने अपना पक्ष हाईकोर्ट में दाखिल कर दिया है. सीबीआई के अनुसार, लालू प्रसाद को चार मामले में अलग-अलग सजा हुई है. लेकिन कोर्ट ने सभी सजा एक साथ चलाने का आदेश नहीं दिया है. इस कारण सभी सजा एक साथ नहीं चल सकती. 

चारा घोटाले के चार मामलों में लालू प्रसाद यादव को दोषी करार देते हुए सजा सुनायी गई है. किसी भी आदेश में सभी सजा एक साथ चलाने का उल्लेख नहीं किया गया है. इस कारण लालू प्रसाद यादव पर यह धारा लागू होती है और जब तक एक सजा की पूरी अवधि वह हिरासत में व्यतीत नहीं कर लेते, दूसरी सजा लागू नहीं हो सकती.

लालू प्रसाद यादव की यह दलील की उन्होंने आधी सजा काट ली

इस आधार पर लालू प्रसाद यादव की यह दलील की उन्होंने आधी सजा काट ली है, सही नहीं है और उन्हें जमानत प्रदान नहीं की जा सकती. हालांकि, सीबीआई के इस हलफनामे पर लालू प्रसाद यादव की ओर से इसका विरोध भी किया जा रहा है. इसमें कहा गया है कि सीबीआई ने चारा घोटाले के किसी मामले में यह मुद्दा नहीं उठाया है.

हाईकोर्ट पूर्व में लालू प्रसाद यादव को दो मामले में आधी सजा काटने पर जमानत दे चुका है. इस कारण सीबीआई की ओर से दी गई यह दलील सही नहीं है. यहां बता दें कि झारखंड में चारा घोटाले के पांच मामलों में लालू प्रसाद यादव आरोपी हैं. चार मामलों में उन्हें सजा सुनाई गई है, जबकि डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सुनवाई जारी है. देवघर और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में उन्हें जमानत मिल गई है.

Web Title: jharkhand Fodder scam case RJD chief Lalu Yadav Bihar increased problems CBI protests on bail plea

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे