लोकनीति-CSDS पोस्ट पोल सर्वे: झारखंड के लोग नरेंद्र मोदी सरकार से असंतुष्ट, हेमंत सोरेन को देखना चाहते थे मुख्यमंत्री
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 26, 2019 01:55 PM2019-12-26T13:55:06+5:302019-12-26T14:05:46+5:30
लोकनीति-सीएसडीएस के पोस्ट पोल सर्वे के मुताबिक झारखंड में नरेंद्र मोदी सरकार की लोकप्रियता कम हुई है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 5 वोटरो में से दो ने विधानसभा चुनाव में वोट नहीं किया.
झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी ने 47 सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को सत्ता से बाहर कर दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में 37 सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई। बीजेपी की हार को लेकर पार्टी में मंथन जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का कहना है कि पार्टी के जयचंदों ने बीजेपी को राज्य की सत्ता से बाहर कर दिया।
लोकनीति-सीएसडीएस के पोस्ट पोल सर्वे के अनुसार इस बार चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों से ज्यादा प्रभावी स्थानीय मुद्दे रहे। बेरोजगारी-महंगाई के मुद्दे पर लोगों ने वोट किया। जहां इस चुनाव में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने राम मंदिर निर्माण को प्रमुख मुद्दा बनाया, वहीं कांग्रेस गठबंधन ने बेरोजगारी-महंगाई के आंकड़ों को जनता के सामने रखा।
आर्थिक मुद्दे रहे पहली प्राथमिकता
आर्थिक मुद्दे (बेरोजगारी, महंगाई इत्यादि)-43 फीसदी
शिक्षा एवं स्वास्थ्य-10 फीसदी
विकास एवं सुशासन-10 फीसदी
भ्रष्टाचार- 9 फीसदी
बुनियादी जरूरतें (पानी-बिजली)-7 फीसदी
केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद से ही सभी प्रदेशों में चुनाव में ऐसा देखा गया कि चुनाव राष्ट्रीय मुद्दे पर लड़े गए। कई राज्यों में बीजेपी ने मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं करके पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा। हालांकि पिछले एक साल में स्थितियां बदली है। सर्वे के अनुसार इस चुनाव में झारखंड के सिर्फ 47 फीसदी लोग ही मोदी सरकार से संतुष्ट थे। इसका असर चुनाव परिणामों पर भी पड़ा। पीएम मोदी ने झारखंड चुनाव में 9 जगहों पर रैलियां की थी जिसमें पांच जगह बीजेपी उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा।
क्या आप केंद्र की भाजपा/एनडीए सरकार के कामकाम से संतुष्ट हैं?
मोदी सरकार से पूर्ण संतुष्ट-15 फीसदी
कुछ हद तक संतुष्ट-32 फीसदी
थोड़ा असंतुष्ट-32 फीसदी
पूरी तरह अंसतुष्ट-15 फीसदी
कोई प्रतिक्रिया नहीं-5 फीसदी
लोकसभा चुनाव 2014 में मिली जीत के बाद बीजेपी नेतृत्व ने महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड चुनावों में अलग प्रयोग किया। इन राज्यों में बीजेपी ने ताकतवर समुदाय की जगह अन्य समुदाय के नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया। झारखंड में पिछले पांच सालों ने विपक्षी दलों ने लगातार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री का मुद्दा उठाया। रघुवर दास ओबीसी समुदाय से आते हैं। इस बार आदिवासी मुख्यमंत्री के मुद्दा झारखंड में हावी रहा। करीब डेढ़ साल मुख्यमंत्री रह चुके हेमंत सोरेन को 21 फीसदी लोग मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते थे।
झारखंड का मुख्यमंत्री किसे देखना चाहते हैं?
हेमंत सोरेन-21%
रघुवर दास-14
अर्जुन मुंडा-10%
कोई भी चलेगा-10%
कह नहीं सकते-10%
अन्य-8%
सुदेश महतो-6%
बाबूलाल मरांडी-5%
बीजेपी से कोई अन्य चलेगा-5%
झारखंड में इस बार जनता रघुवर दास से ज्यादा खुश नहीं थी। सिर्फ 39 फीसदी लोग ही दास के कामकाज से संतुष्ट थे। झारखंड के लोगों की नाराजगी के चलते दास खुद अपनी सीट नहीं बचा पाए। जमशेदपुर पूर्व सीट पर उन्हें बीजेपी के ही बागी नेता सरयू राय ने करीब 15 हजार वोटों से शिकस्त दी।
रघुवर दास के कामकाज से ज्यादा खुश नहीं थे मतदाता
पूरी तरह संतुष्ट-13 फीसदी
कुछ हद तक संतुष्ट-26 फीसदी
थोड़ा असंतुष्ट-31 फीसदी
पूरी तरह अंसुतष्ट-24 फीसदी
कोई प्रतिक्रिया नहीं-6 फीसदी
प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में बीजेपी को आदिवासी वोटों में काफी नुकसान उठाना पड़ा। लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को जो आदिवासी वोट मिले थे उनमें से आधे ही वह इस विधानसभा चुनाव में पा सकी। संथाल और मुंडा के अलावा उरांव और अन्य आदिवासियों में भाजपा का वोट शेयर काफी गिरा।
(सीएसडीएस-लोकनीति का पोस्ट पोल सर्वे)