सीएम हेमंत सोरेन के भाई और झामुमो विधायक बसंत भी मुसीबत में, निर्वाचन आयोग ने राजभवन को सौंपा लिफाफा, जानें मामला
By एस पी सिन्हा | Published: September 10, 2022 06:39 PM2022-09-10T18:39:35+5:302022-09-10T18:40:41+5:30
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामले में भी आयोग का मंतव्य राजभवन को सौंपा जा चुका है। झामुमो ने भाजपा पर ठीकरा फोड़ते हुए राजभवन पर निशाना साधा।
रांचीः झारखंड में पिछले एक पखवारे से जारी राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल अभी भी कायम है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता को लेकर अनिर्णय की स्थिति बनी हुई है। इसबीच, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई और दुमका से झामुमो विधायक बसंत सोरेन के मामले में भी भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने सुनवाई पूरी करने के बाद अपना मंतव्य राजभवन को सौंप दिया है।
विशेष दूत से सीलबंद लिफाफे में आयोग का मंतव्य शुक्रवार शाम राजभवन पहुंचा है। सूत्रों के अनुसार बसंत सोरेन के खनन कंपनी में साझेदार होने के आरोपों के संबंध में समुचित तथ्य नहीं मिले हैं। इस कारण आयोग ने फैसला राज्यपाल पर छोड़ा है। बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामले में भी आयोग का मंतव्य राजभवन को सौंपा जा चुका है।
इसबीच सत्तारूढ़ झामुमो ने एक बार फिर वर्तमान सियासी हालात के लिए भाजपा पर ठीकरा फोड़ते हुए राजभवन पर निशाना साधा। मोर्चा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि 15 दिन बीत चुके हैं। ऐसे में अब राज्यपाल को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। राज्यपाल रमेश बैस ने अभी तक इसपर कोई निर्णय नहीं लिया है।
साथ ही इस मामले में राजभवन की चुप्पी अभी भी बरकरार है। राज्यपाल रमेश बैस छह दिनों तक दिल्ली में रहने के बाद गुरुवार को रांची लौट आए हैं। उनके लौटने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि सदस्यता मामले में राजभवन द्वारा कोई निर्णय लिया जाएगा। अब फैसले का इंतजार किया जा रहा है।