झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र खत्म, लिए गए ये बड़े फैसले

By एस पी सिन्हा | Published: July 21, 2018 07:54 PM2018-07-21T19:54:48+5:302018-07-21T19:54:48+5:30

झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन की कार्यवाही शुरु होने से पहले विपक्ष ने सदन के मेन गेट के सामने हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया।

Jharkhand Assembly monsoon session ends, these big decisions taken | झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र खत्म, लिए गए ये बड़े फैसले

झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र खत्म, लिए गए ये बड़े फैसले

रांची,21 जुलाई: झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र का आज अंतिम दिन रहा। हंगामेदार रही इस सत्र की कार्यवाही आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इस दौरान आज मुख्यमंत्री रघुवर दास और नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन के बीच जमकर जुबानी जंग चली। कार्यवाही के दौरान सदन के भीतर छींटाकशी का दौर आज भी जारी रहा। 

प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि जिस तरीके से मोहम्मद गजनवी ने देश के मंदिरों को लूटा था उसी तरह यहां की सरकार झारखंड को लूट रही है। हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को प्रवासी बताया। वहीं, संसदीय कार्य मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने मुख्यमंत्री का बचाव करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की जन्मभूमि और कर्मभूमि से सभी वाकिफ हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने खुद कमान संभाल ली और उन्होंने हेमंत सोरेन का नाम लिए बगैर कहा कि जिसने राज्य को लूटा वह उपदेश दे रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएनटी और एसपीटी एक्ट का उल्लंघन सबसे ज्यादा किसने किया है? यह सभी जानते हैं। मुख्यमंत्री के यह कहते हीं झामुमो विधायक वेल में चले आए और हंगामा करने लगे। इसी बीच हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारा जमीन और हम ही लूटेंगे? यह क्या बात हुई? इस दौरान सदन में हो हंगामा जारी रहा।

प्रश्नकाल में विपक्ष ने लगाई सवालों की झड़ी

मानसून सत्र के आज आखिरी दिन झारखंड विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने आसन पर ही संचालन के तौर-तरीके को लेकर सवाल खडे़ कर दिए। उन्होंने अपने विधानसभा अध्यक्ष के कार्यकाल का हवाला दिया। सीपी सिंह ने कहा कि करीब साढे तीन साल मैंने भी सदन चलाया है और मैं प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली के अर्थ को बखूबी समझता हूं। उनकी आपत्ति इस बात पर थी कि प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष द्वारा स्कूलों के मर्जर को लेकर उठाए गए सवाल पर सरकार से जवाब लेने का कोई औचित्य नहीं था। सीपी सिंह ने कहा कि क्या मामला जनसरोकार से जुडा हुआ है? प्रश्नकाल के बजाय इस पर दूसरी पाली में बस कराया जाना बेहतर होता। वहीं, स्पीकर डॉक्टर दिनेश उरांव ने भी सीपी सिंह के बयान पर फौरन प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सदन चलाना मेरी जागीरदारी नहीं है। मैं भी नियम और कायदे कानून जानता हूं। उन्होंने कहा कि यहां कोई भी नियम फॉलो नहीं हो रहा है, जिसे जनता देख रही है। इस वाकयुद्ध के पहले मंत्री अमर बाउरी ने कुछ टिप्पणी की थी जिस पर स्पीकर ने नाराज होते हुए कहा था कि अगर हम बोलने लगेंगे तो दिक्कत हो जाएगा। तब अमर बाउरी ने खेद प्रकट किया था।

कार्यवाही शुरू होने से पहले विरोध प्रदर्शन

झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन की कार्यवाही शुरु होने से पहले विपक्ष ने सदन के मेन गेट के सामने हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया। विपक्ष ने शिक्षा की गुणवत्ता का हवाला देकर सरकार की ओर से स्कूलों के मर्जर को लेकर उठाए जा रहे कदम का विरोध किया। भाकपा- माले के विधायक राजकुमार यादव ने सदन के बाहर कहा कि झारखंड में शिक्षा का स्तर राष्ट्रीय औसत से बहुत नीचे चला गया है। लिहाजा सरकार को शिक्षक और छात्र के अनुपात का हवाला देकर स्कूलों के मर्जर के फैसले को वापस लेना चाहिए। इसपर सूबे कि शिक्षामंत्री नीरा यादव ने कहा कि मर्जर के फैसले से पहले स्थानीय विधायकों और सांसदों से भी फीडबैक लिए गए थे। उन्होंने कहा कि कई स्कूलों में 3 छात्रों पर 2 शिक्षक जबकि कई स्कूलों में ज्यादा छात्रों के बावजूद कम शिक्षक होने से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी।

स्कूलों पर लगे नियम

वहीं, जेवीएम के विधायक प्रदीप यादव ने स्कूलों के मर्जर के खिलाफ विशेष चर्चा के लिए कार्यस्थगन लाया। जिसे स्पीकर ने अमान्य करार दिया। वहीं सत्ता पक्ष की ओर से भाजपा विधायक राधाकृष्ण किशोर और रामकुमार पाहन ने भी इस मसले पर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया।

दोनों ने बताया कि झारखंड की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए कई ऐसी जगह स्कूल खोले गए जहां शिक्षक और बच्चे के अनुपात को आधार बनाकर मर्ज करना सही नहीं रहेगा। पहाडी क्षेत्रों में और उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में जो स्कूल संचालित हो रहे हैं वहां अगर कम बच्चे भी हो तो उसे बंद कर दूसरे स्कूल में शिफ्ट करने से उन इलाकों के बच्चों की पढाई प्रभावित होगी। सदन के भीतर विपक्ष ने जब शिक्षा के स्तर में राष्ट्रीय औसत से भारी कमी का मसला उठा तो संसदीय कार्य मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने विपक्ष को आडे हाथों लिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का राष्ट्रीय औसत 72 प्रतिशत है। जबकि झारखंड में शिक्षा का औसत 65 प्रतिशत है। लिहाजा विपक्ष बेतूका बात कर रहा है।

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Web Title: Jharkhand Assembly monsoon session ends, these big decisions taken

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