झारखंड विधानसभा चुनाव: नहीं थम रहा प्रदेश कांग्रेस का अंदरूनी विवाद, सभी नेता एक दूसरे को निपटाने में जुटे

By एस पी सिन्हा | Published: August 25, 2019 05:08 AM2019-08-25T05:08:32+5:302019-08-25T05:08:32+5:30

उल्लेखनीय है कि करीब तीन माह में विधानसभा चुनाव होने को हैं. चुनाव आयोग कभी भी आचार संहिता की घोषणा कर सकता है, लेकिन पार्टी में जो सुस्ती है, उससे सभी कार्यकर्ताओं में हताशा बढती जा रही है.

Jharkhand Assembly Elections: State Congress's internal dispute is not stopping, all leaders are busy settling each other | झारखंड विधानसभा चुनाव: नहीं थम रहा प्रदेश कांग्रेस का अंदरूनी विवाद, सभी नेता एक दूसरे को निपटाने में जुटे

झारखंड विधानसभा चुनाव: नहीं थम रहा प्रदेश कांग्रेस का अंदरूनी विवाद, सभी नेता एक दूसरे को निपटाने में जुटे

इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद झारखंड कांग्रेस में शुरू हुआ किचकिच थमता नजर नहीं आ रहा है. इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में दो गुटों की लडाई अब खुलकर सामने आ गई है. पिछले दिनों कांग्रेस के अंदर नेताओं के बीच संघर्ष का जो दौर शुरू हुआ था, उसका असर विधानसभा चुनाव की तैयारी पर साफ तौर पर देखा जा रहा है. 

उल्लेखनीय है कि करीब तीन माह में विधानसभा चुनाव होने को हैं. चुनाव आयोग कभी भी आचार संहिता की घोषणा कर सकता है, लेकिन पार्टी में जो सुस्ती है, उससे सभी कार्यकर्ताओं में हताशा बढती जा रही है. प्रदेश महिला कांग्रेस से पांच नेताओं के निष्कासन के बाद पार्टी में घमासान छिड गया है.

निष्कासित पांचों महिला नेताओं ने झारखंड प्रभारी नेटा डिसूजा और प्रदेश अध्यक्ष गुंजन सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं. वहीं गुंजन सिंह ने इसे सिरे से खारिज किया है और निष्कासन से बचने का हथकंडा बताया है. वहीं, राज्य में सत्तारूढ दल भाजपा लगातार अपनी योजनाओं से लाभुकों को आकर्षित करने में लगी है. जबकि विपक्ष में रहने का दावा करने वाली कांग्रेस के तरफ से चुनाव की कोई सुगबुगाहट ही नहीं दिख रही है. जमीनी स्तर पर पार्टी हित में काम करने वाले कार्यकर्ताओं को समझ ही नहीं आ रहा है कि तैयारी शुरू भी करें, तो कैसे? 

वहीं, कुछ नेता तो यह भी कहने से परहेज नहीं कर रहे हैं कि पार्टी मर चुकी है. कुछ कह रहे कि भगवान जाने, पार्टी का क्या होगा? हालात यह है कि वरिष्ठ नेताओं की लडाई का खामियाजा कार्यकर्ता और पार्टी भुगत रहे हैं. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नही छापने के शर्त पर कहा कि लगता ही नहीं कि पार्टी में जान बची है. न कोई चुनाव की तैयारी, न ही प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय.

अपने हित की पूर्ति के लिए वरिष्ठ नेताओं द्वारा शुरू की गई शीर्ष नेतृत्व से लडाई का खामियाजा आज कार्यकर्ता और पार्टी भुगत रही हैं. महागठबंधन में चुनाव लडें या अकेले, यह कार्यकर्ता को बताना चाहिए. कहीं ऐसा न हो कि अचानक शीर्ष नेतृत्व सामने आकर बोले कि पार्टी महागठबंधन में चुनाव लडेगी, तो कार्यकर्ता को समझ ही नहीं आ पायेगा कि करे तो क्या करें? अगर यह समझ में आ भी जाये तो लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी सीट बंटवारे में परेशानी आनी तय है.

कांग्रेस की वर्तमान स्थिति पर एक जिलाध्यक्ष ने कहा कि पार्टी किस दिशा में काम कर रही, यह समझ ही नहीं आ रहा है. विधानसभा चुनाव को देख हमलोग चाह रहे है कि कुछ करें, लेकिन प्रदेश नेतृत्व से कुछ गाइडलाइन भी नहीं आ रही है. अगर चुनाव में कुछ करना है तो चाहिए कि तीन-चार लोगों की टीम प्रत्येक जिले में भेजी जाय. लेकिन सभी नेता सुस्त पडे हैं. जिलाध्यक्ष ने कहा कि जल्द ही कुछ जिलाध्यक्षों की एक टीम केंद्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली जायेगी.


प्रदेश महिला कांग्रेस से निष्कासित संगीता तिवारी ने कहा कि पार्टी में कार्यकर्ताओं की कमी है. वहीं दूसरी ओर कर्मठ पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं को निकाला जा रहा है. प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष गुंजन सिंह पदाधिकारियों के साथ बदसलूकी करती हैं और गलत काम के लिए दबाव डालती हैं. जो लोग इसका विरोध करते हैं, उन्हें पार्टी से निष्कासन की धमकी देती हैं.

उन्होंने महिला कांग्रेस की झारखंड प्रभारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि आगे बढने और पार्टी के टिकट के लिए वे प्रदेश अध्यक्ष की बात मानने का दवाब डालती हैं. संगीता तिवारी ने पार्टी आलाकमान से इस मामले की जांच कराने और नेटा डिसूजा व गुंजन सिंह पर कार्रवाई की मांग की है. प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष गुंजन सिंह ने आरोपों को निराधार और वास्तविकता से परे बताया है.

उन्होंने कहा कि पार्टी से निष्कासित महिलाएं निष्कासन से बचने के लिए संगठन नेतृत्व के विद्ध झूठा आरोप लगा रही हैं. इन महिलाओं ने लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी के विरोध में काम किया था. विपक्षी दलों से सरोकार कर संगठन को क्षति पहुंचाने का भी काम कर चुकी हैं. उन्होंने कहा कि इन पांचों महिलाओं को पार्टी की सदस्यता से स्थाई रूप से निष्कासित कर दिया गया है और भविष्य में उन्हें संगठन में किसी भी प्रकार की जिम्मेवारी नहीं देने की अनुशंसा राष्ट्रीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव से की गई है.   


सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के दोनों पक्षों को दिल्ली तलब किया गया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार के खिलाफ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. प्रदीप बालमुचू और रांची के सांसद रहे सुबोधकांत सहाय ने बिगुल फूंक दिया है. बागी गुट जहां कांग्रेस अध्यक्ष को हटाने की मांग कर रहा है, वहीं डॉ. अजय ने बागी गुट के दो नेताओं सुरेंद्र सिंह और राकेश सिन्हा को पार्टी से निलंबित कर उनके आक्रोश को और हवा दे दी.

निलंबित दोनों नेता सुबोधकांत सहाय के नजदीकी माने जाते हैं. इस साल झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के लेकर जहां अन्य दल तैयारी में जुट गए हैं, वहीं कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी हाल ही में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कांग्रेस की हो रही बैठक में हंगामे को देखते हुए कांग्रेस दफ्तर के आसपास बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किया गया था. यहां तक कि बागी गुट के नेताओं द्वारा प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी की गई. बागी गुट के नेताओं को हटाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. 


इसबीच, डॉ. बालमुचू ने डॉ. अजय की आलोचना करते हुए कहा कि डॉक्टर साहब को राजनीति की नब्ज टटोलने नहीं आती. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लडना पार्टी का दुभार्ग्य होगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश नेतृत्व अबतक लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा नहीं कर पाई है, तो अब खामियों को दूर कर विधानसभा चुनाव में राह आसान करने की कोशिश कैसे शुरू हो सकेगी? उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष को बाहरी बताते हुए कहा कि 'पार्ट टाइम जॉब' वाले से पार्टी नहीं चलती. काम भी नहीं करेंगे और अध्यक्ष भी बने रहेंगे. अब ऐसा नहीं चलेगा. दो माह बाद विधानसभा चुनाव है. उन्होंने कहा कि आलाकमान किसी भी झारखंडी को अध्यक्ष बना दे. वहीं, कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि डॉ. अजय को जब प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था, पार्टी के लोगों को लगा था कि अपने प्रबंधकीय कौशल का उपयोग वह पार्टी को मजबूत करने में करेंगे. लेकिन जल्द ही कांग्रेस के पुराने नेताओं-कार्यकर्ताओं को पता चल गया कि डॉ. अजय कुमार अब तक आईपीएस अधिकारी की मानसिकता से बाहर नहीं निकल सके हैं.  


वैसे यह कोई पहली बार नहीं है कि कांग्रेस किसी नौकरशाह को परख रहा हो. इससे पहले भी कांग्रेस ने डॉ. रामेश्वर उरांव, सुखदेव भगत, विनोद किसपोट्टा, डॉ. अरुण उरांव, बेंजामिन लकडा जैसे पूर्व नौकरशाहों को पार्टी ने परखा था और इन नेताओं ने पार्टी को गति दी थी. प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कहते हैं कि पार्टी कायार्लय में जो भी हुआ, वह भाडे के लोगों की मदद से किया गया. उन्होंने कहा कि जो भी नेता पार्टी के विरोध में कार्य कर रहे हैं, उनके खिलाफ रिपोर्ट तैयार की जा रही है. उनके खिलाफ आलाकमान से कार्रवाई की मांग करेंगे. वहीं, अजय कुमार ने बिना किसी के नाम लिए कहा कि मैंने खून दिया है, जबकि इनलोगों ने खून चूसा है. ये लोग खुद और अपने बेटे-बेटी के लिए टिकट चाहते हैं, इसलिए बवाल करते हैं. बहुत हुआ, अब कार्रवाई होगी. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने प्रदेश अध्यक्ष के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अध्यक्ष के कारण राज्य के कार्यकर्ता असमंजस में हैं. यहां पर कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्वकर्ता कहां हैं, किसी को नहीं मालूम. कौन नेतृत्व कर रहा है, यह भी कार्यकर्ताओं को पता नहीं चल पा रहा है. इससे कांग्रेस के लोग असमंजस में हैं. पुराने कार्यकर्ता चुप बैठे हैं. यह पार्टी के हित में नहीं है.

Web Title: Jharkhand Assembly Elections: State Congress's internal dispute is not stopping, all leaders are busy settling each other

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