झारखंड विधानसभा चुनाव: दूसरे चरण के लिए थमा प्रचार, 7 दिसंबर को 20 सीटों पर मतदान
By एस पी सिन्हा | Published: December 6, 2019 12:20 AM2019-12-06T00:20:23+5:302019-12-06T00:20:23+5:30
पिछले चुनाव में भाजपा विपक्षी दलों के बिखराव के बाद भी इस इलाके में झामुमो से ज्यादा सीटें नहीं जीत सकी थी.
झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की 20 सीटों पर 7 दिसंबर को मतदान होंगे. ऐसे में दूसरे चरण के चुनाव के लिए प्रचार आज शाम समाप्त हो गया. जहां भाजपा की तरफ से प्रचार की कमान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह संभाले हुए थे, जबकि कांग्रेस पार्टी की और से पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पहली चुनावी सभा को सिमडेगा में संबोधित किया. यह चरण भाजपा और झामुमो के लिए काफी चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है.
यहां उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में भाजपा विपक्षी दलों के बिखराव के बाद भी इस इलाके में झामुमो से ज्यादा सीटें नहीं जीत सकी थी. जबकि, इस बार भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी रही आजसू अलग-अलग किस्मत आजमा रही हैं तो झमुमो के नेतृत्व में विपक्ष दल एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरे हैं. बदले हुए सियासी समीकरण के बीच दूसरे चरण का चुनाव काफी दिलचस्प बन गया है. दूसरे चरण के नॉमिनेशन और एफिडेविट के विश्लेषण पर आधारित एडीआर की रिपोर्ट से साफ है कि जीत दिलवाने की गारंटी देने वाले अपराधी और अमीर बैकग्राउंड के उम्मीदवार को मैदान में उतारने से किसी भी दल को न तो कोई परहेज है और न ही कोई गुरेज.
एडीआर के रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में दूसरे चरण के चुनाव में ताल ठोक रहे 260 उम्मीदवारों में से 67 दागी हैं. यानी 26 प्रतिशत दागी उम्मीदवार हैं. इनमें 44 यानी 17 फीसदी पर संगीन मामले दर्ज हैं. दिलचस्प बात यह है कि गरीब झारखंड के राजनेताओं ने खुद ही अपने अमीर होने की घोषणा अपने एफिडेविट में की है. वहीं, दूसरे चरण के चुनाव में राज्य पुलिस मुख्यालय ने 1844 मतदान केंद्रों को अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रखा है. सर्वाधिक अतिसंवेदनशील सीटें चाईबासा व सरायकेला- खरसांवा जिले में है. दूसरे चरण के लिए भी 2113 अतिसंवेदनशील सीटों को चिन्हित किया गया है.
यहां बता दें कि झारखंड विधानसभा के दूसरे चरण में कोल्हान व दक्षिणी छोटानागपुर जोन की 20 सीटों पर चुनाव होना है. 20 में से 15 सीटे गंभीर नक्सल प्रभाव क्षेत्र में हैं. सरायकेला इलाके में पोस्टर लगाकर नक्सली वोट बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं. दूसरे चरण में वह इलाका आता है जहां अभी भाकपा माओवादियों के शीर्ष चार एक करोड के ईनामी उग्रवादियों के अलावे महाराज प्रमाणिक, अमित मुंडा, जीवन कंडुलना जैसे बड़े उग्रवादी चुनौती बन सक्रिय हैं. महाराज प्रमाणिक के दस्ते के साथ पहले चरण के चुनाव के पूर्व कुचाई में पुलिस के साथ मुठभेड भी हो चुकी है. दूसरे चरण के चुनाव में पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर, मनोहरपुर, चाईबासा, जगन्नाथपुर, मझगांव, सरायकेला- खरसावां जिले के खरसावां, सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम के बहरागोडा, घाटशिला, पोटका व जुगसलाई, रांची के तमाड व मांडर, खूंटी के तोरपा व खूंटी का ग्रामीण इलाका नक्सल प्रभाव वाले इलाके में आता है.
पश्चिमी सिंहभूम के पौडैयाहाट, सारंडा में लगातार नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली है. यहां भी भाकपा माओवादियों का मोटरसाइकिल दस्ता पुलिस के लिए चुनौती बन रहा है. जबकि सारंडा के इलाके में एक करोड के ईनामी प्रशांत बोस का दस्ता उसकी प्रोटेक्शन टीम के साथ है. पौडैयाहाट में जीवन कंडुलना जैसे खतरनाक माओवादी की मौजूदगी रही है. वह इलाके में काफी असरदार भी रहा है. सारंडा में ही भाकपा माओवादियों के टेक्निकल एक्सपर्ट टेक विश्वनाथ उर्फ संतोष की मौजूदगी को लेकर विशेष शाखा लगातार रिपोर्ट करते रही है. विश्वनाथ ने कई नक्सल प्रभाव वाले इलाकों की आईइडी से घेराबंदी की है, साथ ही युवाओं को भी आईइडी के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी है.
पुलिस को सरायकेला- खरसांवा में शांतिपूर्ण चुनाव कराने की सर्वाधिक चिंता है. सरायकेला- खरसांवा में बीते लोकसभा चुनाव में कुल नौ विस्फोट हुए थे. खरसावां में भाजपा के कार्यालय को भी माओवादियों ने उडाया था. इस बार भी सरायकेला में चुनाव बहिष्कार का पोस्टर लगाकर माओवादियों ने अपने इरादे जता दिये हैं. सरायकेला में एक करोड का इनामी पतिराम मांझी उर्फ अनल अपने दस्ते के साथ है. पतिराम के साथ ही अलग अलग गांवों में महाराज व अमित का दस्ता घूम रहा है. जबकि अमित के दस्ते की सक्रियता सरायकेला जिले के कुचाई से सटे रांची के तमाड में रही है. बीते चुनाव में रातों रात माओवादियों के डर से तमाड के अरहंजा का बूथ रिलोकेट किया गया था.
जिसकी वजह से माओवादियों ने बाद में चुनाव के दिन ही एक ट्रैक्टर को आग के हवाले कर दिया था. दूसरे चरण में भाकपा माओवादियों के अलावे पीएलएफआई के गढ में भी चुनाव होना है. इसका प्रभाव खूंटी, सिमडेगा जिले में सर्वाधिक है. खूंटी के तोरपा, तपकरा, कर्रा, मुरहू के अलावे सिमडेगा पीएलएफआई के प्रभाव में है. पीएलएफआई उग्रवादियों के निशाने पर भी राष्ट्रीय पार्टी के लोग होते हैं. ऐसे में पुलिस ने इनसे निबटने के उद्देश्य से पश्चिम बंगाल से विशेष तौर पर अभियान चलाने के लिए सीआरपीएफ की चार कंपनियों को सरायकेला में लगाया है. इसके अलावे 70 से अधिक स्थानीय सशस्त्र बलों की तैनाती भी कोल्हान इलाके में की गई है. दूसरे चरण में 150 से भी अधिक बूथों को रिलोकेट किया गया है.
वहीं, बात करें उम्मीदवारों के संपन्न होने के तो दूसरे चरण में भाग्य आजमा रहे 260 उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 71.68 लाख है. कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक दुबे का आरोप है कि राजनीति के अपराधीकरण और इसमें धनबल का खेल भाजपा का शुरू किया हुआ है. ढुल्लू महतो, भानु प्रताप शाही, सुचित्रा मिश्र हत्या के आरोपी भाजपा के पांकी उम्मीदवार शशि भूषण मेहता, जेल में बंद संजीव सिंह आखिर उन्हें भाजपा का ही तो संरक्षण है.
वहीं दूसरी ओर भाजपा के प्रवक्ता दीनदयाल बर्नवाल ने भी पलटवार करते हुए कांग्रेस से पूछा है कि क्या उसने ऐसे उम्मीदवार को उतारा है जिसके परिवार का गुजारा सब्जी बेचकर होता है? या फिर सामरी लाल या लोकनाथ महतो या फिर कोचे मुंडा जिनके पास कुछ है ही नहीं. ऐसे कितने उम्मीदवार को कांग्रेस ने मौका दिया है?
झारखंड के दूसरे चरण की जिन 20 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उन पर 2014 के चुनाव में आठ-आठ सीटों पर भाजपा और झामुमो ने कब्जा जमाया था. जबकि, दो सीटें आजसू ने जीती थी और दो सीटें अन्य के खाते में गई थी.
भाजपा ने घाटशिला, पोटका, जमशेदपुर पूर्व, जमशेदपुर पश्चिम, खुंटी, मांधर, सिसई और सिमडेगा सीट पर जीत दर्ज किया था. जबकि, झामुमो ने सरायकेला, चायबासा, बरहागोडा, माझगांव, मनोहरपुर चक्रधरपुर, खरसावन और तोरपा सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इसके अलावा तमाड व जुगसलाई सीट आजसू के खाते में गी थी और कोलेबिरा और जगन्नाथपुर अन्य ने जीती थी. लेकिन इस बार के सियासी समीकरण बदले हुए हैं.
दूसरे चरण की 20 विधानसभा सीटों पर 260 प्रत्याशी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. भाजपा के 20, कांग्रेस के 6, झामुमो के 14 और झारखंड विकास मोर्चा के 20 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं. इसके अलावा अन्य प्रमुख दलों में शामिल बसपा के 14, माकपा और भाकपा के तीन, एनसीपी का एक, तृणमूल कांग्रेस के पांच और 73 निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं. वहीं, भाजपा और आजसू के अलग-अलग चुनाव लडने के चलते कई सीटों पर सियासी समीकरण गडबडा गए हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से राजनीतिक स्थितियां बदल गई है. कई विधायक दल-बदल कर दूसरे दल से चुनाव मैदान में हैं, तो कई का टिकट काटा गया है. भाजपा ने अपने मौजूदा आठ सीटों में से चार सीट और झामुमो ने तीन सीट पर नया चेहरा को मैदान में उतारा है.
बता दें कि झामुमो ने अपने आठ विधायकों में से कुणाल षाडंगी पार्टी छोड कर भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में हैं. इन्हें भाजपा छोड कर झामुमो का दामन थामने वाले समीर मोहंती चुनौती दे रहे हैं. भाजपा के खाते में रही आठ मौजूदा सीटों में से चार विधायकों का टिकट काटा गया है. इसमें मंत्री रहे सरयू राय, लक्ष्मण टुडू, गंगोत्री कुजूर व विमला प्रधान शामिल हैं. इनकी जगह भाजपा ने नए चेहरे को मैदान में उतारा है. इसमें देवेंद्र सिंह, देवकुमार धान, सर्वानंद बेसरा और लखन मार्डी शामिल हैं. जबकि जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय इस बार जमशेदपुर पूर्वी सीट से मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड रहे हैं.
वहीं, कांग्रेस ने इस सीट पर गौरव बल्लभ को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. ऐसे में यह सीट रघुवर दास के लिए चुनौती बन गई है. मुख्यमंत्री रघुवर दास, स्पीकर दिनेश उरांव, मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा व विधायक मेनका सरदार फिर से चुनाव मैदान में हैं. जुगसलाई से मंत्री रामचंद्र सहिस एक बार फिर से आजसू के टिकट पर चुनाव लड रहे हैं. कोलेबिरा सीट से एक बार फिर कांग्रेस विधायक नमन विक्सल कोंगाडी चुनाव मैदान में हैं. ऐसे बदले हुए राजनीतिक समीकरण के बीच दूसरे चरण की 20 सीटों पर सियासी संग्राम में भाजपा और झामुमो के लिए अपनी सीटें बचाए रखने के साथ-साथ बढाने की चुनौती है. ऐसे में यह देखने लायक होगा कि दूसरे चरण में किसका पल्ला भारी रहता है?