झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने कसी कमर, 80 प्रतिशत सीटें जीतने का रखा लक्ष्य
By एस पी सिन्हा | Published: July 4, 2019 05:16 PM2019-07-04T17:16:52+5:302019-07-04T17:16:52+5:30
भाजपा का सांगठनिक कार्यक्रम गति पकड़ रहा है. कई बैठकें हो गई हैं. भाजपा विधायक दल की बैठक भी 3 जुलाई को हुई है.
झारखंड में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होना है. इसके लिए भाजपा ने अपनी ओर से तैयारी शुरू कर दी है. हालांकि भाजपा लोकसभा चुनाव में मिली जीत से उत्साहित है. लेकिन पार्टी के लिए विधानसभा चुनाव की राह आसान नहीं दिख रही. भाजपा को झारखंड में 80 प्रतिशत सीटें जीतनी हैं. यह लक्ष्य आसान नहीं है. पार्टी विधायकों को अपने- अपने क्षेत्र में जनता कितना चाहती है, यह इस बात पर आधारित होगा.
वहीं, पार्टी की ओर से कराये जा रहे सर्वे से यह मालूम होगा कि किस विधायक की कितनी साख है या नहीं. इसलिए विधायकों की धड़कनें तेज हैं. कहा जा रहा है कि जिन विधायकों का परफारमेंस ठीक नहीं रहा, तो पत्ता साफ हो सकता है. कारण कि झारखंड में 65 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य पार्टी ने तय किया है. यानी 81 सदस्यीय विधानसभा में लगभग 80 प्रतिशत सीटें जीतनी हैं. ऐसे में सबकुछ आसान नहीं है. मुख्यमंत्री रघुवर दास एक बार फिर विधानसभा चुनाव की कमान संभालेंगे. उनके स्तर से विधायकों को तरह-तरह के निर्देश, सलाह और नसीहत के रूप में दिए जा रहे हैं. सबसे पहली परीक्षा सदस्यता अभियान में ही हो जाएगी. सभी विधायकों को कम से कम 50 हजार सदस्य बनाने हैं. इससे जनता के बीच कनेक्टिविटी का भी अंदाजा लग जाएगा.
विधायक मानते हैं कि जनता के बीच कनेक्शन जरूरी है. भाजपा का सांगठनिक कार्यक्रम गति पकड़ रहा है. कई बैठकें हो गई हैं. भाजपा विधायक दल की बैठक भी 3 जुलाई को हुई है. इससे एक दिन पहले कोर कमिटी के सदस्यों और विधानसभा प्रभारियों की भी एक बैठक हुई. बैठकों के माध्यम से पार्टी अपने विधायकों को सचेत कर रही है. केंद्र और राज्य सरकार के कामकाज को भी जनता के बीच पहुंचाना है. लाभार्थियों के बीच संपर्क बनाए रखना है. ऐसे में पार्टी के विधायकों के दम फूल रहे हैं. लेकिन फिर से टिकट पाना है तो यह सब करना है. इसके अलावा विधायकों का परफारमेंस भी काफी मायने रखता है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अपने माध्यम से सर्वे करा रहा है. कार्यकर्ताओं से फीडबैक भी लिये जा रहे हैं. इसके अलावा कई विधानसभा क्षेत्रों में सेकेंड लाइन का चेहरा भी देखा जा रहा है ताकि अगर किसी विधायक की अधिक शिकायत या फिर उनका परफारमेंस खराब हो, तो ऐसे वैकल्पिक चेहरे को चांस दिया जा सके. पार्टी इन तमाम चीजों पर नजर रखे हुए है. इस तरह से देखे, तो कई विधायकों को अपनी चिंता सता रही है.