झारखंड विधानसभा चुनाव: कांग्रेस को झटका, पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार हुए AAP में शामिल

By एस पी सिन्हा | Published: September 19, 2019 07:59 PM2019-09-19T19:59:29+5:302019-09-19T19:59:29+5:30

झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है. उन्होंने दिल्ली में आप नेता और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में आप पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.

Jharkhand Assembly Elections: A setback to Congress, former president Ajay Kumar joins AAP | झारखंड विधानसभा चुनाव: कांग्रेस को झटका, पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार हुए AAP में शामिल

लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद उन्होंने 24 मई को अपना इस्तीफा सौंपा था

Highlightsपूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है.दिल्ली में आप नेता और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में आप पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.

झारखंड में विधानसभा चुनाव के पहले दल बदलने की ऐसी आपा-धापी मची है कि नेताजी एक बार यह भूल जाएं कि वे सुबह किस दल के जिंदाबाद का नारा लगा रहे थे और शाम में उन्हें किसके खिलाफ मुर्दाबाद बोलना है.

यहां सुबह का भूला नेता शाम में दूसरे दल के दफ्तर में माला पहन रहा होता है. राजनीति में विचार अब शायद बीते दिनों की बात हो गई और राजनीतिक दल कपड़ों सरीखा हो गया है. जब जिसे जहां मन चाहा बदल लिया. 

अब विधानसभा चुनाव से पहले झारखंडकांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है. उन्होंने दिल्ली में आप नेता और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में आप पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.

प्रदेश कांग्रेस में बढ़ती खेमेबाजी से परेशान होकर अजय कुमार ने बीते 9 अगस्त को प्रदेश अध्यक्ष पद से दोबारा इस्तीफा दे दिया था, जिसे पार्टी आलाकमान ने मंजूर कर लिया.

इससे पहले लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद उन्होंने 24 मई को अपना इस्तीफा सौंपा था, लेकिन तब उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ था. हालांकि अजय कुमार के आप जॉइन करने पर प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि अजय कुमार का पार्टी छोडना दुखद है.

लेकिन उनके जाने से पार्टी पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. प्रदेश कांग्रेस और जनता में उनकी वैसी कोई पकड़ नहीं थी. वह झाविमो से कांग्रेस में आए थे और पार्टी ने उनपर भरोसा कर प्रदेश अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी दी थी. लेकिन वह इस जिम्मेदारी को ठीक से नहीं निभा पाए. बता दें कि साल 2011 में झाविमो ज्वाइन करने के बाद अजय कुमार ने जमशेदपुर सीट से लोकसभा उपचुनाव लड़ा था और जीते थे. लेकिन 2014 में वह झाविमो के टिकट पर जमशेदपुर में लोकसभा चुनाव हार गये. जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. राहुल गांधी ने उनपर भरोसा जताते हुए उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया. अजय कुमार इस बार भी जमशेदपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन यह सीट झामुमो के पाले में चली गई. इसलिए वो चुनाव नहीं लड़ पाए. वैसे अजय कुमार का करियर अस्थिर रहा है. पहले वो मेडिकल प्रोफेशन में गये, फिर आईपीएस बने. जमशेदपुर एसपी के रूप में उन्होंने काफी नाम कमाया. बाद में आईपीएस की नौकरी छोडकर टाटा ज्वाइन किया. टाटा को छोडकर 2011 में जेवीएम से सियासत में कदम रखा.

दूसरे उदाहरण के तौर पर पलामू के पूर्व सांसद मनोज भुईयां की बात की जाये तो 2004 में राजद के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए थे. बीते 14 अगस्त को वे पूरे लाव-लश्कर के साथ रांची स्थित झारखंड विकास मोर्चा के मुख्यालय पहुंचे और पार्टी की सदस्यता ली. मोर्चा प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने उनका खैरमकदम किया. भुईयां ने भी उनकी शान में कसीदे पढे. लेकिन यह क्या, एक माह बीतते-बीतते मनोज भुईयां के सुर बदल गए. 14 सितंबर को उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. भुईयां अकेले भाजपा के रथ पर सवार होने वाले नहीं हैं. दरअसल लोकसभा चुनाव में अन्य दलों का सूपड़ा ऐसा साफ हुआ कि दूसरे दलों के ज्यादातर नेता भाजपा में सुरक्षित राजनीतिक भविष्य देख रहे हैं. झारखंड में राजद का तो सूपड़ा ही साफ हो चुका है. राजद की प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी भगवा रंग में रंग चुकी हैं. कई छुटभैये भी उनके साथ खींचे चले आए. कुछ ऐसा ही हाल अन्य दलों का भी है. झारखंड विकास मोर्चा, कांग्रेस, झामुमो का भी ऐसा ही हाल है. झामुमो के एक विधायक जेपी पटेल तो लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी के ऐसे मुरीद हुए कि घूम-घूमकर खूब प्रचार किया. पार्टी ने उन्हें निलंबित कर रखा है. लेकिन उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. दुलाल भुईयां झारखंड सरकार में मंत्री रह चुके हैं. आरंभ से झारखंड मुक्ति मोर्चा के बैनर तले राजनीति की. पांच साल पहले दल बदलने का मिजाज बनाया और कांग्रेस में शामिल हो गए. 

हालिया लोकसभा चुनाव में इन्होंने बहुजन समाज पार्टी के हाथी की सवारी की. पत्नी को पलामू से चुनाव मैदान में भी उतारा. अब सुरक्षित राजनीतिक भविष्य की आस में फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गए. भले ही दूसरे दल से ज्यादातर नेता भाजपा की ओर भाग रहे हैं. लेकिन इस आपाधापी में कई बार मुश्किलें भी खडी हो जाती है. तीसरे उदाहरण के तौर पर झारखंड सरकार के मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी को ही लिया जाये तो कभी लालू प्रसाद की पार्टी राजद में थे. भाजपा में आए काफी वक्त हो गए, लेकिन ऐसे वक्त में ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक का नाम भूल जाते हैं जब पूरी दुनिया में इनके नाम का डंका बज रहा है. इनका ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है. लोग इसपर अपनी प्रतिक्रियाएं भी दे रहे हैं. इसतरह से झारखंड में अपनी सुविधा अनुसार दल बदलने की प्रक्रिया अभी जारी है. संभाव है कि नवरात्र के आते-आते कई लोग दूसरे दल का दामन थाम सकते हैं. कहा जा रहा है कि कई तो कतार में हैं और कुछ मोलजोल में जुटे हुए हैं. शर्त है कि टिकट मिल जाये.

Web Title: Jharkhand Assembly Elections: A setback to Congress, former president Ajay Kumar joins AAP

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