Jharkhand Assembly Election: विपक्षी दलों के बीच है सीटों को लेकर मारा-मारी, जबकि सत्तारूढ़ दल BJP है मस्त
By एस पी सिन्हा | Published: September 11, 2019 05:19 PM2019-09-11T17:19:38+5:302019-09-11T17:19:38+5:30
Jharkhand Assembly Election: झारखंड के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, बाबूलाल मरांडी की झाविमो (झारखंड विकास मोर्चा) और लालू प्रसाद यादव की राजद (राष्ट्रीय जनता दल) से गठबंधन नहीं करना चाहती है.
झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा एक ओर जहां अतिउत्साह से लबरेज है, वहीं विपक्ष अभी पस्त हीं दिख रहा है. विधानसभा चुनाव के लिए 65 प्लस का लक्ष्य रखने वाले मुख्यमंत्री रघुवर दास को उम्मीद है कि इस बार सभी 81 सीटें जीतेंगे. विरोधियों की जमानत तक नहीं बचेगी.
उधर, झारखंड के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, बाबूलाल मरांडी की झाविमो (झारखंड विकास मोर्चा) और लालू प्रसाद यादव की राजद (राष्ट्रीय जनता दल) से गठबंधन नहीं करना चाहती है. इस तरह विपक्ष अभी आपस में हीं मतभेदों के दौर से गुजर रहा है.
इस बीच, रघुवर दास ने कहा है कि मेरे लिए मुख्यमंत्री पद जरूरी नहीं बल्कि जनता की सेवा लक्ष्य है. झामुमो पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा है कि सोरेन परिवार ने सिर्फ घोटाले किये हैं. जिन्होंने गरीबों का खून चूसा है, उन्हें हिसाब देना ही होगा. हमारी सरकार में गरीबों के जीवन में बदलाव आया है. कांग्रेस और जेएमएम ने आदिवासियों के लिए कुछ नहीं किया. आज राज्य के हर घर में बिजली है, हर कोने में सडकें हैं.
वहीं भाजपा को परास्त कर देने का ख्वाब पाले कांग्रेस को लगता है कि अगर वह झामुमो, झाविमो और राजद के साथ चुनाव लड़ेगी तो सीट बंटवारे में उसके हिस्से विधानसभा की कुल 81 सीटों में से महज 25 सीटें ही आएंगी. ऐसे में कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में जेएमएम और कांग्रेस के बीच समझौता होना चाहिए जिससे कि कांग्रेस लगभग 35- 40 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड सके.
कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि झामुमो के साथ चुनाव लड़ने पर पार्टी के खाते में 40 सीटें आएंगी. 40 सीटों पर चुनाव लड़ने से कांग्रेस के संगठन को फायदा होगा. दूसरी बात यह है कि राजद और झाविमो का वोट कांग्रेस के उम्मीदवारों को नहीं पड़ता है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा), राजद और झाविमो ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था.
नतीजे कांग्रेस के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं हुए. कांग्रेस महज एक लोकसभा सीट ही जीत पाई. कांग्रेस की समस्या ये है कि अगर वह हेमंत सोरेन और बाबूलाल मरांडी को साथ रखती है तो दोनों ही अपने आप को चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करना चाहते हैं. कांग्रेस के पास पूरे झारखंड में कोई ऐसा चेहरा नहीं जिसे वो मुख्यमंत्री घोषित कर सके.
ऐसे में कांग्रेस के सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अगर सिर्फ हेमंत सोरेन और कांग्रेस का समझौता होता है तो हेमंत सोरेन खुद को मुख्यमंत्री के रूप में देख ही रहे हैं जो कि कांग्रेस को भी कम से कम सीटें देकर समेटना चाहेंगे. लेकिन कांग्रेस देर से ही सही हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने पर राजी हो सकती है क्योंकि जब लोकसभा चुनाव में समझौता हुआ था तो ज्यादा सीटें कांग्रेस ने ली थी. उस वक्त यही शर्त थी कि हेमंत सोरेन को विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाएगा.
कुल मिलाकर अभी हालात ये हैं कि झारखंड में विपक्षी दलों के बीच एका की स्थिती नही बन पा रही है. सभी की निगाहें इस ओर टिकी हैं कि कौन ज्यादा से ज्यादा सीट झटक ले. उसके पीछे कारण यह माना जा रहा है कि जिसके पास ज्यादा सीटें होंगी उसके हांथ मुख्यमंत्री का पद भी आ सकता है. इन सबसे बेखबर भाजपा अपनी रणनीति बनाने में जुटी हुई है.
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर संथाल की धरती से भाजपा चुनावी अभियान की शुरुआत करेगी. मुख्यमंत्री रघुवर दास 15 सितंबर को जामताडा से जन आशीर्वाद यात्रा शुरुआत करेंगे. यह यात्रा संथाल के विभिन्न जिलों में जाएगी. इस दौरान सीएम जनता से आशीर्वाद मांगेंगे. यात्रा का समापन 21 सितम्बर को देवघर में होगा.
यही नहीं असम की तरह झारखंड में भी एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) तैयार होगा. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि राज्य से घुसपैठियों को मार भगाना है. इस काम को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य में रह रहे घुसपैठिये सालों से मुसलमानों का हक मार रहे हैं. केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहले ही घुसपैठियों को बाहर भगाने की अपील कर चुके हैं. उन्होंने कहा है कि वे झारखंड में भी एनआरसी लागू करने की मांग करेंगे.