Jharkhand Assembly Election 2019: पूर्व IPS रामेश्वर उरांव पर अब बीजेपी के विजय रथ को रोकने की जिम्मेदारी, जानें पूरा समीकरण

By एस पी सिन्हा | Published: November 11, 2019 08:47 AM2019-11-11T08:47:24+5:302019-11-11T08:47:24+5:30

उल्लेखनीय है कि 22 अक्तूबर 1990 को पटना स्थित मुख्यमंत्री आवास में तत्कालीन डीआईजी रामेश्वर उरांव और आईएएस अधिकारी आर.के. सिंह (वर्तमान में केंद्र सरकार के ऊर्जा राज्यमंत्री) को बुलाया गया था.

Jharkhand Assembly Election 2019: Former IPS Rameshwar Oraon now responsible for stopping BJP's victory chariot, know full equation | Jharkhand Assembly Election 2019: पूर्व IPS रामेश्वर उरांव पर अब बीजेपी के विजय रथ को रोकने की जिम्मेदारी, जानें पूरा समीकरण

Jharkhand Assembly Election 2019: पूर्व IPS रामेश्वर उरांव पर अब बीजेपी के विजय रथ को रोकने की जिम्मेदारी, जानें पूरा समीकरण

Highlightsझारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव अक्तूबर 1990 में बिहार पुलिस मुख्यालय में डीआईजी थे.रांची रिम्स में इलाजरत लालू प्रसाद यादव के नेपथ्य से महागठबंधन की कडि़यों की जोड़ने में भूमिका निभा रहे हैं.

वर्ष 1990 के अक्तूबर महीने में राम मंदिर निर्माण के लिए रथ यात्रा निकालने के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के रथ को रोकने और उनकी गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभाने वाले आईपीएस अधिकारी रहे रामेश्वर उरांव क्या अब झारखंड में भाजपा के विजय रथ को भी रोक पाएंगे? यह प्रशन तब उठ खड़ा हुआ है, जब रामेश्वर उरांव को झारखंड में भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए कांग्रेस ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है.

झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव अक्तूबर 1990 में बिहार पुलिस मुख्यालय में डीआईजी थे. बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर उन्होंने समस्तीपुर के सर्किट हाउस से भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया था. वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में झारखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के विजय अभियान को रोकने के वह प्रमुख रणनीतिकार भी हैं.

वहीं, रांची रिम्स में इलाजरत लालू प्रसाद यादव के नेपथ्य से महागठबंधन की कडि़यों की जोड़ने में भूमिका निभा रहे हैं. लालू न्यायिक हिरासत में होने की वजह से खुलकर भाजपा को रोकने की रणनीति में शामिल नहीं हो रहे, लेकिन हेमंत सोरेन की लगातार बैठकें लालू से हुई है. उल्लेखनीय है कि 22 अक्तूबर 1990 को पटना स्थित मुख्यमंत्री आवास में तत्कालीन डीआईजी रामेश्वर उरांव और आईएएस अधिकारी आर.के. सिंह (वर्तमान में केंद्र सरकार के ऊर्जा राज्यमंत्री) को बुलाया गया था.

स दौरान तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा पर निकले थे. 22 अक्तूबर की देर रात आडवाणी समस्तीपुर पहुंचे थे. योजना बनी कि समस्तीपुर में ही आडवाणी को गिरफ्तार किया जाएगा. इसके बाद दोनों अधिकारी देर शाम हेलिकॉप्टर से समस्तीपुर पहुंचे. वहां तत्कालीन आईजी आरआर प्रसाद के साथ रामेश्वर उरांव ने बैठक की, जिसमें आडवाणी को गिरफ्तार कर दुमका के मसानजोर ले जाने की रणनीति बनी.

23 अक्तूबर 1990 की सुबह दोनों अफसर सर्किट हाउस में आडवाणी के कमरे में आए और उन्हें गिरफ्तारी की जानकारी दी. गिरफ्तारी के बाद आडवाणी को हेलिकॉप्टर से दुमका के मसानजोर लाया गया. लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद केंद्र में वी.पी. सिंह की सरकार गिर गई थी. आडवाणी ने रामेश्वर उरांव के जरिए ही समर्थन वापसी का पत्र पटना भिजवाया था.

इसके बाद साल 2004 में एडीजी पद से वीआरएस लेकर रामेश्वर उरांव ने कांग्रेस का दामन थामा और लोहरदगा से लोकसभा चुनाव लड़कर वह सांसद बने. इसके बाद केंद्र की यूपीए सरकार में राज्यमंत्री बने. 2009 के चुनाव में हारने के बाद उन्हें केंद्रीय एसटी एससी आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी मोदी लहर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वहीं, लोकसभा चुनाव में टिकट कटने और पार्टी की हार के बाद उरांव को प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई.

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