झारखंड विधानसभा चुनाव: भाजपा ने झोंकी अपनी ताकत, विपक्षी कुनबा भितरघात, दलबदल से परेशानी

By एस पी सिन्हा | Published: September 21, 2019 10:16 AM2019-09-21T10:16:00+5:302019-09-21T10:23:22+5:30

झारखंड में चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो 40 प्रतिशत पिछड़ी जाति और 27 प्रतिशत आदिवासी के हाथ में ही सत्ता की चाबी होती है.

Jharkhand Assembly Election 2019 BJP pours in its strength, opposition clashes, trouble from defection | झारखंड विधानसभा चुनाव: भाजपा ने झोंकी अपनी ताकत, विपक्षी कुनबा भितरघात, दलबदल से परेशानी

रघुबर दास (फाइल फोटो)

Highlights लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 11 और उसकी सहयोगी आजसू पार्टी ने 1 सीट यानी कुल 14 में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी.भाजपा और आजसू का गठबंधन तय माना जा रहा है. वहीं झामुमो, कांग्रेस, झाविमो और राजद को लेकर सबके मन में संशय है.

झारखंड में आने वाले विधानसभा चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है. भाजपा सहित सभी दलों ने झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं.

झारखंड में भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए दो तिहाई सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसके लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक बार फिर कमान संभाल लिया है. संथाल जैसे झामुमो के गढ़ को फतह करने और शिबू सोरेन जैसे कद्दावर को हराने के बाद भाजपा यहां दोबारा सत्ता में आने का दम भर रही है.

वहीं झामुमो अपनी अगुआई में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव में जाने का मन बना रहा है. हालांकि, विपक्षी कुनबा भितरघात, दलबदल, आपसी खींचतान आदि परेशानी से समय रहते उबर जाएगा, यह देखने वाली बात होगी.

राजनीतिक जानकारों का मत है कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव को एक नजरिए से नहीं देखा जा सकता. विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे काफी अहम होते हैं. राज्य के मसले पर मतदाताओं की बारीक नजर होती है.

इन चुनावों में पार्टी की अंदरुनी गुटबाजी से भी चुनाव परिणाम पर खासा असर पड़ता है. इनमें बिजली,पानी,सड़क,शिक्षा,स्वास्थ्य समेत कई स्थानीय मुद्दों की भूमिका काफी अहम होती है.

पार्टी के अलावा उम्मीदवार भी बड़ा फैक्टर होता है. झारखंड की आबादी की बात करें तो यहां करीब 27 प्रतिशत आदिवासी, 35-40 प्रतिशत पिछड़ी जाति, 12 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लोग हैं.

इनमें 68 प्रतिशत हिंदू, 14.5 प्रतिशत मुसलमान, 4.3 प्रतिशत ईसाई और 12.84 प्रतिशत अन्य धर्म-संप्रदाय को मानने वाले लोग हैं. चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो 40 प्रतिशत पिछड़ी जाति और 27 प्रतिशत आदिवासी के हाथ में ही सत्ता की चाबी होती है.

वहीं, आदिवासियों के बड़े नेता और भाजपा के खास चेहरे को खूंटी संसदीय क्षेत्र में जीत के बाद केंद्रीय मंत्री बनाया गया है. इससे भाजपा पर आदिवासियों का भरोसा बढ़ा है.

हाल के दिनों पर भाजपा से दूर हो रहे आदिवासी बहुल इलाकों में पार्टी एक बार फिर से मुखर होकर अपने प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त हासिल कर सकेगी.

अर्जुन मुंडा के संबल और लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित पार्टी कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर आदिवासियों से जुड़ाव में मदद मिलेगी. आदिवासी वोटबैंक पर भाजपा की पकड़ मजबूत होगी. कारण कि झारखंड में माना जाता रहा है कि संथाल में जिस पार्टी का कब्जा होता है सत्ता उसकी होती है.

इस बार लोकसभा चुनाव में झामुमो को भाजपा ने संथाल में जबर्दस्त पटकनी दी है. झामुमो सुप्रीमो और आदिवासियों के बड़े नेता शिबू सोरेन को दुमका की परंपरागत सीट पर करारी शिकस्त देकर जहां भाजपा ने झामुमो के गढ़ में सेंध लगा दी है.

वहीं आने वाले दिनों में गुरु जी की पकड़ आदिवासियों पर कमजोर करने के और पैंतरे भी आजमाए जाने लगे हैं. इसी कड़ी में भाजपा ने चुनावी बिगुल संथाल से हीं फूंकना मुनासिब समझा.

हालांकि, लोकसभा चुनाव में परचम लहराने के बाद अब झारखंड में सत्ता में बने रहने की चुनौती भाजपा के सामने है. झारखंड गठन के बाद से पहली बार लगातार पांच साल तक सरकार चलाने को वे अपनी बड़ी ताकत के रूप में पेश करेंगे.

पार्टी को विधानसभा चुनाव में जहां एंटी इंकबैंसी फैक्टर से निपटना होगा, वहीं विपक्षी पार्टियों की ओर से की जाने वाली लोकलुभावन घोषणाओं की काट भी खोजनी होगी.

झारखंड में सत्ता विरोधी लहर के बीच लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 11 और उसकी सहयोगी आजसू पार्टी ने 1 सीट यानी कुल 14 में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

जबकि महागठबंधन को सिर्फ दो सीट नसीब हुई थी. इस लिहाज से भाजपा की दावेदारी विधानसभा चुनाव में भी काफी मजबूत मानी जा रही है.

सरसरी तौर पर कहें तो लोकसभा चुनावों में झारखंड में महागठबंधन फेल हो गया है. राजद ने तय सीट से अलग चतरा में भी अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए. ऐसे में विधानसभा चुनाव में अगर गठबंधन से मुकाबले की बात करें तो भाजपा काफी मजबूत स्थिति में दिख रही है.

भाजपा और आजसू का गठबंधन तय माना जा रहा है. वहीं झामुमो, कांग्रेस, झाविमो और राजद को लेकर सबके मन में संशय है. इन पार्टियों के नेता-कार्यकर्ता खुले तौर पर चुनाव में अकेले जाने की वकालत कर चुके हैं.

Web Title: Jharkhand Assembly Election 2019 BJP pours in its strength, opposition clashes, trouble from defection

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