सीएबी को समर्थन के बाद जेडीयू का 'एनआरसी' से किनारा, नीतीश कुमार के साथ प्रशांत किशोर की बैठक के बाद फैसला

By अभिषेक पाण्डेय | Published: December 15, 2019 08:20 AM2019-12-15T08:20:59+5:302019-12-15T08:23:51+5:30

JD-U: दोनों सदनों में सीएबी का समर्थन करने वाली भाजपा की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड ने कहा है कि वह एनआरसी का समर्थन नहीं करती है

JD-U says no to NRC after Prashant Kishor meeting with Nitish Kumar | सीएबी को समर्थन के बाद जेडीयू का 'एनआरसी' से किनारा, नीतीश कुमार के साथ प्रशांत किशोर की बैठक के बाद फैसला

जेडीयू का कहना है कि पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार एनआरसी के खिलाफ हैं

Highlightsसीएबी का समर्थन करने वाली जेडीयू ने किया एनआरसी से किनारापार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर कई दिनों से सीएबी और एनआरसी के खिलाफ हमलावर थे

जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने शनिवार को कहा कि पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार केंद्र सरकार की नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंश (एनआरसी) को देश भर में लागू करने की योजना के खिलाफ हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि पार्टी ने संसद में नागरिकता संसोधन बिल (सीएबी) का समर्थन किया था-ने अब आधिकारिक तौर पर एनआरसी को न कहने का फैसला किया है। जेडीयू एनआरसी को न कहने वाली बीजेपी की पहली सहयोगी पार्टी है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि वह एनआरसी को अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगी। सीएबी के पास होने के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था कि 'इस असंवैधानिक बिल के लिए केरल में कई जगह नहीं है।' वहीं पंजबा के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार 'पंजाब में बिल को लागू नहीं होने देगी।'

प्रशांत किशोर ने कहा, 'एनआरसी के खिलाफ हैं नीतीश कुमार'

पिछले कुछ दिनों से एनआरसी और सीएबी के खिलाफ लगातार आलोचनात्मक ट्वीट कर रहे प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ दो घंटे तक चली बैठक के बाद कहा, 'नीतीश कुमार पार्टी (जेडीयू) के एनआरसी को न कहने के पहले के रुख के साथ हैं। सीएबी के साथ एनआरसी खतरनाक है। अगर एनआरसी नहीं होगा, तो सीएबी ठीक है। सीएम ने कहा कि सीएबी नागरिकता देने वाला बिल है, लेकिन एनआरसी के साथ जुड़कर ये भेदभावपूर्ण हो जाता है।'

किशोर ने कहा कि सीएबी को लेकर उन्होंने ट्विटर पर जो कुछ भी लिखा था, उनका मत अब भी वही है। 13 दिसंबर को प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया था। संसद में बहुमत की जीत हुई, अब न्यायपालिका से परे, भारत की आत्मा बचाने का जिम्मा 16 गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर है, क्योंकि यही वे राज्य हैं जिन्हें इस ऐक्ट को लागू करना है।'

उससे एक दिन पहले ही किशोर ने लिखा था, 'हमें बताया गया है कि सीएबी किसी से नागरिकता लेनेका नहीं बल्कि देने का बिल है। लेकिन सच ये है कि एनआरसी के साथ मिलकर ये यह धर्म के आधार पर लोगों के साथ व्यवस्थित रूप से भेदभाव करने और यहां तक कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार के हाथों में एक घातक कॉम्बो में बदल सकता है।'

मतभेदों के बाद प्रशांत किशोर ने की थी इस्तीफे की पेशकश

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेडीयू के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह द्वारा निशाना बनाए जाने के बाद प्रशांत किशोर ने इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी के लिए काम करने की सलाह दी। नीतीश के हस्तक्षेप के बाद किशोर ने आरसीपी सिंह के साथ अपने मतभेदों को खत्म कर दिया है। 

पार्टी प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा, 'पूरी पार्टी एनआरसी को न कहने के नीतीश कुमार के फैसले के साथ है। हमने पहले भी ये बात कही थी, लेकिन सीएबी को हमारे समर्थन से भ्रम पैदा हुआ होगा।' सीएबी का दोनों सदनों में समर्थन करते हुए जेडीयू ने कहा था कि ये बिल इसलिए भेदभावपूर्ण नहीं है कि क्योंकि ये भारतीय मुस्लिमों को क्षति नहीं पहुंचाता है।
 
वहीं जेडीयू के इस रुख पर बिहार बीजेपी प्रवक्ता डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि हालांकि मैंने अभी प्रशांत किशोर का बयान हीं देखआ है, लेकिन हमारा रुख वही है जो हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही कहा था, 'सीएबी की महिला का आनंद उठाएं।'

Web Title: JD-U says no to NRC after Prashant Kishor meeting with Nitish Kumar

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