अप्रैल के पहले सप्ताह से पर्यटक कर सकेंगे ट्यूलिप गार्डन में खिले फूलों का दीदार

By सुरेश डुग्गर | Published: March 28, 2019 05:57 AM2019-03-28T05:57:51+5:302019-03-28T05:57:51+5:30

फ्लोरिकल्चर विभाग कश्मीर के निदेशक डॉ. हफीज शाह ने कहा कि मौसम के बदलते तेवरों के कारण ट्यूलिप गार्डन के खोलने में देरी हुई है, मगर अब जल्द ही इसे सैलानियों के लिए खोला जाएगा।

jammu kashmir: Tourists will be able to visit the Tulip Garden in the first week of April | अप्रैल के पहले सप्ताह से पर्यटक कर सकेंगे ट्यूलिप गार्डन में खिले फूलों का दीदार

अप्रैल के पहले सप्ताह से पर्यटक कर सकेंगे ट्यूलिप गार्डन में खिले फूलों का दीदार

एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन को स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए तैयार किया जा रहा है। इसे पर्यटकों के लिए खोलने की सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है ताकि यहां आने वाले लोगों का रंग बिरंगी ट्यूलिप मन मोह ले। अप्रैल के पहले सप्ताह में इसे औपचारिक तौर पर खोल दिया जाएगा। फ्लोरिकल्चर विभाग के अनुसार इस बार करीब 12 लाख से अधिक ट्यूलिप लगाए गए हैं और उम्मीद है कि गार्डन खुलने पर वह खिल जाएंगे। इसके अलावा कई नए बदलाव भी किए गए हैं जिसमें फ्लड लाइट्स जैसी सुविधा भी शामिल हैं।

फ्लोरिकल्चर विभाग कश्मीर के निदेशक डॉ. हफीज शाह ने कहा कि मौसम के बदलते तेवरों के कारण ट्यूलिप गार्डन के खोलने में देरी हुई है, मगर अब जल्द ही इसे सैलानियों के लिए खोला जाएगा। इस बार गार्डन में बिजली की लाइट का भी पूरा बंदोबस्त किया गया है ताकि इस गार्डन को देरी तक सैलानियों के लिए खुला रखा जा सके। उम्मीद है कि हर कोने से सैलानी यहां पहुंचेगे और गार्डन के मनमोहक दृश्य का आनंद लेंगे। उन्होंने कहा कि टयूलिप गार्डन के खुलने पर पर्यटन व्यवसाय में बढ़ोतरी की उम्मीदें हैं। शाह ने बताया कि आसपास के क्षेत्रों को हरा भरा बनाने के लिए पौधरोपण कार्यक्रम भी चलाया गया है। 15 हजार से अधिक पौधे लगाने के लक्ष्य को जल्द ही हासिल कर लिया जाएगा। अनंतनाग, शेर बाग व अच्छाबल इलाकों में चिनार के पेड़ कई जगह लगाए गए हैं।

बीते साल गार्डन में केवल चार टेरिस गार्डन थे, लेकिन इस साल हमने तीन और टेरिस गार्डन तैयार किए हैं। गौरतलब है कि बीते चार वर्षों में करीब 20 लाख पर्यटकों ने गार्डन की सैर की थी। इससे लाखों रुपये का राजस्व कमाया था। 

डल झील का इतिहास तो सदियों पुराना है। पर ट्यूलिप गार्डन का मात्र 11 साल पुराना। मात्र 11 साल में ही यह उद्यान अपनी पहचान को कश्मीर के साथ यूं जोड़ लेगा कोई सोच भी नहीं सकता था। डल झील के सामने के इलाके में सिराजबाग में बने ट्यूलिप गार्डन में ट्यूलिप की 100 से अधिक किस्में आने-जाने वालों को अपनी ओर आकर्षित किए बिना नहीं रहती हैं। यह आकर्षण ही तो है कि लोग बाग की सैर को रखी गई फीस देने में भी आनाकानी नहीं करते। जयपुर से आई सुनिता कहती थीं कि किसी बाग को देखने का यह चार्ज ज्यादा है पर भीतर एक बार घूमने के बाद लगता है यह तो कुछ भी नहीं है।

सिराजबाग हरवान-शालीमार और निशात चश्माशाही के बीच की जमीन पर करीब 700 कनाल एरिया में फैला हुआ है। यह तीन चरणों का प्रोजेक्ट है जिसके तहत अगले चरण में इसे 1360 और 460 कनाल भूमि और साथ में जोड़ी जानी है।  शुरू-शुरू में इसे शिराजी बाग के नाम से पुकारा जाता था। असल में महाराजा के समय उद्यान विभाग के मुखिया के नाम पर ही इसका नामकरण कर दिया गया था।

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