पहले आतंकवाद अब कोरोना लील रहा कश्मीर का पर्यटन, ऊंट के मुंह में जीरे के समान बढ़ी पर्यटकों की संख्या
By सुरेश एस डुग्गर | Published: December 5, 2021 01:39 PM2021-12-05T13:39:32+5:302021-12-05T13:45:13+5:30
अब जबकि सख्त कोरोना पाबंदियां एक बार फिर लागू की जाने लगी हैं और कश्मीर के कई स्थानों पर रेड जोन बनाए जाने लगे हैं, कश्मीरी उदास व चिंतित होने लगे हैं।
जम्मू: कश्मीर में आतंकी हिंसा और कोरोना के बावजूद आने वाले टूरिस्टों के कदम रूके नहीं पर उनकी संख्या उतनी नहीं है जो इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को कोई खुशी दे पाए। इस साल के पहले 11 महीनों में आए 5.13 लाख टूरिस्ट कश्मीर के टूरिज्म के लिए ऊंट के मुंह में जीरे समान माने ला रहे हैं।
अनुमान तो यही रखा गया था कि इस साल 20 से 22 लाख के करीब टूरिस्ट कश्मीर में आएंगें पर कोरोना की मार सहने को वे लोग मजबूर हुए हैं जो टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं।
यह बात अलग है कि नवम्बर महीने में आने वाले 1.27 लाख टूरिस्टों ने जो उम्मीद बंधाई थी वह अब कोरोना की तीसरी लहर की आहट लीलने लगी है।
अगर देखा जाए तो कश्मीर में आतंकी हिंसा या फिर चुन-चुन कर की जाने वाली नागरिकों की हत्याओं ने कभी भी टूरिस्टों के कदमों को नहीं रोका था। यह अक्टूबर में आने वाले 97000 पर्यटकों से साबित होता था। पर अब जबकि सख्त कोरोना पाबंदियां एक बार फिर लागू की जाने लगी हैं और कश्मीर के कई स्थानों पर रेड जोन बनाए जाने लगे हैं, कश्मीरी उदास व चिंतित होने लगे हैं।
सही मायनों में 2016 के जुलाई महीने में हिज्ब के पोस्टर ब्याय बुरहान वानी की मौत के बाद ही कश्मीर का पर्यटन ढलान पर जाने लगा था। उसके बाद कश्मीर में कई सालों तक पत्थरबाजों का राज रहा और बाद में धारा 370 को हटा दिए जाने की परिस्थितियों ने कश्मीर के पर्यटन को लील लिया। कश्मीर की यह बदकिस्मती ही रही है कि जैसे ही पर्यटन व्यवसाय एक समस्या से बाहर निकलने की जद्दोजहद में कामयाब होता था दूसरी मुसीबत आन पड़ती थी।
अगर पूरे प्रदेश में आने वाले टूरिस्टों और श्रद्धालुओं की संख्या को देखें तो वैष्णो देवी की यात्रा ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को कुछ सहारा दिया है। नवम्बर में 6.46 लाख श्रद्धालुओं ने नया रिकार्ड कायम किया था, पर 2021 में आने वाले कुल श्रद्धालु कोई रिकॉर्ड नहीं बना पाए थे क्योंकि उनकी संख्या 49.46 लाख ही हुई थी। हालांकि दिसंबर में इनके बढ़ने की उम्मीद तो थी पर सख्त कोरोना पाबंदिया इस उम्मीद को तोड़ने लगी हैं।