विशेष रिपोर्ट: क्या फिर बंटेगा सीमा पर ‘शक्कर’ और ‘शर्बत’? पाकिस्तान की हरकतों के चलते चमलियाल मेले के आयोजन पर लगा प्रश्न चिन्ह
By सुरेश डुग्गर | Published: June 13, 2019 08:08 PM2019-06-13T20:08:29+5:302019-06-13T20:08:29+5:30
जीरो लाइन पर चमलियाल मेला तभी संभव होता है जब पाकिस्तान की ओर से विश्वास दिलाया जाता है कि किसी भी हालात में मेले के दौरान गोलीबारी या कोई अन्य शरारत नहीं की जाएगी।
जम्मू सीमा पर रामगढ़ में 27 जून को चमलियाल मेले के लिए अभी दोनों देशों में सहमति बनना बाकी है। सांबा जिला प्रशासन मेले की तैयारियां कर रहा है, लेकिन अभी तक बीएसएफ व पाक रेंजर्स में कोई बातचीत नहीं हुई है क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान के साथ फ्लैग मीटिंग करने की दिशा में हामी नहीं भरी है। ऐसे में मेला लगेगा या नहीं, यह सवाल सबके दिल मंे है। इस बार मेले के आयोजन को लेकर आशंकाओं का दौर भी जारी है। हालांकि पर मेले के आयोजन पर दोनों ही मुल्कों के बीच फाइनल मीटिंग अभी तय नहीं हुई है।
जीरो लाइन पर चमलियाल मेला तभी संभव होता है जब पाकिस्तान की ओर से विश्वास दिलाया जाता है कि किसी भी हालात में मेले के दौरान गोलीबारी या कोई अन्य शरारत नहीं की जाएगी। वर्ष 2018 में सीमा पर भारी गोलाबारी कर रहे पाकिस्तान ने मेले को लेकर सुचेतगढ़ में हुई सेक्टर कमांडर स्तर की फ्लैग मीटिंग में अपने तेवर नरम करने की दिशा में कोई गंभीरता नहीं दिखाई थी। ऐसे हालात में लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने पिछले साल मेले को रद्द कर दिया था। पाकिस्तान ने भी फ्लैग मीटिंग करने की दिशा में कोई पहल नहीं की है। अलबत्ता, रामगढ़ के साथ सटे हीरानगर सेक्टर में दहशत फैलाने के लिए गोलाबारी जरूर की है। मेले के आयोजन में अभी दो सप्ताह का समय बाकी है, ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि सीमा पार से इस दिशा में पहल हो सकती है।
भारतीय क्षेत्र में एक दिन तो पाकिस्तान में सप्ताह भर चलता है। भारतीय क्षेत्र में चमलियाल मेला एक दिन चलता है। वहीं जीरो जाइन से 300 मीटर दूर पाकिस्तान के सैदांवाली गांव में यह करीब एक हफ्ता चलता है। बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2017 तक चमलियाल मेले के आयोजन में पाकिस्तान भी गंभीरता दिखाता रहा है, लेकिन वर्ष 2018 में उसने मेले से ठीक पहले खूनखराबा करने की मंशा से गोलाबारी कर स्पष्ट संकेत दे दिए थे कि वह मेले के प्रति गंभीर नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए ही इस बार भी पाकिस्तान का रवैया जानने की कोशिश कर रहे हैं।
मेले की कथा
परंपरा के अनुसार पाक स्थित सैदांवाली चमलियाल दरगाह पर वार्षिक साप्ताहिक मेले का आगाज वीरवार को होता है और अगले वीरवार को समापन। जिस दिन भारतीय क्षेत्र दग-छन्नी स्थित दरगाह पर मेला लगता है, उस दिन पाकिस्तान को तोहफे के तौर पर पवित्र शरबत और शक्कर भेंट की जाती है।
जीरो लाइन पर स्थित चमलियाल सीमांत चौकी पर जो मजार है वह बाबा दीलिप सिंह मन्हास की समाधि है। इसके बारे में प्रचलित है कि उनके एक शिष्य को एक बार चम्बल नामक चर्म हो गया था। बाबा ने उसे इस स्थान पर स्थित एक विशेष कुएं से पानी तथा मिट्टी का लेप शरीर पर लगाने को दिया। उसके प्रयोग से शिष्य ने रोग से मुक्ति पा ली। इसके बाद बाबा की प्रसिद्धि बढ़ी तो गांव के किसी व्यक्ति ने उनका गला काट कर हत्या कर दी। बाद में उनकी हत्या वाले स्थान पर उनकी समाधि बनाई गई। प्रचलित कथा कितनी पुरानी है कोई जानकारी नहीं है।
इस मेले का एक अन्य मुख्य आकर्षण भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा ट्रालियों व टैंकरों में भरकर ‘शक्कर’ तथा ‘शर्बत’ को पाक जनता के लिए भिजवाना होता है। इस कार्य में दोनों देशों के सुरक्षा बलों के अतिरिक्त दोनों देशों के ट्रैक्टर भी शामिल होते हैं और पाक जनता की मांग के मुताबिक उन्हें प्रसाद की आपूर्ति की जाती है।
बदले में सीमा पार से पाक रेंजर उस पवित्र चाद्दर को बाबा की दरगाह पर चढ़ाने के लिए लाते हैं जिसे पाकिस्तानी जनता देती है। दोनों सेनाओं का मिलन जीरो लाइन पर होता है। यह मिलन कोई आम मिलन नहीं होता।