जम्मू-कश्मीर: रमजान के दौरान कश्मीर में पुलिस का ‘अघोषित एकतरफा’सीजफायर!
By सुरेश डुग्गर | Published: May 11, 2019 05:10 PM2019-05-11T17:10:10+5:302019-05-11T17:10:10+5:30
जानकारी के लिए पिछले साल केंद्र सरकार ने सिर्फ एक माह के लिए रमजान महीने में एकतरफा सीजफायर घोषित किया था लेकिन बावजूद इसके आतंकी हमले और मासूम लोगों की हत्याएं नहीं रूकी थीं।
कश्मीर में रमजान के पवित्र महीने में जम्मू कश्मीर पुलिस ‘अघोषित एकतरफा’ सीजफायर की नीति पर चल रही है। हालांकि केंद्रीय गृहमंत्रालय या फिर राज्य के गृह विभाग की ओर से ऐसा कोई निर्देश उसे नहीं मिला है बल्कि वह नहीं चाहती कि रमजान के महीने में धार्मिक कार्यों में कोई खलल पड़े।
इतना जरूर था कि सटीक सूचना मिलने पर वह आतंकियों के खिलाफ अभिायन छेड़ने से चूकेगी नहीं।
महबूबा मुफ़्ती का आग्रह
पुलिस की यह कवायद ऐसे समय में सामने आई है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की ओर से पिछले साल की ही तरह कश्मीर में इस बार भी रमजान माह में सुरक्षाबलों को एकतरफा सीजफायर करने का आदेश देने का आग्रह केंद्र सरकार से किया गया था। पर उनकी इस मांग पर भारी आलोचना हुई थी।
जानकारी के लिए पिछले साल केंद्र सरकार ने सिर्फ एक माह के लिए रमजान महीने में एकतरफा सीजफायर घोषित किया था लेकिन बावजूद इसके आतंकी हमले और मासूम लोगों की हत्याएं नहीं रूकी थीं।
अब जबकि पुलिस ने ऐसा कदम उठाया है पर यह घोषित तौर पर नहीं है बल्कि वरिष्ठ अधिकारी कहते थे कि सिर्फ सटीक सूचना मिलने पर ही तलाशी अभियान किया जाएगा और पुख्ता जानकारी के बिना कहीं पर भी जामा तलाशी नहीं ली जाएगी।
यह बात अलग है कि पुलिस की इस कवायद से अन्य सुरक्षाबल सहमत नहीं थे और उनका कहना था कि वे ऐसा हमेशा ही करते आए हैं और उन्होंने कभी भी बिना पुख्ता सूचना के कोई आप्रेशन अंजाम नहीं दिया है।
4 महीने में 80 से ज्यादा आतंकी ढेर
दरअसल पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के बकौल, आतंकियों का मनोबल इस समय बहुत ही गिरा हुआ है और कश्मीर में गिनती के आतंकी बचे हुए हैं। उनके मुताबिक, पिछले 4 माह में 80 से अधिक आतंकियों को ढेर कर उनकी कमर तोड़ दी गई है।
अधिकारियों का कहना था कि उनकी कवायद आतंकियों के खिलाफ अभियानों को रोके जाने के तौर पर नहीं ली जानी चाहिए बल्कि इसका मकसद आम कश्मीरियों को पवित्र महीने में मुठभेड़ों से होने वाली तकलीफों से बचाना है।
अगर पुलिस अधिकारियों की माने तो आतंकवाद की ओर कश्मीरियों का रूख कम हो रहा है। वे कहते थे कि इस साल मात्र अभी तक 32 युवकों ने बंदूक थामी है और तीन अपनी मां की पुकार पर वापस भी लौट आए हैं जबकि ताजा बंदूक उठाने वाले युवकों में से 5 को मार भी गिराया जा चुका है।
याद रहे इस साल अभी तक मारे गए 80 से अधिक आतंकियों में से कुछेक तो मात्र कुछेक घंटे पहले ही आतंकवाद की राह पर चले थे जबकि कुछेक का आतंकवाद का जीवनकाल 2 से तीन सप्ताह का ही था।