Jammu-Kashmir: केंद्रीय कैबिनेट का फैसला- जम्मू-कश्मीर में लागू होगा तीन स्तरीय पंचायती राज सिस्टम, 70 साल का इंतजार खत्म, जानिए मामला
By सतीश कुमार सिंह | Published: October 21, 2020 03:52 PM2020-10-21T15:52:22+5:302020-10-21T16:07:15+5:30
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जनकल्याण के अनेक कानून भारत में होकर भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होते थे। आज उस निर्णय पर मुहर लगी और अब जिला विकास परिषद के सीधे चुनाव होकर जनप्रतिनिधियों के हाथ में सत्ता आएगी।
नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर में तीन स्तरीय पंचायती राज सिस्टम लागू किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ग्राम पंचायत, ब्लॉक पंचायत और अब जिला पंचायत, ऐसी त्रिस्तरीय रचना जो पंचायत राज के कानून में निहित है वो अब कश्मीर में भी लागू होगी।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जनकल्याण के अनेक कानून भारत में होकर भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होते थे। आज उस निर्णय पर मुहर लगी और अब जिला विकास परिषद के सीधे चुनाव होकर जनप्रतिनिधियों के हाथ में सत्ता आएगी।
केंद्र ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज कानून में संशोधन करके हर जिले में जिला विकास परिषद (डीडीसी) बनाए जाने का निर्णय लिया था। प्रत्येक जिला विकास परिषद में 14 क्षेत्र होंगे और सभी में एक प्रत्यक्ष निर्वाचित सदस्य होगा। कुछ सीटें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
पंचायती राज अधिनियम,1989 को केंद्र शासित प्रदेश में लागू करने की मंजूरी दे दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम,1989 को केंद्र शासित प्रदेश में लागू करने की मंजूरी दे दी। सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इससे देश के अन्य हिस्सों की तरह जम्मू-कश्मीर में भी जमीनी स्तर पर लोकतंत्र के तीनों स्तरों को स्थापित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद भारत के अनेक जन कल्याण के कानून वहां लागू होना शुरु हो गए हैं।
पिछले सप्ताह ही त्रिस्तरीय पंचायत समिति का जो कानून पूरे देश मे है, वह जम्मू कश्मीर में भी लागू हो गया। यही तो कश्मीर पर अन्याय था। जन कल्याण के अनेक कानून भारत में होकर भी लागू नहीं होते थे। आज उस निर्णय पर मुहर लगी। और अब जिला विकास परिषद के सीधे चुनाव होकर जन प्रतिनिधियों के हाथ में सत्ता आएगी।’’
उन्होंने कहा कि लोग अब चुनाव से अपने प्रतिनिधि चुन सकेंगे। जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने यह वादा किया था कि त्रिस्तरीय पंचायत समिति की रचना जम्मू-कश्मीर में लागू की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह आज के निर्णय से पूरी हो गई है।’’
कश्मीर का एक दुख था कि सत्ता लोगों के पास नहीं ‘चंद लोगों’ के पास थी
उन्होंने कहा, ‘‘इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत होगी। लोगों के हाथ में सत्ता आएगी। कश्मीर का एक दुख था कि सत्ता लोगों के पास नहीं ‘चंद लोगों’ के पास थी। अब वह आम जनता के पास आ गई है। यह बहुत बड़ा बदलाव है।’’ जावड़ेकर ने उम्मीद जताई कि जम्मू और कश्मीर के लोग इस बदलाव का स्वागत करेंगे। भाषा ब्रजेन्द्र देवेंद्र नरेश नरेश
एजेकेपीसी के अध्यक्ष अनिल शर्मा के धड़े ने जहां संशोधन का स्वागत किया और कहा कि केंद्रशासित प्रदेश के लोग ‘‘स्थानीय निकायों के वास्तविक सशक्तीकरण’’ के लिए 70 वर्षों से अधिक समय से इंतजार कर रहे थे वहीं इसके चेयरमैन शफीक मीर ने संशोधन को केंद्रशासित क्षेत्र में नवगठित पंचायती राज व्यवस्था को ‘‘शक्तिहीन’’ करने का प्रयास करार दिया।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज कानून में संशोधन किया था ताकि हर जिले में जिला विकास परिषद् (डीडीसी) का गठन किया जा सके जिसमें सीधे निर्वाचित सदस्य होंगे। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि संबंधित उपायुक्तों द्वारा परिसीमन के बाद हर जिले की डीडीसी में 14 क्षेत्र होंगे।
जम्मू कश्मीर में सरकार द्वारा जिला विकास परिषद चुनाव कराने की तैयारी से पंचायत प्रतिनिधि उत्साहित हैं। अगले वर्ष होने वाले इस चुनाव को कामयाब बनाने के लिए सहयोग देने के लिए तैयार हैं। जम्मू में तीन स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था बनाने के लिए पंच-सरपंचों का संगठन जम्मू कश्मीर पंचायत काफ्रेंस पिछले 12 साल से ब्लॉक और जिला विकास परिषदों के गठन का मुद्दा उठाती रही है। पंचायत प्रतिनिधियों का मानना है कि जम्मू कश्मीर के इतिहास में पहली बार पंचायत राज व्यवस्था मजबूत होने जा रही है।
Union Cabinet approves adaptation of the Jammu & Kashmir Panchayati Raj Act, 1989. This move will help establish all the three tiers of grass-root level democracy like in other parts of the country: Union Minister Prakash Javadekar pic.twitter.com/D09xOwUxCg
— ANI (@ANI) October 21, 2020
जम्मू-कश्मीर पंचायती राज कानून में संशोधन विधानसभा चुनाव में देरी का प्रयास : कांग्रेस
कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज कानून,1989 में संशोधन को लेकर भाजपा पर निधाना साधा और इसे केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभा चुनाव में और देरी करने का प्रयास करार दिया। प्रदेश कांग्रेस समिति के मुख्य प्रवक्ता रविंद्र शर्मा ने एक बयान में कहा, '' भाजपा विधानसभा चुनाव में लोगों का सामना नहीं करना चाहती क्योंकि उन्हें अपने जनविरोधी फैसलों और नीतियों के खिलाफ होने वाली प्रतिक्रिया की आशंका है जोकि लोगों को उनकी पहचान और नौकरियों एवं जमीन के विशेष अधिकारों से वंचित करता है।''
जम्मू-कश्मीर पंचायती राज कानून में संशोधनों को लेकर एजेकेपीसी के सदस्यों के सुर अलग-अलग
पंचायती राज कानून में हाल में हुए संशोधनों को लेकर मंगलवार को अखिल जम्मू-कश्मीर पंचायत सम्मेलन (एजेकेपीसी) में मतभेद सामने आए। इसके अध्यक्ष और चेयरमैन ने संशोधनों को लेकर अलग-अलग बयान दिए हैं। एजेकेपीसी निर्वाचित पंचायत सदस्यों का प्रमुख निकाय है।
यह कदम केंद्रशासित प्रदेश में संपूर्ण 73वें संशोधन को लागू करने की दिशा में उठाया गया है। अरुण कुमार शर्मा, सुरिंदर कुमार भगत, सरशद नटनू, बृजेश्वर सिंह और आफताब अहमद बेग सहित कई प्रखंड विकास परिषद् (बीडीसी) अध्यक्षों के साथ एजेकेपीसी के चेयरमैन मीर ने संशोधनों को वापस लेने की मांग की और कहा, ‘‘इस तरह के आदेश से राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इस तरह के संस्थानों में प्रवेश करने का दरवाजा खोल दिया गया है जो स्पष्ट रूप से अन्याय है और इससे पंचायत के नेता निराश होंगे।’’
पुंछ जिले के बुफलियाज से बीडीसी के अध्यक्ष मीर ने कहा, ‘‘केवल इतना ही नहीं इस संशोधन से बीडीसी के निर्वाचित अध्यक्षों को जिला अध्यक्ष का चुनाव लड़ने या वोट देने का अधिकार नहीं होगा जो पंचायती राज कानून की भावनाओं के विपरीत है।’’ दूसरी तरफ एजेकेपीसी के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज कानून में हालिया संशोधनों का स्वागत किया और कहा कि केंद्रशासित प्रदेश के लोग ‘‘स्थानीय निकायों के वास्तविक सशक्तीकरण’’ के लिए 70 वर्षों से अधिक समय से इंतजार कर रहे थे।
बहरहाल उन्होंने पंचों और सरपंचों से ‘‘भारत और लोकतंत्र के प्रति शत्रुता रखने वाली नकारात्मक ताकतों से सतर्क रहने की अपील की जो किसी न किसी बहाने लोगों को गुमराह कर सकती हैं।’’ शर्मा ने जम्मू-कश्मीर में पंचायती राज संस्थानों को मजबूत करने की खातिर इस तरह का ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को बधाई दी।