जम्मू-कश्मीर: नगरोटा में मारे गए पाकिस्तानी आतंकी कमांडो ट्रेनिंग से थे लैस, अंधेरी रात में करीब 30 किमी पैदल चले थे
By विनीत कुमार | Published: November 22, 2020 07:52 AM2020-11-22T07:52:59+5:302020-11-22T07:59:27+5:30
नगरोटा में मारे गए चार पाकिस्तानी आतंकियों को लेकर नया खुलासा हुआ है। जांच में ये बात सामने आई है कि वे भारत में पिकअप प्वाइंट पर पहुंचने से पहले करीब 30 किमी पैदल चले थे। उनको भारत में लाने में बड़ी भूमिका जैश-ए-मोहम्मद के ऑपरेशनल कमांडर कासिम जान की भी रही।
जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में 19 नवंबर को एक एनकाउंटर में मारे गए चार आतंकियों को लेकर नए खुलासा अब जांच में सामने आने लगे है। जांच में ये बात सामने आई है कि चारों पाकिस्तानी आतंकियों को भारत में भेजने की मुहिम में जैश-ए-मोहम्मद के ऑपरेशनल कमांडर कासिम जान का बड़ी भूमिका निभाई थी।
कासिम 2016 में पठानकोट एयरबेस में हुए आतंकी हमले का भी मुख्य आरोपी है। बताया जाता है कि कासिम भारत में जैश के आतंकियों के लॉन्च कमांडर्स में से एक है।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार कासिम सीधे मुफ्ती रॉफ असगर को रिपोर्ट करता है। कासिम का दक्षिण कश्मीर के अंडरग्राउंड आतंकियों से भी संपर्क है। रॉफ असगर को यूएन के ग्लोबल टेररिस्ट ग्रुप ने भी आतंकी घोषित कर रखा है।
करीब 30 किमी पैदल चले थे जैश के चारों आतंकी
आतंकियों से मिले वायरलेस हैंडहेल्ड सेट और अन्य जानकारियों के आधार पर सुरक्षाबलों को ये जानकारी मिली है कि जैश के मारे गए चारों आतंकियों को कमांडों स्तर की ट्रेनिंग दी गई थी। ये बात भी सामने आई है कि उन्होंने शकरगढ़ में जैश के कैंप से सांबा बॉर्डर तक पैदल यात्रा की थी और फिर जटवाल तक आए थे। इसके मायने ये हुए वे अंधेरी रात में भी चलते रहे होंगे।
एक सीनियर अधिकारी के अनुसार, इंटरनेशनल बॉर्डर से जटवाल करीब 8.7 किलोमीटर दूर है। इसकी दूसरी जैश के शकरगढ़ से करीब 30 किमी है। भारत में घुसपैठ का संभावित इलाका सांबा सेक्टर में मावा गांव के आसपास रहा होगा। ये गांव रामगढ़ और हिरानगर सेक्टर के बीच है। यहां नोनाथ नाला के आसपास कई कच्चे रास्ते हैं जो सीमा तक जाते हैं। आशंका जताई जा रही है कि इन्हीं रास्तों से आतंकी करीब ढाई से तीन घंटे पैदल चलते हुए पिक-अप प्लाइंट तक पहुंचे होंगे।
ऐसे भी सबूत मिले हैं कि वे रात करीब 2.30 या 3 बजे के करीब ट्रक (JK01AL 1055) पर सवार हुए और उन्हें जम्मू जाने वाले सरोर टोल प्लाजा को भी करीब 3.44 बजे पार होते हुए देखा गया। इसके बाद ट्रक नरवाल बाइपास के रास्ते से कश्मीर की ओर बढ़ा जहां बन टोल प्लास पर तड़के करीब 4.45 बजे सुरक्षाकर्मियों ने रोका।
जैश की बढ़ रही है सक्रियता
भारत के आतंकवाद रोधी अधिकारियों के अनुसार, अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी और तालिबान के वहां मजबूत होने के साथ, इसका देवबंदी वैचारिक साझेदार जैश भी जम्मू-कश्मीर सीमा पर ज्यादा सक्रिय हो गया है। मिली जानकारी के अनुसार सीमा पार कम से कम 14 ऐसे प्रशिक्षित आतंकवादी तैयार बैठे हैं गुजरांवाला में हैं और भारत में घुसपैठ का इंतजार कर रहा है।
एक और सुरक्षा अधिकारी ने बताया, 'विभिन्न तंजीमों के करीब 200 आतंकवादी भारत में घुसपैठ करने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) के उस पार लॉन्च पैड पर इंतजार कर रहे हैं। हम अल-बद्र समूह के फिर से उठ खड़े होने की कोशिशों पर नजर रखे हुए हैं। साथ ही आतंक के एक और ग्रुप लश्कर-ए-मुस्तफा पर हमारी नजर है, जिसका नेतृत्व हिदायतुल्ला मलिक कर रहा है। इसके अलाना एक अन्य पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा (लश्कर) ग्रुप है जो खैबर-पख्तूनख्वा के जंगल-मंगल कैंप में 23 आतंकवादियों को प्रशिक्षण दे रहा है।'