जम्मू कश्मीर में आज भी जारी है 'राजसी प्रथा', जम्मू से हटकर 6 मई से श्रीनगर में लगेगा 'दरबार'

By सुरेश डुग्गर | Published: April 25, 2019 01:49 PM2019-04-25T13:49:09+5:302019-04-25T13:49:09+5:30

हर छह महीने के बाद मौसम के बदलाव के साथ ही राजधानी को बदलने की प्रथा को फिलहाल समाप्त नहीं किया गया है तभी तो गर्मियों में राजधानी जम्मू से श्रीनगर चली जाती है और छह महीनों के बाद सर्दियों की आहट के साथ ही यह जम्मू आ जाती है।

Jammu Kashmir 'majestic system' continues, capital changed from Jammu to Srinagar | जम्मू कश्मीर में आज भी जारी है 'राजसी प्रथा', जम्मू से हटकर 6 मई से श्रीनगर में लगेगा 'दरबार'

जम्मू कश्मीर में आज भी जारी है 'राजसी प्रथा', जम्मू से हटकर 6 मई से श्रीनगर में लगेगा 'दरबार'

Highlights26 अक्टूबर 1947 को राज्य का देश के साथ विलय हुआ तो राज्य सरकार ने कई पुरानी व्यवस्थाएं बदल ले लेकिन दरबार मूव जारी रखा।राज्य में 146 साल पुरानी यह व्यवस्था आज भी जारी है।इस बार जम्मू में ‘दरबार’ 26 अप्रैल यानि कल बंद होगा और 6 मई को ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में खुलेगा।

जम्मू, 25 अप्रैलः चौंकाने वाली बात यह है कि जम्मू-कश्मीर में ‘राजसी प्रथा’ अभी भी जारी है। हर छह महीने के बाद मौसम के बदलाव के साथ ही राजधानी को बदलने की प्रथा को फिलहाल समाप्त नहीं किया गया है तभी तो गर्मियों में राजधानी जम्मू से श्रीनगर चली जाती है और छह महीनों के बाद सर्दियों की आहट के साथ ही यह जम्मू आ जाती है। इस समय जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन है।

इस राजधानी बदलने की प्रक्रिया को राज्य में दरबार मूव के नाम से जाना जाता है, जो प्रतिवर्ष सभी मदों पर खर्च किए जाने वाली राशि को जोड़ा जाए तो तकरीबन 800 करोड़ रुपया डकार जाती है और वित्तीय संकट से जूझ रही रियासत में राजसी प्रथा को बंद करने की हिम्मत कोई भी जुटा नहीं पा रहा है। इस बार जम्मू में ‘दरबार’ 26 अप्रैल यानि शुक्रवार बंद होगा और 6 मई को ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में खुलेगा।

दो राजधानियों वाले राज्य जम्मू-कश्मीर में शीतकालीन राजधानी जम्मू में शुक्रवार दोपहर को छह महीनों के लिए बंद हो जाएगा। अब  6 मई से ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में काम करेगा। महाराजा के समय की दरबार मूव की इस व्यवस्था को कश्मीर केंद्रित सरकारों ने बदस्तूर जारी रखा। अब राज्य सचिवालय व राजभवन अक्टूबर माह के अंत तक प्रशासनिक कामकाज श्रीनगर से  चलाएंगे।

इस दौरान जम्मू सचिवालय में सरकारी विभागों, विधानसभा, विधान परिषद सचिवालय को ताले लगाकर सील कर दिया जाएगा। दरबार बंद होने के बाद भी जम्मू सचिवालय की सुरक्षा को लेकर कड़े प्रबंध रहेंगे। यह जिम्मेवारी जम्मू-कश्मीर पुलिस की सुरक्षा शाखा व केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल मिलकर निभाएंगे।

कड़ी सुरक्षा के बीच शनिवार को सचिवालय के कश्मीरी कर्मचािरयों का काफिला श्रीनगर के लिए रवाना होगा। सरकार रिकार्ड से भरे 100 के करीब वाहन रविवार को श्रीनगर जाएंगे। इस दौरान 300 किलोमीटर लंबे जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर सुरक्षा व अन्य सभी प्रबंध रहेंगे। जम्मू के कर्मचारी चंद दिन घरों में छुट्टी बिताने के बाद पांच, छह मई को कश्मीर जाएंगे। ऐसे में इन चार दिनों में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एकतरफा ट्रैफिक रहेगी।

भारी भरकम बोझ के कारण दरबार मूव की प्रकिया को बंद करने की मांग पिछले काफी समय से उठती आ रही है। पैंथर्स पार्टी जैसी  पार्टियां मांग कर रही हैं इसे बंद किया जाना चाहिए। पार्टी के चेयरमैन हर्षदेव सिंह का कहना है कि आज जब सरकार का सारा कामकाज कंप्यूटर पर होता है तो साजो सामान को ले जाने की क्या तुक है। उनका कहना है कि दोनों जगह पर सचिवालयों को स्थायी रूप से काम करना चाहिए। सिर्फ मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य सचिव आदि ही मूव करें तो काम चल सकता है।  इससे करोड़ों रुपये बचेंगे। महाराजा के जमाने में इस प्रक्रिया की आज जरूरत नहीं है, आज यातायात, संचार के बेहतर साधनों के करीब कहीं से भी काम हो सकता है।

आतंकवाद का सामना कर रहे जम्मू-कश्मीर में दरबार मूव की प्रक्रिया को कामयाब बनाना भी एक बहुत बड़ी चुनौती है। इस दौरान कड़ी व्यवस्था के बीच सचिवालय के अपने 35 विभागों, सचिवालय के बाहर के करीब इतने ही मूव कायालयों के करीब पंद्रह हजार कर्मचारी श्रीनगर रवाना होंगे। उनके साथ खासी संख्या में पुलिस कर्मी भी मूव करेंगे। श्रीनगर में इन कर्मचारियों को सरकारी आवासों, फ्लैटों व होटलों में कड़ी सुरक्षा के बीच ठहराया जाएगा। श्रीनगर में मंत्रियों, विधायकों व विधान परिषद के सदस्यों को ठहराने के लिए इस्टेट विभाग की विशेष व्यवस्था है।

तंगहाली के दौर से गुज रहे जम्मू-कश्मीर में दरबार मूव पर सालाना खर्च  होने वाला 300 करोड़ रुपये वित्तीय मुश्किलों को बढ़ाता है।  सुरक्षा खर्च मिलाकर यह 700-800 करोड़ से अधिक हो जाता है। दरबार मूव के लिए दोनों राजधानियों में स्थायी व्यवस्था करने पर भी अब तक अरबों रुपये खर्च हो चुके हैं।

साल में दो बार कर्मचारियों को लाने, ले जाने, सचिवालय के रिकॉर्ड को ट्रकों में लाद कर जम्मू, श्रीनगर पहुंचाने के दौरान नुकसान भी होता है। इ गर्वनेंस के दौर में भारी भरकम फाइलों का बोझ ढोया जा रहा है। दरबार मूव के तहत सचिवालय के 35 विभागों व सचिवालय के बाहर इतने ही मूव कार्यालयों के पंद्रह हजार से ज्यादा कर्मचारियों के साथ पुलिस मुख्यालय, सुरक्षा शाखा के भी हजारों कर्मचारी दरबार के साथ आते जाते हैं। मूव करने वाले कर्मचारियों को साल में दो बार पंद्रह हजार रुपये का मूव टीए मिलता है। इसके साथ प्रति माह दो हजार के हिसाब से 24 हजार रुपये का टेंपरेरी मूव टीए भी मिलता है।

अधिकारियों के मुताबिक श्रीनगर में दरबार खुलने के मद्देनजर सारी तैयारियां कर ली गई हैं। राज्य प्रशासन को निर्देश दिए गए है कि कर्मचारियों को वहां पर रहने, खाने, सुरक्षा संबंधी कोई मुश्किल पेश न आए। सात मई को दरबार खुलते ही सरकार का कामकाज शुरू हो जाएगा। इसके लिए विशेष व्यवस्था की गई है।

जम्मू-कश्मीर में दरबार मूव की शुरुआत महाराजा रणवीर सिंह ने 1872 में बेहतर शासन के लिए की थी। कश्मीर, जम्मू से करीब तीन सौ किलोमीटर दूरी पर था, ऐसे में डोगरा शासक ने यह व्यवस्था बनाई कि दरबार गर्मियों में कश्मीर व सर्दियों में जम्मू में रहेगा। उन्नीसवीं शताब्दी में दरबार को तीन सौ किलोमीटर दूर ले जाना एक जटिल प्रक्रिया थी व यातायात के कम साधन होने के कारण इसमें काफी समय लगता था। अप्रैल महीने में जम्मू में गर्मी शुरू होते ही महाराजा का काफिला श्रीनगर के लिए निकल पड़ता था। महाराजा का दरबार अक्टूबर महीने तक कश्मीर में ही रहता था। जम्मू से कश्मीर की दूरी को देखते हुए डोगरा शासकों ने शासन को ही कश्मीर तक ले जाने की व्यवस्था को वर्ष 1947 तक बदस्तूर जारी रखा।

जब 26 अक्टूबर 1947 को राज्य का देश के साथ विलय हुआ तो राज्य सरकार ने कई पुरानी व्यवस्थाएं बदल ले लेकिन दरबार मूव जारी रखा।  राज्य में 146 साल पुरानी यह व्यवस्था आज भी जारी है। दरबार को अपने आधार क्षेत्र में ले जाना कश्मीर केंद्रित सरकारों को सूट करता था, इस लिए इस व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं लाया गया है।

Web Title: Jammu Kashmir 'majestic system' continues, capital changed from Jammu to Srinagar

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे