जम्मू-कश्मीर: राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने पर दी सफाई, कहा- अपवित्र था गठबंधन
By स्वाति सिंह | Published: November 22, 2018 12:19 PM2018-11-22T12:19:38+5:302018-11-22T12:19:38+5:30
बुधवार को पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती द्वारा चिट्ठी लिखने के कुछ देर बाद ही गवर्नर सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का शासनादेश जारी कर दिया। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक राज्यपाल मलिक ने कहा 'यह गठबंधन अपवित्र था।
जम्मू कश्मीर विधानसभा को भंग करने के बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गुरुवार को इसके कारण बताए। उन्होंने कहा 'मैं राज्य में अस्थिरता नहीं चाहता था। गौरतलब है कि बुधवार को पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती द्वारा चिट्ठी लिखने के कुछ देर बाद ही गवर्नर सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का शासनादेश जारी कर दिया। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक राज्यपाल मलिक ने कहा 'यह गठबंधन अपवित्र था। मुझे सरकार बनाने के लिए खरीद-फरोख्त की शिकायत मिली थी।
उन्होंने कहा 'मैं राज्यपाल के रूप में अपनी नियुक्ति के दिन से ही यह कह रहा हूं कि मैं राज्य में किसी भी सरकार के पक्ष में नहीं हूं। मैं चाहता हूं कि चुनाव आयोजित किया जाए और चयनित सरकार ही राज्य का शासन करे।' उन्होंने आगे कहा 'बीते दिनों मुझे विधायकों की हॉर्स ट्रेडिंग की शिकायतें मिली थी, विधायकों को धमकाया जा रहा था। खुद महबूबा जी ने भी इस शिकायत की थी कि उनके विधायकों को धमकी दी जा रही है। '
I have been saying it since day one of my appointment as Governor that I'm not in favour of any govt formed in the state with underhand defection & horse trading. I would instead want that elections are held & selected government rules the state: J&K Governor Satya Pal Malik pic.twitter.com/2r5qOAs9TZ
— ANI (@ANI) November 22, 2018
I've been receiving complaints for past 15 days of horse trading & that MLAs are being threatened. Mehbooba Ji herself complained that her MLAs are being threatened.The other party said there is planning of distribution of money.I couldn't have allowed this to happen:J&K Governor pic.twitter.com/dClcBtc9Sj
— ANI (@ANI) November 22, 2018
राज्यपाल मलिक ने कहा 'ये वह ताकतें हैं जो जमीनी लोकतंत्र नहीं चाहते और अचानक ये देखकर की हमारे हाथ से सब चीजें निकल रही हैं, तो एक अपवित्र गठबंधन करके मेरे सामने आ गए। मैंने किसी का पक्षपात नहीं किया है मैंने वही किया जो जम्मू कश्मीर की जनका के लिए सही है।'
Ye forces wo hain jo grassroot democracy bilkul nahi chahti thin aur achanak ye dekhke ki hamare haath se chijein nikal rahi hain,ek unholy alliance karke mere saamne aa gaye. Maine kisi ka pakshpat nahi kiya.Maine jo J&K ki janta ke paksh me tha wo kaam kiya hai: J&K Governor pic.twitter.com/6t3TyqIRSK
— ANI (@ANI) November 22, 2018
राज्यपाल सत्यपाल मलिक पहले भी दें चुके हैं सफाई
जम्मू कश्मीर में बुधवार को विभिन्न पार्टियों द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश करने और इसके तत्काल बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक की ओर से विधानसभा भंग करने की कार्रवाई के बाद राज भवन ने देर रात एक बयान जारी कर इस पर राज्यपाल का रुख स्पष्ट किया है।
चार अहम कारणों से तत्काल प्रभाव से विधानसभा भंग करने का निर्णय लिया जिनमें ‘‘व्यापक खरीद फरोख्त’’ की आशंका और ‘‘विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ आने से स्थिर सरकार बनना असंभव’’ जैसी बातें शामिल हैं। राज्यपाल ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति के जरिए विधानसभा भंग करने की सूचना दी। राजभवन ने बाद में एक बयान में कहा,‘‘ राज्यपाल ने यह निर्णय अनेक सूत्रों के हवाले से प्राप्त सामग्री के आधार पर लिया।’’
जम्मू कश्मीर की विधानसभा भंग करने के चार कारण
बयान में चार अहम कारणों में से मुख्य कारण का जिक्र करते हुए कहा गया है, ‘‘विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ आने से स्थाई सरकार बनना असंभव है। इनमें से कुछ पार्टियों तो विधानसभा भंग करने की मांग भी करती थीं। इसके अलावा पिछले कुछ वर्ष का अनुभव यह बताता है कि खंडित जनादेश से स्थाई सरकार बनाना संभव नहीं है। ऐसी पार्टियों का साथ आना जिम्मेदार सरकार बनाने की बजाए सत्ता हासिल करने का प्रयास है।’’
बयान में आगे कहा गया, ‘‘व्यापक खरीद फरोख्त होने और सरकार बनाने के लिए बेहद अलग राजनीतिक विचारधाराओं के विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए धन के लेन देन होने की आशंका की रिपोर्टें हैं। ऐसी गतिविधियां लोकतंत्र के लिए हानिकारक हैं और राजनीतिक प्रक्रिया को दूषित करती हैं।’’
इसमें तीसरा कारण बताया गया है कि बहुमत के लिए अलग अलग दावें हैं वहां ऐसी व्यवस्था की उम्र कितनी लंबी होगी इस पर भी संदेह है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘जम्मू कश्मीर की नाजुक सुरक्षा व्यवस्था जहां सुरक्षा बलों के लिए स्थाई और सहयोगात्मक माहौल की जरूरत है। ये बल आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगे हुए हैं और अंतत: सुरक्षा स्थिति पर नियंत्रण पा रहे हैं।’’
(भाषा इनपुट के साथ)