जम्मू-कश्मीरः गुलमर्ग और सोनमर्ग सहित कई इलाकों में पहली बर्फबारी, पर्यटक खुश, देखें वीडियो

By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 20, 2022 02:59 PM2022-10-20T14:59:09+5:302022-10-20T15:00:06+5:30

गुलमर्ग, सोनमर्ग, गुरेज और करनाह समेत कश्मीर के कई इलाकों में भारी बर्फबारी हुई अधिकारियों ने कहा कि गुलमर्ग में दो इंच से अधिक बर्फ जमा हो गई है जबकि घाटी के ऊंचे इलाकों में भारी बर्फबारी हुई है।

jammu kashmir First Snowfall in Winter Wonderland Gulmarg Magical Event Shardah, Neelum Valley see video | जम्मू-कश्मीरः गुलमर्ग और सोनमर्ग सहित कई इलाकों में पहली बर्फबारी, पर्यटक खुश, देखें वीडियो

तापमान में कई डिग्री की गिरावट आई है।

Highlightsघाटी के विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल गुलमर्ग और सोनमर्ग में सीजन की पहली बर्फबारी हुई है।तापमान में कई डिग्री की गिरावट आई है। स्वेटर और भारी जैकेट जैसे सर्दी के कपड़े पहनने लगे हैं।

जम्मूः समय से पूर्व और पहली बर्फबारी ने एक बार फिर कश्मीर को ‘जनत-ए-कश्मीर’ का तगमा दिलवा दिया है। धरती के स्वर्ग कश्मीर घाटी में घूमने आने वाले पर्यटकों लिए अच्छी खबर है। घाटी के विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल गुलमर्ग और सोनमर्ग में सीजन की पहली बर्फबारी हुई है।

इससे पर्यटक और पर्यटन कारोबार से जुड़ें लोगों के चेहरे खिल उठे हैं। बड़ी संख्या में यहां पर्यटक पहुंचे हैं और हिमपात का नजारा ले रहे हैं। मध्यरात्रि के दौरान गुलमर्ग, सोनमर्ग, गुरेज और करनाह समेत कश्मीर के कई इलाकों में भारी बर्फबारी हुई अधिकारियों ने कहा कि गुलमर्ग में दो इंच से अधिक बर्फ जमा हो गई है जबकि घाटी के ऊंचे इलाकों में भारी बर्फबारी हुई है।

अधिकारियों ने कहा कि शहर की जबरवान पर्वत श्रृंखला में भी रात के समय हिमपात हुआ है। श्रीनगर शहर और घाटी के अन्य इलाकों में बृहस्पतिवार तड़के से मध्यम स्तर की बारिश हुई है, जिससे तापमान में कई डिग्री की गिरावट आई है। लोग इस बार पहले से ही स्वेटर और भारी जैकेट जैसे सर्दी के कपड़े पहनने लगे हैं।

एक ट्रैवल एजेंट रमजान मलिक ने कहा कि बर्फबारी की खबरों के चलते इस साल, सर्दी के दौरान यहां आने को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ गई है। मलिक ने कहा कि पहाड़ों पर मंगलवार को पहली बर्फबारी हुई और बुधवार को उन लोगों के फोन आने लगे जो सर्दी के दौरान यहां आना चाहते हैं।

उम्मीद है कि सर्दी के दौरान यहां अच्छी बर्फबारी होगी, जिससे काफी संख्या में पर्यटक आकर्षित होंगे। रात को ताजा बर्फबारी होने की सूचना मिलते ही सैंकड़ों पर्यटक मौसम का आनंद उठाने के लिए गुलमर्ग पहुंच रहे हैं। पर्यटक बर्फबारी में खेलते व सेल्फी लेते हुए नजर आ रहे हैं। गुलमर्ग व उसके आसपास के ऊंचे पहाड़ों को बर्फ की सफेद चादर में लिपटा देख पर्यटक काफी खुश हैं।

दिल्ली से आए महेश कुमार ने कहा कि वह कश्मीर में दो से हैं, शनिवार को उन्हें वापस जाना है, वह बर्फबारी का इंतजार कर रहे थे, उन्हें खुशी है कि कश्मीर जिस खूबसूरती के लिए जाना जाता है, वह कुदरत का नजारा उन्होंने यहां स्वयं अपनी आंखों से देख लिया। इसी वजह से कश्मीर को धरती पर स्वर्ग कहा जाता है।

समय से पहले बर्फबारी ने दी दस्तक कश्मीर और लद्दाख में

इस बार भी कश्मीर के साथ-साथ लद्दाख सेक्टर में बर्फ ने समय से बहुत पहले दस्तक क्या दी, करगिल और द्रास के नागरिकों के माथे पर चिंता की लकीरें खींर्च आइं। ऐसा ही हाल उन हजारों सैनिकों का भी है जो चीन सीमा पर चीन की बढ़त व घुसपैठ को रोकने की खातिर तैनात किए गए हैं।

चिंता का कारण स्पष्ट है। न ही नागरिक व नागरिक प्रशासन कोई तैयारी कर पाया और न ही तैनात सैनिकों को सर्दी से बचाने की खातिर तैयारी पूरी की जा सकी है। अक्सर, नवम्बर 15 के बाद करगिल और द्रास समेत लद्दाख के पहाड़ों पर बर्फबारी आरंभ होती थी। लेकिन इस बार 19 अक्तूबर को ही इसकी दस्तक ने सभी को चौंकाया है।

द्रास स्थित प्रशासनिक अधिकारी मानते हैं कि चीन सीमा पर सैनिकों की तैनाती की कवायद में ही जुटे रहने के कारण वे करगिल व द्रास के नागरिकों के लिए सर्दी में की जाने वाली तैयारियां ही आरंभ नहीं कर पाए। नतीजतन, राजमार्ग के बंद होने की चिंता के कारण अब सारा जोर वायुसेना पर आ पड़ेगा।

यही दशा लद्दाख में चीन सीमा पर तैनात किए गए दो लाख के करीब भारतीय जवानों के प्रति भी है जिनके लिए सर्दियों के लिए आवश्यक सामान की आपूर्ति का काम दावों के बावजूद अभी भी अधूरा है। सप्लाई के साथ साथ भयानक सर्दी से बचाने की खातिर मुहैया करवाये जाने वाले कपड़े इत्यादि की अभी भी कमी महसूस की जा रही है जो सभी तक नहीं पहुंच पाए हैं।

हालांकि इस परिस्थिति का सामना करने की खातिर सेना ने अब अग्रिम चौकिओं पर अधिक से अधिक जवानों को रोटेशन के आधार पर तैनात करना आरंभ किया है। ऐसा ही चीन भी कर रहा है जो प्रत्येक चौकी में जवानों को तीन से चार दिन ही तैनात करते हुए फिर उन्हें बैरकों में वापस बुला रहा है।

सूत्र मानते हैं कि लद्दाख में सर्दी अपने भयानक रूप में दस्तक दे चुकी है ओर ऐसे में दोनों मुल्कों की सेनाएं अपने जवानों का मनोबल बढ़ाने की कोशिश में जुटी हैं। अधिकारी कहते थे कि प्रकृति के स्वरूप को लेकर वे कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते हैं। वे इसका ख्मियाजा सियाचिन हिमखंड में शुरू के सालों में भुगत चुके हैं जब 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने इसे अपने कब्जे में लिया था।

यह भी सच है कि आज भी सियाचिन हिमखंड में सबसे अधिक नुक्सान कुदरत के कारण सहन करना पड़ रहा है और भारतीय सेना चीन सीमा पर इसे दोहराना नहीं चाहती है। ऐसे हालात में सेना के वरिष्ठ अधिकारी अग्रिम इलाकों का दौरा करने के साथ सर्दियों का सामना करने के लिए हो रही तैयारियों का भी जायजा ले रहे हैं।

लद्दाख की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली सेना की चौदह कोर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आनिंदयसेन गुप्ता ने सियाचिन ग्लेशियर का दौरा कर वहां तैनात जवानों की हिम्मत बढ़ाई। जवान अत्याधिक ठंड में पाकिस्तान सेना के सामने सीना ताने खड़े हैं। सर्दियों के महीनों में बर्फ में जम गए लद्दाख के अग्रिम इलाकों में अत्याधिक ठंड में जीवन और भी कठिन हो जाता है।

ऐसे हालात में भी सेना के जवानों की पेट्रोलिंग जारी रहती है। इस समय लद्दाख में सेना पेट्रोल, डीजल से लेकर अपनी जरूरत का सारा सामान स्टोर कर सर्दियों का सामना करने की तैयारी कर रही है। लद्दाख में इस समय बड़े पैमाने पर सेना की आपरेशनल तैयारियां चल रही हैं। पिछले डेढ़ महीने के दौरान भारतीय सेना लद्दाख में दो युद्धाभ्यास कर अपनी आपरेशनल तैयारियों को धार दे चुकी है।

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