जम्मू-कश्मीरः बोलीं महबूबा-खून खराबा समाप्त करना है तो पाक से बातचीत जरूरी, युद्ध विकल्प नहीं
By रामदीप मिश्रा | Published: February 12, 2018 03:51 PM2018-02-12T15:51:21+5:302018-02-12T15:52:26+5:30
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था, 'मैं पीएम और पाकिस्तान से गुजारिश करती हूं कि जम्मू-कश्मीर को जंग का अखाड़ा मत बनाइए, दोस्ती का पुल बनाइए।
श्रीनगर, 12 फरवरी। जम्मू-कश्मीर में लगातार पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से नापाक हरकतें की जा रही हैं। साथ ही साथ आतंकियों द्वारा सेना व आम लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। इसको देखते हुए सूबे की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान से बातचीत करने के लिए कहा है और इसी को समस्या का समाधान बताया है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'अगर हम खून-खराबा को समाप्त करना चाहते हैं तो पाकिस्तान से बातचीत करना जरूरी है। मुझे पता है कि आज रात समाचार एंकर्स मुझे राष्ट्र विरोधी करार देंगे, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। जम्मू-कश्मीर के लोग पीड़ित हैं। हमें बात करना है, क्योंकि युद्ध एक विकल्प नहीं है।'
Dialogue with Pakistan is necessary if we are to end bloodshed. I know I will be labelled anti-national by news anchors tonight but that doesn’t matter. The people of J&K are suffering. We have to talk because war is not an option.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) February 12, 2018
वहीं आपको बता दें, इससे पहले भी महबूबा मुफ्ती ने कहा था इस समय देश के बॉर्डर पर खून की होली चल रही है। पीएम मोदी कहते हैं कि देश विकास के रास्ते पर जा रहा है, लेकिन हमारे राज्य में कुछ उल्टा ही हो रहा है। उन्होंने पीएम मोदी और पाक से शांति की अपील भी की थी।
उन्होंने कहा था, 'मैं पीएम और पाकिस्तान से गुजारिश करती हूं कि जम्मू-कश्मीर को जंग का अखाड़ा मत बनाइए, दोस्ती का पुल बनाइए। महबूबा ने पुलिस से अपील करते हुए कहा था कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जनता के साथ भी सब्र दिखाएं। इतना ही नहीं पुलिस परेड के दौरान महबूबा मुफ्ती ने ये भी कहा था कि सूबे की पुलिस के सामने बड़ा चैलेंज है। लॉ एंड ऑर्डर बनाने के लिए जनता को संभालना उनके लिए एक मुश्किल काम है।
2017 में सुरक्षाहबलों ने घाटी में 206 आतंकियों को ढेर किया है। साथ ही 75 युवाओं को वापस मुख्यधारा में लाया गया है। ये वो युवक थे, जो या तो आतंक के साथ जुड़ चुके थे या फिर जुड़ने वाले थे। सीजफायर उल्लंघन और आतंकियों से मुठभेड़ में भी जवानों की शहादत बढ़ी है।