गले की फांस बन गई है कोकरनाग की जंग, छठे दिन भी कोई कामयाबी नहीं लगी हाथ नहीं
By सुरेश एस डुग्गर | Published: September 18, 2023 02:32 PM2023-09-18T14:32:53+5:302023-09-18T15:15:23+5:30
खबर यह भी आ रही है कि आतंकी उस ठिकाने पर हैं ही नहीं हैं जहां सेना व अन्य सुरक्षाबल छह दिनों से हजारों गोलियां, सैंकड़ों, ग्रेनेड और मोर्टार के गोले दाग चुके हैं।

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो
श्रीनगर: पिछले छह दिनों से जो हजारों सैनिक अनंतनाग के कोकरनाग के पहाड़ों में आतंकियों से जूझ रहे हैं वह जंग अब गले की फांस बन गई है।
डेढ़ सौ घंटों के बाद भी सेना और अन्य सुरक्षाबल इस स्थिति में नहीं हैं कि वे आतंकियों के मारे जाने की उन खबरों की पुष्टि कर सके जिनके प्रति कुछ अति उत्साही पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर बाढ़ ला दी है।
हालांकि कल देर रात सुरक्षाबलों ने उस इलाके से एक बुरी तरह से जला हुआ शव बरामद किया है जिसके प्रति कोई भी दावा करने से पहले उसका डीएनए परीक्षण किया जा रहा है। माना जा रहा है कि ये शव आतंकी उजैर खान का हो सकता है। ऐसे में अब आतंकी उजैर खान के परिवार के सदस्यों का डीएनए सैंपल इसकी पड़ताल की जाएगी।
यह बात अलग है कि सुरक्षाबल जले हुए शव के कपड़ों से यह दावा करने की कोशिश कर रहे हैं कि यह आतंकी या उस मुखबिर का शव हो सकता है जिसने सुरक्षाबलों के साथ डबल क्रास किया था।
याद रहे कोकरनाग में हुई मुठभेड़ में 13 सितंबर को तीन सुरक्षा अधिकारी वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा टीआरएफ ने ली थी। बताया जा रहा है कि इस हमले में 10 लाख के इनामी आतंकी उजैर का हाथ है।
उजैर खान स्थानीय आतंकवादी है, जो कोकेरनाग के नौगम गांव का रहने वाला है। वह जून 2022 से आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है।
वैसे एक खबर यह भी आ रही है कि आतंकी उस ठिकाने पर हैं ही नहीं हैं जहां सेना व अन्य सुरक्षाबल छह दिनों से हजारों गोलियां, सैंकड़ों, ग्रेनेड और मोर्टार के गोले दाग चुके हैं। इसमें हेरोन मार्क 2 अत्याधुनिक ड्रोन द्वारा गिराए जाने वाले बम भी शामिल हैं। अपुष्ट खबरें कहती हैं कि आतंकी फरार होने में कामयाब हुए हैं।
जबकि कुछ अधिकारी ड्रोन द्वारा ली गई फोटो के आधार पर कहते थे कि तीन आतंकियों के शव उस गुफा के बाहर दिख रहे हैं जहां तक 6 दिनों के बाद भी सुरक्षाबल पहुंचने में कामयाब नहीं हो पाए हैं।
वैसे कश्मीर में यह कोई पहली ऐसी मुठभेड़ नहीं है जो इतनी लंबी चली हो या फिर ऐसी कोई पहली मुठभेड़ भी नहीं है जिसमें कोई कामयाबी हाथ न लगी हो। कश्मीर में फैले आतंकवाद के इतिहास में ऐसी दर्जनों घटनाएं हो चुकी हैं। हालांकि यह पहला ऐसा हमला था जिसमें एक साथ तीन वरिष्ठ अधिकारी मारे गए थे।