JK: सुरक्षाबलों की कार्रवाई में ढाल बन रहे है सेब के पेड़-बगान, आतंकी मना रहे है कि अभी न आए पतझड़
By सुरेश एस डुग्गर | Published: September 1, 2022 04:39 PM2022-09-01T16:39:22+5:302022-09-01T16:46:25+5:30
जम्मू कश्मीर के एलओसी वाला इलाका भी आतंकियों के लिए ढ़ाल बन जाती है। यहां पर हो रही मक्की के खेती के आड़ में आतंकी अपने हमले को अन्जाम देते है।
जम्मू: कश्मीर में इस समय सेब की बहार है। सेबों के बागान में लगे सेब के पेड़ों पर सेबों के साथ साथ उनके पत्तों से सेब के बाग घने जंगलों में बदल चुके हैं। एक तरफ यही घनापन किसी के लिए वरदान साबित हो रहा है तो दूसरी और यही किसी के लिए मुसीबत बन रहा है।
इस पर बोलते हुए कश्मीर रेंज के आईजी एडीजीपी विजय कुमार ने बताया कि सेब के बागानों का घनापन आतंकियों के विरूद्ध अभियान चलाने में रूकावटें पैदा कर रहा है। ऐसे में उनका कहना है कि आतंकी सेब के बागानों की इस दशा का लाभ उठाते हुए मुठभेड़ और मुठभेड़ के बाद भागने में कामयाब भी हो रहे हैं।
बगानों का फायद उठाकर भाग जाते है आतंकी
इस सप्ताह हुई तीन मुठभेड़ों में हालांकि सुरक्षाबलों ने पांच आतंकियों को मार गिराने में कामयाबी पाई लेकिन कुछ आतंकी सेब के बागानों के इस घनेपन की आड़ में भाग निकलने में कामयाब भी हुए। दरअसल, सुरक्षाबल इन बागानों को नुक्सान से बचाना चाहते थे ताकि आम कश्मीरी के पेट पर लात न लगे।
ऐसे में आतंकी कश्मीरियों की मिन्नतों के बावजूद सेब के बागानों को अपने अड्डे बनाने में धमकी और चेतावनियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस बीच सेना द्वारा करीब चार शरणस्थलों को नेस्तनाबूद भी किया जा चुका है और इस अरसे में बड़ी मात्रा में हथियार, गोला बारूद के साथ साथ अन्य जरूरी सामान भी बरामद हुए है।
सुरक्षाबल सेब के सीजन जाने का कर रहे है इन्तजार
यही कारण था कि सुरक्षाबल अब इसका इंतजार कर रहे हैं कश्मीरी किसान अपने सेब के बागानों से अपनी फसलों को समेट लें और उसके बाद पेड़ों के पत्ते भी झड़ जाएं ताकि आतंकियों को इनकी आड़ लेने का मौका न मिल सके। लेकिन आतंकियों की ‘दुआ’ है कि यह मौसम ऐसा ही रहे और वे अपनी गतिविधियों को अन्जाम देते रहे।
यह भी सच है कि जम्मू कश्मीर में एलओसी के इलाकों में मक्की की फसल भी हमेशा ही आतंकियों व घुसपैठियों के लिए आड़ साबित होती रही है जिस कारण सुरक्षाबलों को उनके खिलाफ अभियान चलाने में हमेशा ही दिक्कत आती रहती है। एलओसी पर तो घुसपैठ के लिए पाक सेना भी मक्की की फसल का इंतजार करती रहती है।