डॉ आंबेडकर ने इस्तीफा देते समय जवाहरलाल नेहरू सरकार को दी थी सलाह, बँटवारा ही है कश्मीर समस्या का समाधान

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 6, 2019 03:52 PM2019-08-06T15:52:26+5:302019-08-06T16:09:19+5:30

डॉ भीमराव आंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री थे। उन्होंने 27 सितम्बर 1951 को जवाहरलाल नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। अपने इस्तीफे के बाद डॉ आंबेडकर ने सदन में उसका कारण बताने के साथ ही देश के अहम मुद्दों पर अपनी राय से नेहरू सरकार को अवगत कराया था। इसी भाषण में डॉ आंबेडकर ने कश्मीर के मसले पर भी अपनी संक्षिप्त किन्तु स्पष्ट राय सदन में रखी थी।

jammu kashmir 370 dr br ambedkar on kashmir while resgination from nehru cabinet | डॉ आंबेडकर ने इस्तीफा देते समय जवाहरलाल नेहरू सरकार को दी थी सलाह, बँटवारा ही है कश्मीर समस्या का समाधान

डॉ बीआर आंबेडकर ने कश्मीर मुद्दे पर दो सुझाव देते हुए कहा था कि भारत को पूर्वी बंगाल पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

Highlightsडॉ भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि कश्मीर और पूर्वी बंगाल देश की विदेश नीति की दो बड़ी समस्याए हैं।डॉ आंबेडकर का मानना था कि कश्मीर मुद्दों को तत्कालीन नेहरू सरकार जरूरत से ज्यादा तवज्जो दे रही है।

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाए जाने के फैसले के बाद से ही जम्मू-कश्मीर को लेकर राज्यसभा और लोकसभा, मीडिया, सोशल मीडिया समेत पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा जारी अधिसूचना के बाद जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया है। यह दर्जा खत्म हो जाने के बाद जम्मू-कश्मीर का स्वतंत्र संविधान और स्वतंत्र ध्वज नहीं होगा।   

डॉ भीमराव आंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री थे। उन्होंने 27 सितम्बर 1951 को जवाहरलाल नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। अपने इस्तीफे के बाद डॉ आंबेडकर ने सदन में उसका कारण बताने के साथ ही देश के अहम मुद्दों पर अपनी राय से नेहरू सरकार को अवगत कराया था। इसी भाषण में डॉ आंबेडकर ने कश्मीर के मसले पर भी अपनी संक्षिप्त किन्तु स्पष्ट राय सदन में रखी थी।

नीचे आप बाबासाहब के कश्मीर मसले पर विचार पढ़ सकते हैं। 

डॉ बीआर आंबेडकर के संसद में दिए भाषण का कश्मीर से जुड़ा अंश-

....पाकिस्तान के साथ हमारी तकरार हमारी विदेश नीति का अंग है, जिसके प्रति मेरे मन में गहरा असंतोष है। पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्ते ख़राब होने की दो मुख्य वजहें हैं- एक कश्मीर और दूसरा पूर्वी बंगाल के नागरिकों के हालात। मेरे ख़्याल से हमें पूर्वी बंगाल की ज्यादा चिंता करनी चाहिए, जहाँ सभी अख़बारों के अनुसार हमारे लोगों की स्थिति कश्मीर से ज्यादा ख़राब है। इसका चिंता करने के बजाय हम अपना सब कुछ कश्मीर मुद्दे पर दाँव लगा रहे हैं। फिर भी मुझे लगता है कि हम एक अवास्तविक मुद्दे पर लड़ रहे हैं। हम ज्यादातर इस बात पर लड़ते रहते हैं कि कौन सही है और कौन ग़लत है। मेरे ख़्याल से असली मुद्दा है  कि क्या सही है और क्या ग़लत है। इस मुख्य सवाल को ध्यान में रखते हुए मेरी राय है कि कश्मीर समस्या का सही समाधान है, कश्मीर का बँटवारा। 

हिन्दू और बौद्ध भाग भारत को दिया जाना चाहिए और मुस्लिम हिस्सा पाकिस्तान को, जैसा हमने भारत के साथ किया। कश्मीर के मुस्लिम हिस्से की हमें चिंता नहीं है। यह कश्मीर के मुसलमानों और पाकिस्तान के बीच का मसला है। वो जैसे चाहे इस मसले पर फैसला ले सकते हैं। या अगर आप चाहें तो इसे तीन भागों में बाँट सकते हैं- सीज़फायर ज़ोन, घाटी और जम्मू-लद्दाख ज़ोन और केवल घाटी में जनमत संग्रह करा लें। मुझे इस बात का डर है कि प्रस्तावित जनमत संग्रह जिसके तहत पूरे जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराया जाना है, कश्मीर के बौद्धों और हिन्दुओं को उनकी मर्जी के ख़िलाफ़ पाकिस्तान में धकेल दिया जाएगा और फिर हमें उसी समस्या का सामना करना पड़ेगा जिसका हम आज पूर्वी बंगाल में कर रहे हैं।  

जम्मू-कश्मीर से जुड़े नरेंद्र मोदी सरकार के दो बड़े फैसले

नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर से बड़े दो बड़े फैसले सोमवार को लिए। गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा को सूचित किया कि सरकार एक संकल्प द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के उपभाग एक को छोड़कर अन्य सभी उपभाग को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर रही है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी कर दी जिससे यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया।   

जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के साथ ही देश के गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 भी पेश किया जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को दो हिस्से में बाँटने का प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव के अनुसार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किया जाएगा। 

मोदी सरकार के प्रस्ताव के अनुसार लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा नहीं होगी। जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश की अपनी स्वतंत्र विधानसभा होगी। यह प्रस्ताव सोमवार को राज्यसभा में बहुमत से पारित हो गया। 

गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को यह विधेयक लोकसभा में पेश किया। 

English summary :
Since the decision of the Narendra Modi government to Article 370 revoked, there has been debate in the whole country including the Rajya Sabha and the Lok Sabha, the media, the social media, and the Jammu and Kashmir.


Web Title: jammu kashmir 370 dr br ambedkar on kashmir while resgination from nehru cabinet

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