जम्मू-कश्मीर: ड्रोन हमलों से निजात पाने के लिए सुरक्षाबलों को लेनी पड़ रही आमजन की सहायता, जानें मामला

By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 26, 2022 04:27 PM2022-07-26T16:27:44+5:302022-07-26T16:28:42+5:30

सीमांत कस्बों में सुरक्षाधिकारी सीमावासियों को जहां पहले आईईडी की पहचान करने की ट्रेनिंग दिया करते थे अब वे उन्हें ड्रोन को पहचानने का प्रशिक्षण एक साल से दे रहे हैं। हालत यह है कि पूरे प्रदेश में रात को लाखों आंखों आसमान में ड्रोन को ही तलाशती नजर आती हैं, खासकर फिदायीन ड्रोनों को। 

Jammu and Kashmir To get rid of drone attacks security forces have to take the help of common man | जम्मू-कश्मीर: ड्रोन हमलों से निजात पाने के लिए सुरक्षाबलों को लेनी पड़ रही आमजन की सहायता, जानें मामला

जम्मू-कश्मीर: ड्रोन हमलों से निजात पाने के लिए सुरक्षाबलों को लेनी पड़ रही आमजन की सहायता, जानें मामला

Highlightsड्रोन हमलों से निजात पाने को सुरक्षाबलों को अब आम जनता की सहायता की जरूरत पड़ गई है।आतंकियों, बारूदी सुरंगों, आईईडी के अतिरिक्त वे अब ड्रोन पर भी नजर रखने लगे हैं।प्रदेश में शौकिया तौर पर ड्रोन इस्तेमाल करने वालों की संख्या नाममात्र की ही है सिवाय विवाह शादियों में फोटोग्राफी करने वालों के।

जम्मू: जम्मू कश्मीर में अब बस ड्रोन ही ड्रोन की चर्चा हैं। ड्रोनों पर प्रतिबंध लगाने से लेकर उनकी पहचान करने की कवायद के साथ ही सीमांत इलाकों में लोगों को उड़ती संदिग्ध वस्तुओं के प्रति सुरक्षाबलों को जानकारी देने के लिए निवेदन करने के साथ ही उनकी पहचान करना भी सिखाया जा रहा है।

पिछले साल 27 जून तड़के जम्मू के वायुसैनिक हवाई अड्डे पर ड्रोन द्वारा किए गए फिदायीन हमलों के बाद से ही यह चर्चा और कवायद तेज हुई हैं। पिछले एक साल में पूरे प्रदेश में कम से कम 200 से ज्यादा घटनाएं ड्रोनों को देखे जाने और उनको गोलियां बरसा कर मार गिराने की हो चुकी हैं। यह बात अलग है कि अभी तक किसी भी उस ड्रोन को गिराने में कामयाबी नहीं मिल पाई जो हमलों के इरादों से आया था।

इतना जरूर है कि फिदायीन ड्रोनों से बचाव की खातिर पूरे प्रदेश में अब उनके खरीदने, बेचने और उड़ानें पर प्रतिबंध लागू किया जा चुका है। वैसे प्रदेश में शौकिया तौर पर ड्रोन इस्तेमाल करने वालों की संख्या नाममात्र की ही है सिवाय विवाह शादियों में फोटोग्राफी करने वालों के। जिनके ड्रोनों की उड़ान पर अब प्रतिबंध लागू कर दिया गया है।

ड्रोन हमलों से निजात पाने को सुरक्षाबलों को अब आम जनता की सहायता की जरूरत पड़ गई है। सीमांत कस्बों में सुरक्षाधिकारी सीमावासियों को जहां पहले आईईडी की पहचान करने की ट्रेनिंग दिया करते थे अब वे उन्हें ड्रोन को पहचानने का प्रशिक्षण एक साल से दे रहे हैं। हालत यह है कि पूरे प्रदेश में रात को लाखों आंखों आसमान में ड्रोन को ही तलाशती नजर आती हैं, खासकर फिदायीन ड्रोनों को। 

सुरक्षाबलों के लिए तिहरा काम करना पड़ रहा है। आतंकियों, बारूदी सुरंगों, आईईडी के अतिरिक्त वे अब ड्रोन पर भी नजर रखने लगे हैं। अर्थात उन्हें जमीन के नीचे दबी आईईडी, हमला करने के इरादों से आने वाले आतंकियों और आसमान के रास्ते मौत बन कर उड़ान भरने वाले ड्रोनों को सामना करना पड़ रहा है।

Web Title: Jammu and Kashmir To get rid of drone attacks security forces have to take the help of common man

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