दिल्ली बॉर्डर पर इधर किसानों का प्रदर्शन, उधर जम्मू-कश्मीर में किसान का बेटा हुआ शहीद, आज दोपहर गांव पहुंचेगा शहीद का पार्थिव शरीर
By विनीत कुमार | Published: November 28, 2020 09:08 AM2020-11-28T09:08:07+5:302020-11-28T09:16:55+5:30
पंजाब के तरन तारन जिले के रहने वाले सुखबीर सिंह कल पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी में शहीद हो गए। वे अपने परिवार में सबसे छोटे थे। उनका पार्थिव शरीर आज दोपहर तक उनके गांव पहुंचने की उम्मीद है।
केंद्र के तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा में आंदोलन चरम पर है। पिछले कई दिनों से ये आंदोलन जारी है और किसान अब दिल्ली के बॉर्डर पर हैं। इस बीच जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से लगे एलओसी से भी पंजाब के तरन तारन जिले में एक छोटे किसान के लिए दिन तोड़ने वाली खबर शुक्रवार को आई।
27 नवंबर (शुक्रवार) को सुबह करीब 8 बजे पंजाब से जब कई किसान दिल्ली कूच की तैयारी में जुटे थे, एक फोन कुलवंत सिंह को आया।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कुलवंत के पास ये फोन सेना की ओर से आया और उन्हें बताया गया कि जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में एलओसी के पास पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में उनके बेटे सुखबीर सिंह शहीद हो गए।
जम्मू-कश्मीर रायफल्स (JAK RIF) के रायफलमैन सुखबीर सिंह की उम्र केवल 22 साल थी और सेना में उनके शामिल हुए अभी 1 साल 11 महीने ही हुए थे। सुखबीर सिंह के अलावा एक और जवान भी शुक्रवार को इस क्रॉस-बॉर्डर फायरिंग में शहीद हुआ।
चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे सुखबीर
रिपोर्ट के अनुसार सुखबीर के पिता कुलवंत ने अपने गांव ख्वासपुर से फोन पर बताया, 'मेरे पास बस 6 कनाल जमीन है। मेरी कई सारी उम्मीदें सुखबीर पर टिकी थीं। अब मैं नहीं जानता कि क्या होगा।'
Pakistan Army resorted to ceasefire violation in Sunderbani Sector, Rajouri district, #JammuAndKashmir today. Two Jawans of Indian Army - Naik Prem Bahadur Khatri and Rifleman Sukhbir Singh - got critically injured and later succumbed to injuries: PRO Defence, Jammu pic.twitter.com/u0j0kRYhkj
— ANI (@ANI) November 27, 2020
कुलवंत बताते हैं, 'सुखबीर चार महीने पहले ही छुट्टियों पर आया था। वो अपनी बहन के ब्याह के लिए आया था। उसने सबकुछ किया। उसने शादी के लिए यूनिट से 5 लाख रुपये लोन भी लिए थे।'
सुखबीर चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनकी दो बड़ी बहनें और एक बड़ा भाई हैं। बड़े भाई मलेशिया में मजदूर के तौर पर काम करते हैं। इन चारों में अभी केवल एक बहन की शादी हो सकी है।
कपकपाते गले के साथ कुलवंत बताते हैं, 'वो केवल छठी या सातवीं कक्षा में था, तभी से कहता था कि वो सेना में जाएगा। वह सच में सेना में शामिल होना चाहता था। भगवान का शुक्र है कि उसका चयन हो गया और अब ये हो गया है।'
पिता को नहीं मालूम किसान आंदोलन के बारे में
कुलवंत अपना बेटा खो चुके हैं। साथ ही ये बात भी हैरान करती है कि सुखबीर के परिवार को दिल्ली के पास चल रहे मौजूदा किसान आंदोलन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। कुलवंत पंजाबी में कहते हैं, 'मैं ता कमान विच लगा रहना। टीवी ते वेखया सी कुझ रौला पाए रेया। साड्डे पिंडो कोई नहीं गया (मैं काम में व्यस्त रहता हूं। टीवी पर मैंने देखा है कि कुछ चल रहा है। हमारे गांव से वहां कोई नहीं गया है।)'
इस बीच रायफलमैन सुखबीर का पार्थिव शरीर शनिवार दोपहर तक उनके गांव ख्वासपुर पहुंचने की उम्मीद है और शाम को उनका अंतिम संस्कार किया जा सकता है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शहीद परिवार को 50 लाख रुपये और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषण की है।