अचानक लेह पहुंचे पीएम ने चीन को जम कर सुनाई, गलवान वैली से 249 किमी दूर है नीमू

By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 3, 2020 06:35 PM2020-07-03T18:35:26+5:302020-07-03T18:35:26+5:30

सेना, वायुसेना और आइटीबीपी के अधिकारियों व जवानों से मुलाकात करने के अलावा वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के साथ बैठक में हालात का भी जायजा लिया। उनके साथ चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत और थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवने भी थे।

Jammu and Kashmir Galwan Valley Leh PM Narendra Modi China heard fiercely Neemu is 249 km away | अचानक लेह पहुंचे पीएम ने चीन को जम कर सुनाई, गलवान वैली से 249 किमी दूर है नीमू

प्रधानमंत्री ने सेना, वायुसेना और आइटीबीपी के अधिकारियों व जवानों को संबोधित करते हुए उनका मनोबल बढ़ाया।

Highlightsरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत को आज लेह पहुंचना था, लेकिन वीरवार को रक्षामंत्री का दौरा रद्द हो गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह एक विशेष विमान में चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत और थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवने भी संग लेह पहुंचे।लेह पहुंचने के बाद वह हेलीकाप्टर में सवार हुए और सीधे जंस्कार की पहाड़ियों के बीच स्थित नीमू पहुंचे।

जम्मूः चीन और हिन्दुसतान की फौजों के बीच लद्दाख सेक्टर में एलएसी पर जारी सैन्य तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अचानक लेह पहुंच, सभी को चौंका दिया।

उन्होंने सेना, वायुसेना और आइटीबीपी के अधिकारियों व जवानों से मुलाकात करने के अलावा वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के साथ बैठक में हालात का भी जायजा लिया। उनके साथ चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत और थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवने भी थे। हालांकि उन्होंने उस गलवान वैली से 249 किमी की दूरी से चीन को जम कर सुनाई भी, जहां पिछले दिनों खूरेंजी झड़पों में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लेह के नीमू का दौरे का कोई पूर्व निर्धारित कार्यक्रम नहीं था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत को आज लेह पहुंचना था, लेकिन वीरवार को रक्षामंत्री का दौरा रद्द हो गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह एक विशेष विमान में चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत और थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवने भी संग लेह पहुंचे।

वह हेलीकाप्टर में सवार हुए और सीधे जंस्कार की पहाड़ियों के बीच स्थित नीमू पहुंचे

लेह पहुंचने के बाद वह हेलीकाप्टर में सवार हुए और सीधे जंस्कार की पहाड़ियों के बीच स्थित नीमू पहुंचे। यह इलाका गलवान वैली से 249 किमी दूर है। प्रधानमंत्री ने सेना, वायुसेना और आइटीबीपी के अधिकारियों व जवानों को संबोधित करते हुए उनका मनोबल बढ़ाया।

समुद्रतल से करीब 11000 फुट की ऊंचाई पर स्थित नीमू में जवानों व अधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने उनकी बहादुरी, कर्तव्य, निष्ठा, राष्ट्रभक्ति और बलिदान की भावना की सराहना की। पूरा देश उनके पीछे एक मजबूत दीवार की तरह खड़ा है। उन्होंने दुश्मन के दुस्साहस का मुहंतोड़ जवाब देन के लिए जवानों को सराहते हुए कहा कि पूरे देश को उन पर गर्व है। उन्होंने कहा कि सभी सेनाओं और अर्धसैनिकबलों को सभी मूल ढांचागत सुविधाएं और अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध कराए जाएंगे।

जवानों व अधिकारियों को संबोधित करने के बाद प्रधानमंत्री ने सभी वरिष्ठ सैन्याधिकारियों के साथ एक बैठक में पूर्वी लद्दाख की मौजूदा स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने चीन से निपटने की रणनीति पर भी चर्चा की और अग्रिम इलाकों में आप्रेशनल तैयारियों को तेज करने का निर्देश दिया।

उन्होंने लद्दाख के अग्रिम इलाकों में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पुलों, सड़कों के निर्माण में तेजी लाने के निर्देश देते हुए कहा कि इसमें धन की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। चीन के साथ सैन्य तनाव पैदा होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह पहला लद्दाख दौरा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख दौरे के दौरान आज लेह में जवानों को संबोधित भी किया। इस संबोधन में एक तरफ पीएम मोदी ने भारतीय जवानों का उत्साह बढ़ाया, दूसरी तरफ उन्होंने चीन को जमकर सुनाया भी। मोदी ने कहा कि भारतीय जवानों ने दुनिया को अपनी बहादुरी का नमूना दिखा दिया है।

लद्दाख में चीनी हरकतों पर तंज सकते हुए मोदी ने कहा कि अब विस्तारवाद का जमाना चला गया है, विकासवाद का वक्त है। मोदी ने चीन को चेताया कि ऐसी ताकतें मिट जाया करती हैं। मोदी चीन को सुनाते हुए बोले कि विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है और अब विकासवाद का है। तेजी से बदलते समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है।

विकासवाद के लिए असवर हैं यह ही विकास का आधार हैं। बीती शताब्दी में विस्तारवाद ने ही मानव जाति का विनाश किया। किसी पर विस्तारवाद की जिद सवार हो तो हमेशा वह विश्व शांति के सामने खतरा है। मोदी ने कहा कि इतिहास गवाह है कि ऐसी ताकतें मिट जाती हैं। बता दें कि चीन वक्त-वक्त पर लद्दाख, अरुणाचल के इलाकों पर अपना दावा बताता रहता है। इतना ही नहीं हाल ही में रूस और भूटान की कुछ जमीन पर भी उसने अपना दावा किया था।

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