जम्मू-कश्मीर: 8 हजार फुट की ऊंचाई पर मुठभेड़ नहीं ‘मिनी युद्ध’ था, सर्जिकल स्ट्राइक में बहादुरी दिखाने वाले सैनिकों ने शहादत देकर मनवाया लोहा

By सुरेश एस डुग्गर | Published: April 7, 2020 04:39 PM2020-04-07T16:39:21+5:302020-04-07T16:39:21+5:30

सेना प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने बताया कि जिन परिस्थितियों में पांचों घुसपैठियों को मार गिराया गया है, वह बहुत ही कठिन थीं।

Jammu and Kashmir: Encounter was not 'mini war' at 8000 feet height, soldiers who braved in surgical strikes martyred with iron | जम्मू-कश्मीर: 8 हजार फुट की ऊंचाई पर मुठभेड़ नहीं ‘मिनी युद्ध’ था, सर्जिकल स्ट्राइक में बहादुरी दिखाने वाले सैनिकों ने शहादत देकर मनवाया लोहा

जम्मू-कश्मीर: 8 हजार फुट की ऊंचाई पर मुठभेड़ नहीं ‘मिनी युद्ध’ था, सर्जिकल स्ट्राइक में बहादुरी दिखाने वाले सैनिकों ने शहादत देकर मनवाया लोहा

Highlightsमारे गए घुसपैठिए किसी भी तरह से सामान्य आतंकी नहीं थे। वह किसी प्रशिक्षित सैन्य कमांडों की तरह ही लैस थे।

जम्मू: एलओसी से सटे केरन सेक्टर में रंगडोरी में तीन दिनों तक जो मुठभेड़ आतंकियों के साथ चली थी वह किसी भी एंगल से मुठभेड़ न होकर एक ‘मिनी युद्ध’ था क्योंकि उसमें उन बहादुर भारतीय सैनिकों ने विजय फतह की थी जिन्होंने वर्ष 2016 में पाकिस्तान के भीतर घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देकर अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया था।

चिनार कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ऐसे बहादुर जवानों को सेल्यूट करते हुए कहते थे कि रंगडोरी अभियान अत्यंत ही चुनौतीपूर्ण था। इस अभियान को पूरा करने वाले अपने जवानों को मैं बधाई देता हूं। घुसपैठ पहली अप्रैल की सुबह हुई थी। उसी दिन आतंकी एक नाले की तरफ भाग निकले थे।

अगले दो दिन तक पूरे इलाके में तलाशी अभियान चलाया। उनके भागने के सभी रास्ते बंद किए गए। अभियान के दौरान एक आतंकी एलओसी की तरफ भागा, उसे जल्द ही मार गिराया गया। अन्य आतंकियों के साथ नजदीकी अर्थात् आमने-सामने की लड़ाई हुई। मारे गए आतंकी पूरी तरह प्रशिक्षित थे। उनके पास से जो सामान मिला है, उससे पता चलता है कि वह यहां किसी बड़ी वारदात को ही अंजाम देने के लिए आए थे।

उन्होंने कहा कि इस घुसपैठ से पाकिस्तान के इरादों को समझा जा सकता है। इस समय पूरी दुनिया कोरोना से जूझ रही है और वह यहां आतंकियों को खून खराबा करने के लिए घुसपैठ करा रहा है।

सेना प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने बताया कि जिन परिस्थितियों में पांचों घुसपैठियों को मार गिराया गया है, वह बहुत ही कठिन थीं। मारे गए घुसपैठिए किसी भी तरह से सामान्य आतंकी नहीं थे।

उनके पास से हथियारों का जो जखीरा मिला है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि वह यहां किसी बड़े हमले को अंजाम देने के लिए ही विशेष तौर पर भेजे गए थे। वह किसी प्रशिक्षित सैन्य कमांडों की तरह ही लैस थे।

रंगडोरी में मारे गए आतंकियों से पांच असाल्ट राइफलें, पांच एके मैगजीन, छह हथगोले, छह यूबीजीएल ग्रेनेड, एक गारमीन जीपीएस, एक आईकॉम रेडियो सेट, एक अल्ट्रा रेडियो सेट, दो मोबाइल फोन, एक घड़ी, दो आधार कार्ड, एक चार्जर और एक ब्लूटूथ हैंडसेट मिला है।

अब रंगडोरी को समझ लें। उत्तरी कश्मीर में एलओसी पर समुद्र तल से करीब 8 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित रंगडोरी, केरन सेक्टरा में खून जमा देने वाली ठंड, बर्फ से ढकी चोटियांे के बीच स्थित था जहां बारिश और अंधेरे की परिस्थितियां पूरी तरह से स्वचालित हथियारों से लैस आतंकियों के साथ थी। आतंकी जहां बैठे थे, वहां से वह अपनी तरफ आने वाले किसी को भी आसानी से निशाना बना सकते थे। इसके बावजूद सेना की 4 पैरा का कमांडो दस्ता रुका नहीं था, उसने घुसपैठियों के ठिकाने से बाहर आने का इंतजार करने के बजाय उन्हें उनके ठिकाने पर ही मार गिराने का फैसला किया था।

पाक सेना द्वारा प्रशिक्षित पांचों घुसपैठिये एक अप्रैल को खराब मौसम की आड़ में भारतीय सीमा में घुसे थे। बुधवार को पहली बार जब वह घेराबंदी में फंसे तो करीब तीन घंटे मुठभेड़ हुई थी। इसके बाद अनुमान लगाया जा रहा था कि वह वापस भाग निकले होंगे। अलबत्ता, शनिवार की शाम चार बजे रंगडोरी में उन्होंने सेना के एक गश्ती दल को अपनी तरफ आते देख फायरिंग कर दी। आतंकियों ने सर्दी में निचले इलाके में गुज्जर समुदाय द्वारा खाली छोड़ी गई एक ढोक में ठिकाना बना रखा था, जो दावर नाले के पास थी।

घुसपैठियों को मार गिराने के लिए सेना की 4 पैरा के कमांडो दस्ते ने जिम्मा संभाला। यह दस्ता शनिवार को ही जुमगुंड पहुंचा था। हैलीकाप्टर के जरिए यह जवान पहाड़ी पर पहंुचे। उन्होंने आतंकियों की गोलियों की परवाह किए बगैर पहाड़ी से नीचे उनके ठिकाने की तरफ बढ़ना शुरू किया। इसी दौरान बर्फ का एक बड़ा तोंदा टूट गया और जवान उसके साथ सीधे आतंकियों के सामने जा गिरे। बर्फ के साथ आतंकियों के सामने गिरते ही जवानों ने खुद को किसी तरह से संभाला और फिर आतंकियों के साथ आमने सामने की लड़ाई में शुरू हो गई। इस दौरान जवानों ने पांचों घुसपैठियों को मार गिराया।

Web Title: Jammu and Kashmir: Encounter was not 'mini war' at 8000 feet height, soldiers who braved in surgical strikes martyred with iron

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