श्रीनगर रेड जोन घोषित, फिर से लॉकडाउन, अमरनाथ यात्रा करवाने का जोखिम ले रही प्रदेश सरकार
By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 14, 2020 05:44 PM2020-07-14T17:44:22+5:302020-07-14T17:44:22+5:30
प्रदेश में करीब 190 मौतों के आंकड़ों के साथ ही कोरोना संक्रमितों की संख्या 12 हजार को पार करने वाली है। प्रशासन अमरनाथ यात्रा को संपन्न करवाने का जोखिम लेने को तैयार है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित करने की अर्जी को ठुकरा दिया है पर एक मामला अभी भी जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में चल रहा है।
जम्मूः कोरोना के कहर ने प्रशासन को मजबूर किया है कि वह श्रीनगर को रेड जोन घोषित करते हुए फिर से लॉकडाउन कर दे। इसी तरह से जम्मू में भी कई इलाके रेड जोन घोषित किए जा चुके हैं।
प्रदेश में करीब 190 मौतों के आंकड़ों के साथ ही कोरोना संक्रमितों की संख्या 12 हजार को पार करने वाली है। बावजूद इसके प्रदेश प्रशासन अमरनाथ यात्रा को संपन्न करवाने का जोखिम लेने को तैयार है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित करने की अर्जी को ठुकरा दिया है पर एक मामला अभी भी जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में चल रहा है।
इसका फैसला आते ही प्रशासन अपना अंतिम फैसला सुनाएगा। इतना जरूर था कि प्रदेश प्रशासन ने अमरनाथ यात्रा के लिए तैयारियां तो आरंभ की हुई हैं पर आधिकारिक तौर पर अभी तक इसके प्रति कोई घोषणा नहीं हुई है कि अमरनाथ यात्रा होगी या नहीं, अगर होगी तो कब से होगी और कितने लोगों को अनुमति मिलेगी।
अमरनाथ यात्रा को लेकर जितनी खबरें हैं वे गैर सरकारी तौर पर हैं जिसमें यह बताया जा रहा है कि 500 के करीब श्रद्धालुओं को प्रतिदिन पैदल बालटाल के रास्ते से भेजा जाएगा। एक योजना के अनुसार, एक हजार के करीब श्रद्धालुओं को हेलिकाप्टर से प्रतिदिन दर्शन की अनुमति मिल सकती है।
पर सबसे बड़ा सवाल यह था कि क्या प्रदेश के बाहर से श्रद्धालु आएंगे। यह सवाल इसलिए है क्योंकि शिरकत करने के लिए कई शर्तें हैं। इनमें सबसे बड़ी शर्त कोरोना जांच करवाने और पहले क्वारांटीन में रहने की है। फिलहाल कोई आधिकारिक घोषणा न होने के कारण पंजीकरण आदि के प्रति भी कोई खबर नहीं है।
इतना जरूर था कि प्रदेश में कई जिलों में कोरोना के बढ़ते कहर से बचने की खातिर कई इलाकों को फिर से लाकडाउन के दौर से गुजरना पड़ रहा था। इसके मद्देनजर इस बार अमरनाथ यात्रा रद्द करने का स्वर भी बुलंद हो रहा था। इसका विरोध करवने वालों का सवाल था कि आखिर क्यों प्रदेश प्रशासन इतना बड़ा खतरा मोल लेते हुए हजारों लोगों की जान क्यों सूली पर टांगने जा रहा है।