गणित का अध्यापक था हिजबुल आतंकवादी रियाज नायकू, सुरक्षा बलों को आठ वर्षों से तलाश थी, 12 लाख का इनाम, जानिए और इसके बारे में
By भाषा | Published: May 6, 2020 09:12 PM2020-05-06T21:12:25+5:302020-05-06T21:12:25+5:30
जम्मू और कश्मीर में हिजबुल कमांडर रियाज नाइकू को आज सुरक्षा बलों ने एक एनकाउंटर में मार गिराया। वह कई मामले में आर्मी के निशाने पर था। सितंबर 2018 में उसने पुलिस अधिकारियों के 11 रिश्तेदारों को बंधक बना लिया था।
श्रीनगरः जम्मू कश्मीर में बुधवार को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया हिज्बुल मुजाहिदीन का एक शीर्ष कमांडर रियाज नायकू आतंकवाद की राह पर चलने से पहले गणित का अध्यापक था।
सुरक्षा बलों को नायकू की आठ वर्षों से तलाश थी। वह अपने ही गांव में घिरने के बाद सुरक्षा बलों के हाथों मारा गया। अवंतिपुरा में पुलिस रिकॉर्ड में उसका नाम पहली बार छह जून 2012 को ‘रोजनामचे’ में तब दर्ज हुआ जब वह बेघपुरा गांव के अपने मकान से अचानक गायब हो गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि नायकू के खिलाफ 11 मामले दर्ज थे और उस पर 12 लाख रुपए का इनाम था। वह ज्यादातर अकेला ही रहता था और आतंकवादी संगठन के अंदर किसी पर भरोसा नहीं करता था।
उन्होंने बताया कि नायकू तकनीक का अच्छा जानकार था और सामने आने से हमेशा परहेज करता था। उसने ही 2014 में अपने साथी बुरहान वानी को संगठन की कमान संभालने को कहा था। बुरहान वानी हिजबुल का पोस्टर ब्वॉय था। वह 2016 में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया। उसके मारे जाने के बाद नायकू ने आतंकवादी संगठन की अंदरूनी राजनीति से खुद को दूर रखा और सब्जार अहमद और फिर उसके बाद जाकिर मूसा को कमान सौंपी। वानी की मौत के कुछ ही सप्ताह के बाद सब्जार मुठभेड़ में मारा गया और मूसा ने हिजबुल मुजाहिदीन छोड़ कर अपना अलग संगठन ‘अंसार गजवात-उल-हिंद’ बनाया। यह दूसरे आतंकवादी संगठन अलकायदा से जुड़ा था।
मूसा के अलग होने के बाद नायकू ने आतंकवादी संगठन की कमान संभाली। नायकू पर नजर रखने वाले एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वह अपने अभियान के बारे में किसी को नहीं बताता था। तकनीक का अच्छा जानकार होने के नाते तकनीक से जुड़ा ऐसा कोई भी सुबूत नहीं छोड़ता था जो सुरक्षा बलों को उस तक पहुंचा सके। किसान के बेटा नायकू ने पुलवामा के सरकारी डिग्री कॉलेज से स्नातक किया था और एक निजी स्कूल में पढ़ाता था। सुरक्षा बलों ने उसे 2010 में एक प्रदर्शन के दौरान पकड़ा था और 2012 में उसे रिहा कर दिया था।
उन्होंने बताया कि रिहा होने के तीन सप्ताह बाद मई 2012 में वह घर से चला गया और फिर नहीं लौटा। शोपियां में 2016 में एक आतंकवादी के जनाजे में वह राइफल लिए दिखाई दिया। इसके बाद से वह दक्षिण कश्मीर से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने लगा। पुलिस ने नायकू के पिता को हिरासत में लिया तो सितंबर 2018 में उसने पुलिस अधिकारियों के 11 रिश्तेदारों को बंधक बना लिया।
इसके बाद पुलिस अधिकारियों को उसके पिता को रिहा करना पड़ा और बदले में अपने रिशतेदारों की सुरक्षित रिहाई कराई। नायकू अकसर पाकिस्तानी प्रोपेगंडा को बढ़ावा देता था। उसने अनेक वीडियो और ऑडियो जारी कर पुलिसकर्मियों को आतंकवाद विरोधी अभियानों से दूर रहने की चेतावनी दी थी।
शीर्ष हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू को मुठभेड़ में घेरने के बाद कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट बंद
जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में मुठभेड़ में सुरक्षाबलों द्वारा आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर रियाज नायकू के साथ एक अन्य आतंकवादी को घेरे जाने के बाद बुधवार को कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई। अधिकारियों ने बताया कि एहतियाती कदम के तौर पर मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित की गई हैं।
पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में बेगपुरा इलाके में आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। उन्होंने बताया, ‘‘पुलिस ने एक सटीक सूचना के आधार पर गत रात बेगपुरा में एक अभियान शुरू किया। वरिष्ठ अधिकारी कल रात से ही इसकी निगरानी कर रहे हैं।’’ प्रवक्ता ने बताया कि आतंकवादियों से संपर्क स्थापित हो गया है और एक ‘‘शीर्ष आतंकवादी कमांडर’’ को घेर लिया गया है। हालांकि उन्होंने उसका नाम नहीं बताया।
नाइकू की मौत का इस्तेमाल हिंसा भड़काने में नहीं किया जाए: उमर
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर रियाज नाइकू की मौत को कुछ लोगों द्वारा ‘हिंसा भड़काकर तथा विरोध प्रदर्शन करके’ और लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उमर ने एक ट्वीट में कहा कि नाइकू ने जिस क्षण बंदूक उठा ली थी और हिंसा तथा आतंकवाद का रास्ता अपना लिया था, उसी दिन उसकी नियति तय हो गयी थी। उन्होंने कहा, ‘‘उसकी मौत का इस्तेमाल कुछ लोगों द्वारा हिंसा तथा विरोध प्रदर्शन भड़काकर और लोगों को खतरे में डालने के लिए बहाने के तौर पर नहीं किया जाना चाहिए।’’
आठ साल से फरार चल रहे नाइक को सुरक्षा बलों ने बुधवार को कश्मीर के पुलवामा जिले में उसके गांव में ढेर कर दिया था। तीन दिन पहले ही सेना के दो अधिकारियों समेत आठ सुरक्षाकर्मी हंदवाड़ा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। अधिकारी के अनुसार नाइकू के सिर पर 12 लाख रुपये का इनाम था और वह तीन बार पुलिस के चंगुल से भाग गया था। 35 साल के नाइकू के मारे जाने की खबर फैलने के बाद कुछ लोगों द्वारा सुरक्षा बलों पर पथराव की कुछ घटनाएं सामने आईं। इन घटनाओं को बड़ी सावधानी से संभाला गया ताकि और कोई नुकसान नहीं हो।