जम्मू-कश्मीर में कुत्तों का कहर, 12 सालों में 80 हजार लोगों को काटा
By सुरेश एस डुग्गर | Published: May 26, 2023 05:19 PM2023-05-26T17:19:36+5:302023-05-26T17:23:32+5:30
जम्मू-कश्मीर में आवारा कुत्तों की तादाद लाखों में होने के कारण वह आम जनता को अपना शिकार बना रहे हैं। कुत्तों ने हजारों लोगों को अपना शिकार अब तक बनाया है।

फाइल फोटो
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के बाद अगर किसी का साम्राज्य है और जिससे कोई डरता है वे हैं लाखों की तादाद में आवारा कुत्ते। इन कुत्तों से डर कितना लगता है यह उन 14 टूरिस्टों से भी पूछ सकते हैं जिन्हें कुछ अरसा पूर्व डल झील के किनारे घुमने वाले आवारा कुत्तों ने काट लिया था।
जानकारी के लिए पिछले 12 सालों में 80 हजार से अधिक मामले कुत्ते के काटने के कश्मीर में आए हैं। यह आंकड़ा उनका है जो इलाज करवाले अस्पतालों में पहुंचे और जिन्होंने घर पर ही इसका इलाज किया उनकी संख्या भी सैंकड़ों में है।
कश्मीर का शायद ही कोई जिला होगा जहां कुत्तों ने आतंक न फैला रखा हो। इस आतंक से मुक्ति दिलवाने की खातिर नगरपालिकाओं द्वारा उनकी नसबंदी के अभियान तो छेड़े गए पर यह दर प्रतिदिन 15 नसबंदियों तक ही सीमित है।
ऐसे में एक भुक्तभोगी का कहना था कि अगर कुत्तों की नसबंदी की दर यही रही तो कई साल लग जाएंगें उनसे छुटकारा पाने में। पिछले एक साल में, 1 अप्रैल 2021 से लेकर 31 मार्च 2022 तक 5629 लोगों को कुत्तों ने काटा।
जबकि पूरे दशक का आंकड़ा लें तो प्रतिदिन औसतन 16 लोग उन आवारा कुत्तों का शिकार हुए जिन्होंने बारामुल्ला के पट्टन में 10 वर्षीय बच्चे को मौत के घाट उतार दिया था। जबकि पुलवामा में एक आठ साल के बच्चे को अधमरा कर दिया था।
बारामुल्ला नगर परिषद के इंचार्ज इम्तियाज उल हक की सुनें तो उनके पास कुत्तों की नसबंदी का पर्याप्त संसाधन नहीं है। जबकि श्रीनगर नगरपालिका के एक अधिकारी के मुताबिक, उम्मीद है कुत्तों की नसबंदी का काम जल्द युद्धस्तर पर होगा।
दरअसल, जम्मू कश्मीर में महाराजा द्वारा बनाए गए कानून के मुताबिक, कुत्तों को जहर देकर मारा नहीं जा सकता। नतीजा सामने है। अधिकारियों के पास सिर्फ उनकी नसबंदी करने का ही विकल्प बचा हुआ है। वह कितना नाकाम साबित हुआ है यह कुत्तों के काटने के बढ़ते मामलों से पूरी तरह से स्पष्ट होता था।