जम्मू-कश्मीरः नौ माह में 185 आतंकी ढेर, अलग राह पर युवा, जानिए मामला

By सुरेश एस डुग्गर | Published: September 28, 2020 04:23 PM2020-09-28T16:23:40+5:302020-09-28T16:23:40+5:30

अधिकारियों के बकौल, इस साल जो 130 युवक आतंक की राह पर चले उनमें से 55 मारे गए। इनमें से 29 को पकड़े जाने का भी दावा है जबकि 46 की तलाश अभी की जा रही है, जिनके प्रति यही कहा जा रहा है या तो वे मारे जाएंगे या फिर पकड़े जाएंगे।

Jammu and Kashmir 185 terrorists killed nine months youth on different path case | जम्मू-कश्मीरः नौ माह में 185 आतंकी ढेर, अलग राह पर युवा, जानिए मामला

रोकने की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। सुरक्षाधिकारी सिर्फ अभिभावकों को समझाने के सिवाय कुछ नहीं कर पा रहे है।

Highlightsआंकड़ों ने ढेर कर दिया जो अब सरकारी तौर पर सामने आए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक, आतंकी बनने का क्रेज खत्म नहीं हुआ है।सरकारी तौर पर वर्ष 2019 में 140 युवकों ने आतंकवाद की राह थामी तो इस साल 9 महीनों में ही 130 आतंकी बन गए।वर्ष 2018 में जो 246 आतंकी मारे गए थे उनमें 160 के करीब स्थानीय थे और वर्ष 2019 में मारे जाने वाले 152 में से दो तिहाई स्थानीय थे।

जम्मूः पिछले साल 5 अगस्त को धारा 370 हटाए जाने के साथ ही दावा किया गया था कि कश्मीरी युवक अब आतंक की राह पर नहीं चलेंगे। पर सभी दावों को उन आंकड़ों ने ढेर कर दिया जो अब सरकारी तौर पर सामने आए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक, आतंकी बनने का क्रेज खत्म नहीं हुआ है।

सरकारी तौर पर वर्ष 2019 में 140 युवकों ने आतंकवाद की राह थामी तो इस साल 9 महीनों में ही 130 आतंकी बन गए। हालांकि इस अरसे में मारे जाने वालों का आंकड़ा यह जरूर दर्शाता था कि आतंकी को आखिर एक दिन मरना है। अधिकारियों के बकौल, इस साल जो 130 युवक आतंक की राह पर चले उनमें से 55 मारे गए। इनमें से 29 को पकड़े जाने का भी दावा है जबकि 46 की तलाश अभी की जा रही है, जिनके प्रति यही कहा जा रहा है या तो वे मारे जाएंगे या फिर पकड़े जाएंगे।

जिन्दा पकड़े जाने वालों में सिर्फ स्थानीय युवक ही हैं। विदेशी आतंकियों के लिए ऐसी कोई नीति नहीं है। आतंक की राह थामने वाले स्थानीय युवकों के लिए सेना ‘आप्रेशन मां’ भी चला रही है जिसके तहत मुठभेड़ में फंसे स्थानीय युवकों के परिजनों को सामने लाकर उन्हें हथियार डालने के लिए मनाना भी है।

मुठभेड़ों में फंसे युवकों में से किसी पर भी ‘आपरेशन मां’ का प्रभाव तो नहीं दिखा पर आतंकी राह पर चलने वाले कुछ युवकों पर मां की अपीलों का प्रभाव जरूर दिखा तभी तो पिछले एक साल में 70 से अधिक वे युवक वापस घरों को लौट आए जो आतंकी गुटों से जा मिले थे और दो चार दिनों में ही उनका मन बदल गया था। यह चौंकाने वाला तथ्य है कि वर्ष 2018 में जो 246 आतंकी मारे गए थे उनमें 160 के करीब स्थानीय थे और वर्ष 2019 में मारे जाने वाले 152 में से दो तिहाई स्थानीय थे।

वे मानते थे कि वर्ष 2016 में 8 जुलाई को हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी कमांडर और पोस्टर ब्याय के रूप में प्रसिद्ध बुरहान वानी की मौत के बाद ही कश्मीरी युवाओं का रूख आतंकवाद की ओर तेजी से हुआ हैै। आधिकारिक आंकड़ा आप कहता है कि बुरहान वानी की मौत के बाद 500 से अधिक युवा आतंकवादियों के साथ हो लिए। यह इससे भी साबित होता है कि बुरहान की मौत के बाद मरने वाले स्थानीय आतंकियों का आतंकवाद के साथ जुड़ाव तीन दिन से लेकर 60 दिन तक का था।

यह क्रम रुका नहीं है। रोकने की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। सुरक्षाधिकारी सिर्फ अभिभावकों को समझाने के सिवाय कुछ नहीं कर पा रहे है। पत्थरबाजों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। इतना जरूर था कि कश्मीरी आरोप लगाते थे कि सुरक्षाबलों के कथित अत्याचारों के कारण ही कश्मीरी युवा बंदूक उठाने को मजबूर हो रहे हैं।

Web Title: Jammu and Kashmir 185 terrorists killed nine months youth on different path case

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