जयपुर को मिला 'वर्ल्ड हैरिटेज सिटी' का प्रमाण पत्र, स्थापत्य कला और विविधता के लिए शहर का विश्व में विशिष्ट स्थान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 7, 2020 06:00 AM2020-02-07T06:00:31+5:302020-02-07T06:00:31+5:30
यूनेस्को की महानिदेशक श्रीमती ऑड्रे अजोले ने कहा कि मुझे जयपुर आकर बहुत खुशी हुई। मैं यूनेस्को के मुख्यालय पेरिस से एक संदेश लेकर आई हूं। जयपुर के लोगों द्वारा एक सतत् भविष्य के निर्माण के लिए सांस्कृतिक विरासत का जो संरक्षण किया गया है उन प्रयासों को अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने मान्यता प्रदान की है।
अपनी कला स्थापत्य और संस्कृति के लिए विश्व में एक खास पहचान रखने वाले राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगर जयपुर के सम्मान में एक और सितारा तब जुड़ गया जब यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने अलबर्ट हॉल पर आयोजित समारोह में स्वायत्त शासन एवं नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को जयपुर का वर्ल्ड हैरिटेज सिटी का प्रमाण पत्र प्रदान किया।
यूनेस्को की महानिदेशक श्रीमती ऑड्रे अजोले ने कहा कि मुझे जयपुर आकर बहुत खुशी हुई। मैं यूनेस्को के मुख्यालय पेरिस से एक संदेश लेकर आई हूं। जयपुर के लोगों द्वारा एक सतत् भविष्य के निर्माण के लिए सांस्कृतिक विरासत का जो संरक्षण किया गया है उन प्रयासों को अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने मान्यता प्रदान की है।
यह गर्व का विषय है कि यूनेस्को द्वारा जयपुर परकोटा शहर को विश्व विरासत सूची में अंकित किया गया है। इसमें कोई दो राय नही है कि जयपुर अपनी विशिष्ट प्लानिंग के लिए पहले से ही विश्व में एक प्रतिष्ठित शहर है। इसकी वास्तु कला, किले, महल और खगोलियें निर्माण इसे दुनिया का अद्भुत शहर बनाते है। लेकिन यह शिला लेख (वल्र्ड हैरिटेज सिटी की सूची में शामिल होना) भविष्य के लिए इस सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की एक संयुक्त प्रतिबद्धता है।
उन्होंने कहा कि विरासत के संरक्षण का कार्य आसान नही होता है। क्योंकि सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के दौरान हमें कई दबावों का सामना करना पड़ता है। लेकिन यह कार्य आपके और हमारे बच्चों के भविष्य के लिए किया जाता है। क्योंकि यह एक सार्वभौमिक विरासत है। इससे राजस्थान के लोगों के दीर्घकालिक हित जुड़े है। यूनेस्को में जयपुर का एक विशिष्ट स्थान है। जयपुर हैरिटेज से संबंधित सभी आयामों में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। यहां की वास्तुकला में फारसी, मुगल और हिन्दु वास्तुकला का एक शानदार समावेश देखने को मिलता है। आमेर फोर्ट इसका एक बैहतरीन उदाहरण है। जयपुर की विविधता इसे विश्व में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करती है।
राजस्थान में केवल वास्तुकला में ही नही बल्कि हस्तकला, संगीत, नृत्य, कटपुतली, कशीदाकारी, ज्वैलरी तथा सभी परम्पराओं में जीवंत्ता और विविधता दिखती है। उन्होंने पर्यटन विभाग एवं यूनेस्को ं के बीच पश्चिमी राजस्थान में इंटेंजेबल हैरिटेज प्रमोशन के लिए किए गये करार की सराहना करते हुए कहा कि यह करार वहां की कला एवं कलाकारों को विश्व में एक नई पहचान देगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने कहा कि जयपुर विश्व के बैस्ट प्लान्ड शहरों में से एक है। यह हमारे लिये गर्व की बात है कि यूनेस्को कि महानिदेशक जयपुर पधारी है। भारत आने वाले पर्यटको के लिये मोस्ट फेवर्ड डेस्टीनेशन के रूप में जयपुर की पहचान है। सतत् पर्यटन का विकास करना हमारा लक्ष्य है इसके लिए नई पर्यटन नीति विकसित की जा रही है। उन्होंने कहा कि वाईल्ड लाईफ, रिलिजन और हेरिटेज का समन्वय करके नये पर्यटक सर्किट विकसित किये जा रहे है। इसी प्रकार पश्चिमी राजस्थान में ईन्टेन्जेबल हैरिटेज प्रमोशन प्रोजेक्ट के तहत 10 नये सांस्कृतिक गन्तव्य स्थल विकसित किये जा रहे है। जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर और जैसलमेर में इन सांस्कृतिक केन्द्र के विकसित होने से पर्यटन को नई दिशा एवं नये आयाम मिलेंगे और वहा के स्थानिय कलाकारो को एक नई पहचान मिलेंगी।
कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि जयपुर को यूनेस्को की वल्र्ड हेरिटेज सूची में शामिल किए जाने से प्रदेश के पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि राजस्थान की अपनी कला और संस्कृति की सतरंगी विरासत के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान है। डाॅ. कल्ला ने कहा कि हमारा प्रदेश कला और संस्कृति के माध्यम से टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए जाना जाता है। जयपुर तो पर्यटन के क्षेत्र में देश के गोल्डन ट्रायंगल का हिस्सा है, देश में आने वाले विदेशी पर्यटक आगरा, दिल्ली और जयपुर अवश्य आते हैं।
स्वायत्त शासन एवं नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि गुलाबी नगरी जयपुर अपनी सम्पन्न स्थापत्य कलां, वैभवशाली भवनों, वास्तुशील्प, नगर नियोजन, संस्कृति और अप्रतिम सौन्दर्य के विश्वविख्यात है। जब विश्वभर में नगर नियोजन एक अज्ञात विषय था तब जयपुर की स्थापना हुई, यहां की चैड़ी सड़कें, चैपड़े, कतार में दुकानें, ऊंची प्राचीरें रह रह कर इस शहर के तत्कालीक शासकों एवं निर्माताओं की याद दिलाती है।