राज्यसभा में उठा प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के महंगे खर्च का मुद्दा, बीजेपी ने कहा- मरीज जमीन बेचने तक के लिए हो रहे मजबूर

By भाषा | Published: December 2, 2019 04:40 PM2019-12-02T16:40:54+5:302019-12-02T16:40:54+5:30

राज्यसभा में शून्यकाल में भाजपा की संपतिया उइके ने निजी अस्पतालों में इलाज के महंगे खर्च का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इन अस्पतालों में इलाज कराने गए मरीजों को बिलों के भुगतान के लिए कर्ज लेने और अपनी संपत्ति बेचने तक के लिए मजबूर होना पड़ता है।

issue of expensive treatment for private hospitals raised in Rajya Sabha | राज्यसभा में उठा प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के महंगे खर्च का मुद्दा, बीजेपी ने कहा- मरीज जमीन बेचने तक के लिए हो रहे मजबूर

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राज्यसभा में सोमवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने निजी अस्पतालों में इलाज के महंगे खर्च, रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी और असम में बाढ़ के कारण काजीरंगा अभयारण्य में हुए नुकसान सहित लोकमहत्व से जुडे़ अलग अलग मुद्दे उठाए और सरकार से इनके समाधान की मांग की। 

शून्यकाल में भाजपा की संपतिया उइके ने निजी अस्पतालों में इलाज के महंगे खर्च का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इन अस्पतालों में इलाज कराने गए मरीजों को बिलों के भुगतान के लिए कर्ज लेने और अपनी संपत्ति बेचने तक के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें निजी अस्पतालों को रियायती दरों पर जमीन देती हैं और अन्य सरकारी सुविधाएं भी उनको मिलती हैं। ‘‘लेकिन इलाज के खर्च को लेकर निजी अस्पतालों की मनमानी जारी है।’’ 

संपतिया ने सरकार से निजी अस्पतालों में इलाज के महंगे खर्च पर लगाम कसने की मांग की। विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। शून्यकाल में ही भाजपा के हरनाथ सिंह यादव ने रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के लगातार इस्तेमाल के कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी आने और उसके जैविक गुण नष्ट होने का मुद्दा उठाया। 

उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के लगातार इस्तेमाल के कारण मिट्टी जहरीली हो रही है, नाइट्रोजन, पोटाश और फास्फोरस का संतुलन बिगड़ रहा है और इसकी वजह से कैंसर तथा अन्य खतरनाक बीमारियां फैल रही हैं। उन्होंने सरकार से जैविक खेती को बढ़ावा देने तथा प्रत्येक विकास खंड पर मिट्टी परीक्षण केंद्र स्थापित किए जाने की मांग की। यादव के इस मुद्दे से विभिन्न दलों के सदस्यों ने स्वयं को संबद्ध किया। 

भाजपा के कामाख्या प्रसाद तासा ने असम में आई बाढ़ के कारण काजीरंगा अभयारण्य को हुए नुकसान का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि बाढ़ की वजह से न केवल अवसंरचना को नुकसान हुआ बल्कि वहां के कई पशुओं की जान भी चली गई। सपा के जावेद अली खान ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के किनारे करीब 300 एकड़ जमीन को वर्ष 2020 में होने जा रहे ‘डिफेन्स एक्स्पो’ के लिए चिह्नित किए जाने का मुद्दा उठाया। 

उन्होंने कहा कि ‘डिफेन्स एक्स्पो’ दो साल में एक बार आयोजित किया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए जो जमीन चिह्नित की गई है उस पर लगे 63,799 छोटे बड़े पेड़ काटने के लखनऊ विकास प्राधिकरण को निर्देश दिए गए हैं। खान ने कहा कि पेड़ काटने के बजाय ‘डिफेन्स एक्स्पो’ के लिए कहीं दूसरी जगह जमीन दी जानी चाहिए। 

कांग्रेस के डॉ टी सुब्बीरामी रेड्डी ने विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र के लिए लौह अयस्क की कमी का मुद्दा उठाया और सरकार से मांग की कि इस संयंत्र के लिए ओडिशा और झारखंड से लौह अयस्क मंगाने की अनुमति दी जानी चाहिए। इनके अलावा सपा के रवि प्रकाश वर्मा, अन्नाद्रमुक के डॉ मुथुकरुप्पम, भाजपा के कैलाश सोनी और टीआरएस के बी लिंगैया यादव ने भी लोकमहत्व से जुड़े अपने अपने मुद्दे उठाए।

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