ISRO का सैटलाइट GSAT-7A हुआ लॉन्च, जानें क्या है इसकी खासियत
By पल्लवी कुमारी | Published: December 19, 2018 05:06 PM2018-12-19T17:06:50+5:302018-12-19T17:06:50+5:30
इस संचार उपग्रह को जियोसिन्क्रोनस ट्रांसफर ऑरबिट में स्थापित किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को बताया कि 2,250 किलोग्राम का जीएसएटी-7ए 35 वां भारतीय संचार उपग्रह है जिसका निर्माण इसरो ने किया है।
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने अपने कम्युनिकेशन सैटलाइट GSLVF11/GSAT-7A को लॉन्च कर दिया गया है। खबरों के मुताबिक कुछ देर बाद ही वह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रवेश कर गया। इस संचार उपग्रह को जियोसिन्क्रोनस ट्रांसफर ऑरबिट में स्थापित किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को बताया कि 2,250 किलोग्राम का जीएसएटी-7ए 35 वां भारतीय संचार उपग्रह है जिसका निर्माण इसरो ने किया है।
बता दें कि GSAT-7A से पहले GSAT-7 लॉन्च किया गया था। जिसे 'रुक्मिणि' का नाम दिया गया था। इसरो ने अपने अधिकारिक वेबसाइट पर इसके बारे में कई जानकारियां दी है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि जीएसएटी-7ए अपने प्रपेक्षक से अलग होने के बाद कुछ दिन में अपने कक्ष में पहुंचेगा। जीएसवीएल-एफ11 इसरो की चौथी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है जिसमें तीन चरण हैं
ISRO: #GSLVF11 successfully launches #GSAT7A into Geosynchronous Transfer Orbit. pic.twitter.com/MLb5zKL5rJ
— ANI (@ANI) December 19, 2018
आइए जानें इसकी कुछ खासियत
- इस सैटलाइट की लागत 500-800 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
- इसरो ने कहा कि इस उपग्रह की आयु आठ साल है।
Update #12#ISROMissions#GSLVF11 successfully launches #GSAT7A into Geosynchronous Transfer Orbit. pic.twitter.com/9PiUa8e1NI
— ISRO (@isro) December 19, 2018
- इसका निर्माण भारतीय क्षेत्र में केयू-बैंड के प्रयोगकर्ताओं को संचार क्षमता मुहैया कराने के लिए किया गया है।
- इसरो ने कहा कि इसके लिए उपग्रह में मौजूद संचालन प्रणाली (प्रपल्शन सिस्टम) का इस्तेमाल किया जाएगा।
- इसमें 4 सोलर पैनल लगाए गए हैं।