क्या सच में गुप्त होता है आपका मतदान या नेता जान जाते हैं कि किसे वोट दिया?
By आदित्य द्विवेदी | Published: April 17, 2019 03:33 PM2019-04-17T15:33:31+5:302019-04-17T15:33:31+5:30
चुनाव प्रचार के दौरान नेता लोग मतदाताओं को अक्सर धमकी देते दिख जाते हैं कि उन्हें पता चल जाएगा कि आपने उन्हें वोट किया या नहीं? जानिए इस दावे में है कितनी सच्चाई....
बीजेपी विधायक रमेश कटारा अपने हालिया बयान में मतदाताओं को धमकाते दिख रहे हैं। उन्होंने दाहोद संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान कहा, 'ईवीएम में कमल का निशान दिखाई देगा। उसी को खोजकर बटन दबाना है। कोई गलती नहीं होनी चाहिए क्योंकि मोदी साब ने इसबार कैमरे लगवा रखे हैं।' उनके इस बयान पर विवाद मच गया है। हालांकि रमेश कटारा के दावे में कोई आधार नहीं है। इससे पहले सुल्तानपुर से बीजेपी प्रत्याशी मेनका गांधी ने भी अल्पसंख्यकों को धमकाते हुए कहा था कि वह विकास कार्यों में उन क्षेत्रों को प्राथमिकता देंगी जहां से अधिक वोट मिलेंगे।
ऐसे में सवाल उठता है कि आपका मतदान तो गुप्त होता है। फिर नेता ऐसे अनर्गल बयान क्यों देते हैं जिससे प्रतीत हो कि उन्हें पता है कि आपने किसे वोट दिया और किसे नहीं। दरअसल, आपका मतदान उतना भी गुप्त नहीं रहता।
चुनाव के लिए निर्वाचन क्षेत्रों को वार्ड और बूथ में बांट दिया जाता है। इससे मतदान प्रबंधन में सहूलियत होती है। प्रत्येक वार्ड के लिए अलग-अलग ईवीएम होती है। इस प्रकार मतगणना के समय प्रत्याशी यह जान सकता है कि किस गांव में उसे कितने वोट मिले। हालांकि चुनाव आयोग इसके पक्ष में नहीं है कि प्रत्येक वार्ड की जगह 14 बूथों की मतगणना के आंकड़े एकसाथ जारी किए जाएं। केंद्र सरकार इसके साथ नहीं है।
इसी के आधार पर रमेश कटारा और मेनका गांधी जैसे नेता मतदाताओं को धमकाते फिरते हैं। रमेश कटारा का कहना था, 'किसने बीजेपी को वोट दिया और किसने कांग्रेस को ये देखा जा सकता है। आधार कार्ड और अन्य कार्ड में भी अब फोटो लगता है। अगर आपके बूथ से वोट में कमी आई तो ये पता लगाया जा सकता है कि किसने वोट नहीं दिया। और इसके बाद आपको काम नहीं मिलेगा।'