आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम में बड़े पैमाने पर संशोधन की तैयारी में सरकार, अमित शाह ने सांसदों, चीफ जस्टिसों, मुख्यमंत्रियों व अन्य से मांगे सुझाव

By विशाल कुमार | Published: January 12, 2022 07:24 AM2022-01-12T07:24:22+5:302022-01-12T07:27:46+5:30

सांसदों और अन्य को बीते 31 दिसंबर लिखे एक पत्र में गृहमंत्री ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के सात दशकों का अनुभव यह कहता है कि आपराधिक कानूनों, विशेषकर आईपीसी, 1860, सीआरपीसी, 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की व्यापक समीक्षा करने का समय आ गया है।

ipc crpc evidence act criminal laws amit shah | आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम में बड़े पैमाने पर संशोधन की तैयारी में सरकार, अमित शाह ने सांसदों, चीफ जस्टिसों, मुख्यमंत्रियों व अन्य से मांगे सुझाव

आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम में बड़े पैमाने पर संशोधन की तैयारी में सरकार, अमित शाह ने सांसदों, चीफ जस्टिसों, मुख्यमंत्रियों व अन्य से मांगे सुझाव

Highlightsआपराधिक कानून में बदलाव को लेकर अमित शाह ने सांसदों और अन्य को 31 दिसंबर एक पत्र लिखा।उन्होंने कहा कि आपराधिक कानूनों की व्यापक समीक्षा करने का समय आ गया है।पत्र में समीक्षा प्रक्रिया के लिए कोई समयसीमा नहीं दी गई है।

नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों पर सांसदों तथा अन्य पक्षकारों से सुझाव आमंत्रित किए हैं।

सांसदों और अन्य को बीते 31 दिसंबर लिखे एक पत्र में गृहमंत्री ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के सात दशकों का अनुभव यह कहता है कि आपराधिक कानूनों, विशेषकर आईपीसी, 1860, सीआरपीसी, 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की व्यापक समीक्षा करने का समय आ गया है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा इन कानूनों को आज की जरूरत और लोगों की महत्वाकांक्षा के अनुसार अपनाने की आवश्यकता है। शाह ने लिखा, “भारत सरकार जनता को ध्यान में रखकर कानूनी ढांचा बनाने का इरादा रखती है।”

शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मंत्र के साथ भारत के सभी नागरिकों को तेज गति से न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, विशेषकर उन्हें जो पिछड़े और कमजोर वर्ग से आते हैं।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई), उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों, राज्य के मुख्यमंत्रियों, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों, बार काउंसिल और विधि विश्वविद्यालयों से सुझाव देने का अनुरोध किया है।

पत्र में समीक्षा प्रक्रिया के लिए कोई समयसीमा नहीं दी गई है, लेकिन सांसदों को जल्द से जल्द संशोधनों के संबंध में अपने सुझाव भेजने के लिए कहा गया था।

पिछले साल जुलाई में गृह मंत्रालय ने आपराधिक कानूनों की समीक्षा के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था जो वैवाहिक बलात्कार का अपराधीकरण करने और यौन अपराधों को लिंग तटस्थ बनाने से लेकर राजद्रोह के आरोप पर फिर से विचार करेगी। समिति को अभी अपनी रिपोर्ट देनी है।

Web Title: ipc crpc evidence act criminal laws amit shah

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे