International Tiger Day: 'अंधे' पैदा होते हैं बाघ के बच्चे, इंटरनेशनल टाइगर डे पर जानिए इनके बारे में 10 खास बातें
By विनीत कुमार | Published: July 29, 2020 07:26 AM2020-07-29T07:26:39+5:302020-07-29T08:54:10+5:30
International Tiger Day: पूरी दुनिया में 29 जुलाई को इंटरनेशनल टाइगर डे के तौर पर मनाया जाता है। भारत में भी बाघों के सरक्षण पर कई सालों से काम हो रहा है और इसका फायदा भी देखने को मिला है।
International Tiger Day: पूरी दुनिया में आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जा रहा है। साल 2010 से ये हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है। इसका मकसद बाघों के सरक्षण को लेकर जागरूकता पैदा करना है। साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की घोषणा हुई थी। इस सम्मेलन में मौजूद कई देशों की सरकारों ने 2022 तक बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया था।
वर्ल्ड वाइल्ड फंड (WWF) के अनुसार बाघों की संख्या में 20 सदी के शुरू होने के बाद से अब तक 95 प्रतिशत की कमी आई है। पूरी दुनिया में आज महज 3900 बाघ रह गए हैं। जबकि 20वीं सदी की शुरुआत में इनकी संख्या 1 लाख के करीब थी। बाघों की संख्या घटने का बड़ा कारण उनका शिकार, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक ठिकानों और जंगलों में इंसानों की बढ़ती दखलअंदाजी रही।
International Tiger Day: भारत ने बाघों के सरक्षण में निभाई बड़ी भूमिका
भारत में बाघों को बचाने का प्रोजेक्ट 1973 में ही शुरू कर दिया गया था। इसके तहत कई टाइगर रिजर्व बनाए गए। इसका फायदा भी दिखा है। साल 1973-74 में टाइगर रिजर्व की संख्या जहां 9 थी वहीं अब ये संख्या बढ़कर 50 हो गई है। देश में लगातार बाघों की संख्या भी बढ़ी है। भारत में बाघों की आबादी 2014 में 1,400 से बढ़कर 2019 में 2,977 हो गई।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक दिन पहले मंगलवार को ही बताया कि भारत के पास धरती का काफी कम हिस्सा होने जैसी कई बाधाओं के बावजूद, यहां जैव-विविधता का आठ प्रतिशत हिस्सा है। वैश्विक भूमि का महज 2.5 प्रतिशत, चार फीसद वर्षा और विश्व की आबादी का 16 प्रतिशत होने की बाध्यता के बावजूद, भारत वैश्विक जैव-विविधता के मामले में आगे है। दुनिया की 70 प्रतिशत बाघ की आबादी आज भारत में है।
International Tiger Day: बाघों के बारे में 10 दिलचस्प बातें
1. बाघ की गर्जना या कहें कि उसका दहाड़ना करीब 3 किलोमीटर दूर तक सुना जा सकता है।
2. ये दिलचस्प तथ्य है कि किसी भी दो बाघ की धारियां एक जैसी नहीं हो सकती है।
3. दुनिया में कभी बाघ की 8 प्रजातियां हुआ करती थीं। अब हालांकि तीन विलुप्त हो चुकी हैं।
4. अभी साइबेरियन टाइगर, बंगाल टाइगर, इंडो-चाइनीज टाइगर, मलायन टाइगर, सुमात्रन टाइगर जैसी प्रजातियां जिदा हैं। वहीं, बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर, जावन टाइगर विलुप्त हो चुकी हैं।
5. बाघ अकेला ही रहता है और जिस क्षेत्र में रहता है, वहां अपने विरोधी बाघ को दूर रखने के लिए अपना एक खास क्षेत्र तय रखता है।
6. बाघ अगर अपनी पूरी क्षमता से दौड़े तो ये 65 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड़ से दौड़ सकता है।
7. ये भी दिलचस्प है कि बाघ बहुत अच्छे तैराक होते हैं।
8. बाघ के बच्चे जब पैदा होते हैं तो वे एक तरह से अंधे होते हैं। उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता। हालांकि, अगले 6 से 8 हफ्तों में उनकी दृष्टि बहुत साफ हो जाती है।
9. बाघ की जंगलों में औसत आयु करीब 11 वर्ष रहती है।
10. बाघ का वजन 363 किलोग्राम तक हो सकता है। ये पेड़ों पर भी आसानी से चढ़ने की क्षमता रखता है। हालांकि, उम्र बढ़ने के बाद ये बहुत कम ही ऐसा कर पाता है।