दिलचस्प होगी चुनावी जंग, क्योंकि अब न तो मोदी राजनीतिक हीरो और न ही राहुल सियासी जीरो रहे हैं!

By प्रदीप द्विवेदी | Published: January 24, 2019 04:56 AM2019-01-24T04:56:36+5:302019-01-24T04:56:36+5:30

केन्द्र में 26 मई 2014 को नरेन्द्र मोदी सरकार ने शपथ ली थी. अब कुछ ही दिनों लोकसभा की चुनावी जंग शुरू हो जाएगी, लेकिन इस जंग को जीतने के लिए मोदी टीम के पास उपलब्धियों के सियासी हथियारों की कमी है.

Interesting war will be interesting, because now neither Modi political hero nor Rahul is a politician! | दिलचस्प होगी चुनावी जंग, क्योंकि अब न तो मोदी राजनीतिक हीरो और न ही राहुल सियासी जीरो रहे हैं!

फाइल फोटो

कभी यह मान कर कि राहुल गांधी, पीएम नरेन्द्र मोदी के मुकाबले बेहद कमजोर हैं, बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी जंग को मोदी बनाम राहुल बनाने की कोशिश की थी, लेकिन लगता है कि अब यह सियासी चाल भाजपा को ही भारी पड़ती जा रही है!

न्यूज चैनल आजतक ने मूड ऑफ द नेशन, यानी... देश का मिजाज सर्वे में पूछा कि- कौन है प्रधानमंत्री पद की दौड़ में? तो इसका जवाब, नरेन्द्र मोदी के राहुल गांधी से आगे रहने के बावजूद बीजेपी को चिंता में इसलिए डाल सकता है कि न तो राहुल गांधी अब सियासी जीरो रहे हैं और न ही नरेन्द्र मोदी राजनीतिक हीरो रहे हैं. सर्वे बता रहा है कि बढ़ रही है राहुल गांधी की लोकप्रियता और बेअसर हो रहा है मोदी का जादू!

केन्द्र में 26 मई 2014 को नरेन्द्र मोदी सरकार ने शपथ ली थी. अब कुछ ही दिनों लोकसभा की चुनावी जंग शुरू हो जाएगी, लेकिन इस जंग को जीतने के लिए मोदी टीम के पास उपलब्धियों के सियासी हथियारों की कमी है. यही नहीं, मोदी टीम को इस बार दो मोर्चो पर लड़ना है, एक- भाजपा के विरूद्ध एकजुट विपक्ष से, और दो- भाजपा के भीतर मौजूद मोदी-शाह टीम के विरोधियों से, ज्यों-ज्यों चुनाव नजदीक आएंगे यह राजनीतिक तस्वीर और साफ होती जाएगी!

जनवरी 2017 में लोकप्रियता के नजरिए से पीएम मोदी अपने अब तक के सर्वोच्च- 65 प्रतिशत पर थे तो राहुल गांधी केवल 10 प्रतिशत पर, लेकिन अगस्त 2018 आते-आते  जहां नरेन्द्र मोदी 50 प्रतिशत से नीचे आ गए, वहीं राहुल गांधी 30 प्रतिशत तक पहुंच गए, यानी 10 प्रतिशत का बदलाव राहुल गांधी को नरेन्द्र मोदी की बराबरी पर ला कर खड़ा कर देगा? राहुल और मोदी के बीच यह करीब 20 प्रतिशत का अंतर इसलिए भी उतना प्रभावी नहीं है, क्योंकि लोकप्रियता के मामले में वर्तमान प्रधानमंत्री का प्रतिशत, वास्तविकता से कुछ ज्यादा ही होता है.

पीएम मोदी अभी भी लोकप्रियता के मामले में आगे हैं, लेकिन सर्वे बताता है कि अब जबकि आम चुनाव 2019 करीब हैं, राहुल गांधी ने लोकप्रियता के मामले में नरेन्द्र मोदी से फासले को कम कर लिया है.  

इतना ही नहीं, नरेन्द्र मोदी को टक्कर देने के मामले में मायावती, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल सहित कोई भी नेता 10 प्रतिशत की रेखा पार नहीं कर पाया है. कभी बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी पीएम की दौड़ में मोदी, राहुल के बाद तीसरे पायदान पर थे, लेकिन अब वे जीरो रेखा के करीब हैं.

बीजेपी की चिंता इसलिए भी जायज है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में हाल ही कांग्रेस ने तीन बीजेपी के असर वाले राज्यों- एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत दर्ज करके बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया है. इन राज्यों में बीजेपी ने 2014 में अधिकतम सीटें जीती थी और अब उनमें से आधी सीटें बचाना भी बहुत मुश्किल है. 
कांग्रेस की इस जीत ने न केवल बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत अभियान को तगड़ा झटका दिया है, बल्कि राहुल गांधी- हारा हुआ सियासी खिलाड़ी, धारणा को भी ढेर कर दिया है.

पीएम मोदी टीम अब विपक्ष के महागठबंधन पर भी इसीलिए लगातार हमले कर रही है कि इस विपक्षी एकता से बीजेपी को डर लगने लगा है, क्योंकि वर्तमान सियासी सोच गैर-भाजपाइयों के समर्थन में हो या नहीं हो, पीएम मोदी टीम के खिलाफ है.

पाकिस्तान को औकात दिखा दी, चीन को पछाड़ दिया, देश का नाम विश्व में चमका दिया, भ्रष्टों को डरा दिया जैसी अप्रत्यक्ष उपलब्धियां मोदी समर्थकों को तो खुश कर सकती हैं, परन्तु राम मंदिर, धारा 370, गैस-पेट्रोल के रेट जैसे प्रत्यक्ष मुद्दों पर मोदी टीम के पास कहने के लिए कुछ खास नहीं है, इसलिए 2014 जैसा जनसमर्थन 2019 में जुटाना नरेन्द्र मोदी के लिए आसान नहीं है. पीएम मोदी के 2014 के अच्छे दिनों के वादे से निराश मतदाता राहुल गांधी को 2019 में नरेन्द्र मोदी से आगे कर दें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए!

Web Title: Interesting war will be interesting, because now neither Modi political hero nor Rahul is a politician!