आईएनएस खंडेरी स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी, जो तारपीडो के साथ हमला कर सकती है और साथ ही ट्यूब से लॉन्च होने वाली एंटी-शिप मिसाइल से भी मार कर सकती है
By भाषा | Published: September 17, 2019 08:27 PM2019-09-17T20:27:21+5:302019-09-17T20:27:21+5:30
यह पनडुब्बी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार ने कहा कि इस मौके पर पी17ए श्रेणी के पहले जलपोत आईएनएस नीलगिरी का जलावतरण और एक विमानवाहक ड्राईडॉक का भी उद्घाटन होगा।
भारत की स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुंबई में 28 सितंबर को नौसेना में शामिल करेंगे। नौसेना ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
यह पनडुब्बी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार ने कहा कि इस मौके पर पी17ए श्रेणी के पहले जलपोत आईएनएस नीलगिरी का जलावतरण और एक विमानवाहक ड्राईडॉक का भी उद्घाटन होगा।
उन्होंने कहा कि ‘खंडेरी’ को सक्रिय सेवा में शामिल करने और ‘नीलगिरी’ के जलावतरण के साथ नौसेना की युद्धक क्षमता “कई गुना बढ़ जाएगी।” कुमार ने बताया कि विमान वाहक ड्राईडॉक भारत के सबसे बड़े जहाज आईएनएस विक्रमादित्य को बंदरगाह की गोदी तक ला सकता है।
Vice Chief of Naval Staff, Vice Admiral G Ashok Kumar: Defence Minister will be in Mumbai on 28th of Sept to spend a day with Indian Navy. Commissioning of P-75 submarine INS Khanderi, P-17 Alpha ship Nilgiri & largest aircraft carrier drydock of Indian Navy are planned for day pic.twitter.com/gzbwsHGbhP
— ANI (@ANI) September 17, 2019
कुमार ने संवादाताओं को बताया, “28 सितंबर के दिन तीन कार्यक्रम होने हैं, जो हमारे प्रधानमंत्री के सागर विजन (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और वृद्धि) के अनुरूप हैं।” आईएनएस खंडेरी स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी है जो तारपीडो के साथ हमला कर सकती है और साथ ही ट्यूब से लॉन्च होने वाली एंटी-शिप मिसाइल से भी मार कर सकती है।
स्कॉर्पीन श्रेणी की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को नौसेना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिसंबर 2017 में शामिल किया गया। इस अवसर पर मोदी ने कहा था कि कलवरी ‘मेक इन इंडिया’ का बेहतरीन उदाहरण है और इससे नौसेना की ताकत बढ़ेगी।
खंडेरी को नौसेना में शामिल करने और नीलगिरी के जलावतरण के बाद रक्षा मंत्री आईएनएस विक्रमादित्य पर सवार होकर पूरा दिन समुद्र में ही बिताएंगे। कुमार ने बताया, “28 सितंबर की शाम से 29 सितंबर को पूर्वाह्न तक (वह रहेंगे)।
दिल्ली वापस आने से पहले वह नौसेना की सभी गतिविधियों का निरीक्षण करेंगे, जिनमें मिसाइल फाइरिंग और समुद्र में विभिन्न अभ्यास शामिल हैं।” उन्होंने बताया कि किसी भी जलपोत या पनडुब्बी के निर्माण में कई चुनौतियां जुड़ी रहती हैं और इनकी जटिलता को देखते हुए कई छोटी-मझोली कंपनियों को इसमें शामिल किया जाता है, ताकि निर्माण कार्य सफलता के साथ पूरा किया जा सके।