स्पेशल रिपोर्ट: भारत-चीन तनाव के बीच मोदी सरकार की मंत्रियों और नेताओं को सलाह, न करें चीनी विरोधी बयानबाजी
By हरीश गुप्ता | Published: July 11, 2020 06:57 AM2020-07-11T06:57:07+5:302020-07-11T06:57:07+5:30
आधिकारिक सूत्रों से पता चला है कि स्थिति को सामान्य करने के लिए प्रतिबंधित 59 चीनी एप्स के प्रमोटर्स व्यावहारिक फॉर्मूला चाहते हैं.
नई दिल्ली: गलवान और अन्य सीमावर्ती इलाकों में एलएसी पर सुरक्षा इंतजामों को कड़ा ही रखते हुए केंद्र सरकार ने चीन के खिलाफ बेवजह की बयानबाजी पर अंकुश का संकेत दिया है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने मंत्रियों और भाजपा के पदाधिकारियों को सलाह दी है कि लद्दाख में मई पूर्व की यथास्थिति स्थापित होने तक इस मामले में कोई सार्वजनिक बयान न दें और न ही इस मसले का किसी भी तरह से उल्लेख ही करें.
भाजपा से जुड़े मुख्य संगठनों और व्यापार संगठनों को भी चीन विरोधी बयानबाजी में संयम बरतने को कहा गया है. उल्लेखनीय है कि 7 जुलाई को दोनों पक्षों के बीच सुलह के बाद सुरक्षा पर कैबिनेट समिति सहित सरकार के किसी भी मंत्री ने इस संबंध में कोई भी बयान नहीं दिया है. मोदी सरकार इस बात पर नजदीकी से नजर रखे हुए है कि चीन कितनी तेजी से अपने मूल ठिकानों तक लौटता है. तब तक वह चुप्पी साधे रखना चाहती है.
उल्लेखनीय टिप्पणी भारत के साथ शांति वार्ता के बीच 7 जुलाई को चीन के विदेश मंत्री वांग ली ने एक उल्लेखनीय टिप्पणी की है. वांग कहते हैं, ''हमें उम्मीद है कि भारत, चीन के साथ मिलकर जनमत को सही दिशा में ले जाएगा...मतभेद में बढ़ोत्तरी और मामले को जटिल बनाना टालेगा ताकि भारत-चीन रिश्तों का एक बड़ा परिदृश्य उभरकर सामने आए.''
जाहिर तौर पर चीन भारतीयों के मत को प्रभावित करना चाहता है और चाहता है कि चीन के खिलाफ जारी तेज बयानबाजी और विभिन्न विभागों, कंपनियों, राज्यों के चीन विरोधी कदमों पर अंकुश के साथ स्थिति पूर्ववत सामान्य हो जाए. विरोध की तल्खी कम चीनी माल के बहिष्कार की तल्खी एकाएक शांत हो गई दिखती है.
आधिकारिक सूत्रों से पता चला है कि स्थिति को सामान्य करने के लिए प्रतिबंधित 59 चीनी एप्स के प्रमोटर्स व्यावहारिक फॉर्मूला चाहते हैं. प्रतिबंध से सर्वाधिक प्रभावित टिकटॉक का मालिकाना हक रखने वाली बाइटडांस कंपनी तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऑपरेशंस सहित अपना मुख्यालय ही चीन से बाहर ले जाने पर विचार कर रही है.
जाहिर तौर पर सर्वर भारत में लाए जाने पर हमारी साइबर सुरक्षा को लेकर चिंता का भी निवारण हो जाएगा. उसके भारत में पहले से ही दो सर्वर हैं. बस एप्प पर प्रतिबंध आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक चीन के 59 एप्स को प्रतिबंधित करने के अलावा किसी भी मंत्रालय या विभाग ने चीन की किसी कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की है. जो ठेके रद्द भी किए गए हैं, वह उनके चीनी मूल के होने के कारण नहीं बल्कि तकनीकी आधार व कारणों से रद्द किए गए हैं.